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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 फरवरी, 2022

  • 16 Feb 2022
  • 9 min read

फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से जल निकासी

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से समुद्र में उपचारित पानी की विवादास्पद योजनाबद्ध निकासी की समीक्षा हेतु जापान में मिशन शुरू किया गया। जापान के अनुसार, कई दशकों में पानी को उपचारित करने और छोड़ने की योजना प्रस्तावित है, क्योंकि एक व्यापक पंपिंग और निस्पंदन प्रणाली अधिकांश रेडियोधर्मी तत्त्वों को हटा देती है। IAEA ने भी इस निकासी का समर्थन किया है और कहा है कि यह प्रक्रिया अन्य साइटों के परमाणु संयंत्रों से अपशिष्ट जल की निकासी के ही समान है। इस योजना को अप्रैल 2021 में जापान द्वारा अपनाया गया था जिसके मार्च 2023 तक शुरू होने की उम्मीद है, पर्यावरण और सुरक्षा चिंताओं को लेकर इस पर पड़ोसी देशों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं। योजना को लेकर स्थानीय मछुआरा समुदाय द्वारा भी  विरोध किया गया। फुकुशिमा परमाणु संयंत्र एक अक्षम परमाणु ऊर्जा संयंत्र है जो जापान में ओकुमा और फुताबा के कस्बों में 3.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है। 11 मार्च, 2011 को जापान में 9.0 तीव्रता के भूकंप और सुनामी के कारण इस संयंत्र को बड़ी क्षति हुई। इन घटनाओं से विकिरण का रिसाव हुआ जिसने कई रिएक्टरों को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया।

मालदीव में भारतीय व्‍यापारियों को बिना वीज़ा प्रवेश

मालदीव ने भारतीय व्‍यापारियों को बिना वीज़ा प्रवेश की अनुमति देने की घोषणा की है। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह फैसला इस महीने की पहली तारीख से लागू हो गया है। व्‍यापारिक उद्देश्‍यों से मालदीव जाने वाले भारतीय यात्रियों को 90 दिन की अवधि के लिये बिना वीज़ा के प्रवेश देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भारत और मालदीव के बीच 17 दिसंबर, 2018 को वीज़ा सुविधा हेतु समझौते पर हस्‍ताक्षर हुए थे जिसके अंतर्गत यह निर्णय लिया गया है। वीज़ा मुक्‍त प्रवेश व्‍यवस्‍था के अंतर्गत दोनों देश एक-दूसरे के नागरिकों को छह महीने के भीतर 90 दिन की अवधि के लिये वीज़ा मुक्‍त यात्रा की सुविधा देंगे। कोई भी भारतीय नागरिक स्‍वीकृत व्‍यापार वीज़ा को एक कलैंडर वर्ष में 180 दिन तक के लिये बढ़ा सकता है। भारत और मालदीव के बीच दशकों से अच्छे संबंध रहे हैं। प्राचीन समय में मालदीव पर भारतीय हिंदू संस्कृति का अत्यधिक प्रभाव रहा है। मालदीव को ब्रिटिश से 26 जुलाई,1965 में आज़ादी मिली थी। भारत मालदीव को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में से एक है। चीन ने मालदीव में वर्ष 2011 में अपना दूतावास खोला है, जबकि भारत ने वर्ष 1972 में ही मालदीव में अपना दूतावास खोल दिया था। लंबे समय तक दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। मालदीव और भारत के बीच राजनैतिक संबंध के अलावा सामाजिक, धार्मिक और कारोबारी रिश्ता भी रहा है। मालदीव में करीब 25 हज़ार भारतीय निवास करते हैं। भारतीय समुदाय मालदीव में निवास करने वाला दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है।

पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान 

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अंतर्गत 22 नए एक्सप्रेसवे, 23 प्रमुख बुनियादी ढाँचागत परियोजनाएँ और 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क विकसित करेगा। गति शक्ति एक डिजिटल मंच है जो औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्र समूहों की बुनियादी ढाँचागत संपर्क परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन में तालमेल के लिये रेलवे व सड़क सहित 16 मंत्रालयों को जोड़ता है। कुछ निर्माणाधीन प्रमुख एक्सप्रेसवे और गलियारों में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे और बंगलूरू-चेन्नई एक्सप्रेसवे शामिल हैं। कुछ निर्माणाधीन प्रमुख बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं में लद्दाख में जोजिला सुरंग का निर्माण, आंध्र प्रदेश में कृष्णापत्तनम बंदरगाह को जोड़ने वाली सड़कें और अरुणाचल प्रदेश में लालपुल-मनमाओ सड़क को दो लेन का करना शामिल है। पीएम गति शक्ति परियोजना एक तरह का डिजिटल मंच है जिससे रेल व सड़क समेत 16 मंत्रालय जुड़े हैं। इस योजना की शुरुआत 13 अक्तूबर, 2021 को की गई थी। दरअसल नौकरशाही तंत्र इस तरह का है कि उसमें अलग-अलग भागों में काम होता है। इससे किसी भी प्रोजेक्ट के क्लीयरेंस या अन्य तरह के सहयोग को लेकर न केवल जटिलता आती है, बल्कि काफी समय भी लग जाता है। इसी तरह की समस्या से निपटने के लिये गति शक्ति योजना का प्रस्ताव रखा गया, ताकि वर्ष 2024-25 तक सभी बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्ट‍िविटी प्रोजेक्ट के लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।

फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर

एक विशेष संसदीय सभा द्वारा 13 फरवरी, 2022 को जर्मनी के राष्ट्रपति के रूप में फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर को पाँच साल के दूसरे कार्यकाल के लिये फिर से चुना गया। वह जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) के सदस्य हैं, उन्होंने कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। वह पहले एक सिविल सेवक थे। रूस और चीन के प्रति उनकी उदार नीतियों और मानवाधिकारों पर जर्मन व्यापारिक हितों को प्राथमिकता देने के लिये उनकी आलोचना की गई है। संसद के निचले सदन के सदस्यों और जर्मनी के 16 राज्यों के प्रतिनिधियों की एक विशेष सभा द्वारा उन्हें बड़े बहुमत से चुना गया। वह वर्ष 2017 में राष्ट्रपति बने थे। इससे पहले उन्होंने चांसलर एंजेला मर्केल की सरकार में विदेश मंत्री और चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया था। जर्मन राष्ट्रपति को लगातार दो बार पाँच वर्ष  के कार्यकाल के लिये चुना जा सकता है। भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंध साझा लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी संघीय गणराज्य के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। जर्मनी, भारत की विकास परियोजनाओं में प्रतिवर्ष 1.3 बिलियन यूरो का सहयोग देता है, जिसमें से 90% का उपयोग जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के साथ-साथ स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाता  है। जर्मनी, महाराष्ट्र में 125 मेगावाट क्षमता के एक विशाल सौर संयंत्र के निर्माण में भी सहयोग कर रहा है, जो 155,000 टन वार्षिक CO2 उत्सर्जन को कम करेगा। दिसंबर 2021 में जर्मनी के नए चांसलर की नियुक्ति के बाद भारत और जर्मनी ने सहमति व्यक्त की है कि दुनिया के प्रमुख लोकतांत्रिक देशों एवं रणनीतिक भागीदारों के रूप में दोनों देश साझा चुनौतियों से निपटने के लिये आपसी सहयोग को मज़बूत करेंगे जहाँ जलवायु परिवर्तन उनके एजेंडे में शीर्ष विषय के रूप में शामिल होगा।

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