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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 सितंबर, 2021

  • 15 Sep 2021
  • 7 min read

अभियंता दिवस

देश में प्रतिवर्ष 15 सितंबर को ‘अभियंता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। अभियंता दिवस भारत के सुविख्यात इंजीनियर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें आधुनिक भारत के ‘विश्वकर्मा’ के रूप में जाना जाता है। इस वर्ष उनकी 160वीं जयंती मनाई जा रही है। एम. विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर, 1861 को मैसूर (कर्नाटक) के 'मुद्देनाहल्ली' नामक स्थान पर हुआ था। भारत सरकार ने वर्ष 1968 में उनकी जन्म तिथि को ‘अभियंता दिवस’ घोषित किया था। डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को सिंचाई डिज़ाइन के मास्टर के रूप में भी जाना जाता है। कृष्णा राजा सागर झील और बाँध उनकी सबसे उल्लेखनीय परियोजनाओं में से एक है, जो कर्नाटक में स्थित है। उस समय वह भारत में सबसे बड़ा जलाशय था। वे मैसूर के दीवान भी रहे। वर्ष 1955 में उनकी अभूतपूर्व तथा जनहितकारी उपलब्धियों के लिये उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया। जब वह 100 वर्ष के हुए तो भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया। उन्हें ब्रिटिश नाइटहुड अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। 

भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता

फरवरी 2020 में लखनऊ में आयोजित पहले ‘भारत-अफ्रीका रक्षा मंत्री सम्मेलन’ के दो वर्ष बाद भारत अगले वर्ष (2022) मार्च माह में ‘डेफ-एक्सपो’ (DefExpo) के अवसर पर ‘भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता’ का आयोजन करेगा। भारत सरकार इस कार्यक्रम को अपनी द्विवार्षिक ‘डेफ-एक्सपो’ (DefExpo) सैन्य प्रदर्शनी के साथ आयोजित होने वाले नियमित कार्यक्रम के रूप के स्थापित करने पर विचार कर रही है। यह वार्ता भारत और अफ्रीकी देशों के बीच मौजूदा साझेदारी के निर्माण में मदद करेगी तथा पारस्परिक जुड़ाव के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का पता लगाने हेतु भी मददगार होगी। यह वार्ता गुजरात के गांधीनगर में आयोजित की जाएगी। आयोजन का व्यापक विषय 'भारत-अफ्रीका: रक्षा और सुरक्षा सहयोग में तालमेल एवं सुदृढ़ीकरण हेतु रणनीति अपनाना’ है। ‘मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान’ को इस संवाद के नॉलेज पार्टनर के रूप में नियुक्त किया गया है, जो भारत एवं अफ्रीकी देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने हेतु आवश्यक सहायता प्रदान करने में मदद करेगा।

अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस

प्रतिवर्ष 12 सितंबर को दक्षिणी क्षेत्र के देशों के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देने हेतु ‘अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस’ का आयोजन किया जाता है। मूलतः ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ का आशय ‘ग्लोबल साउथ’ की परिधि में आने वाले विकासशील देशों के बीच तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है। साथ ही यह दिवस विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने हेतु संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों पर भी प्रकाश डालता है। दक्षिण-दक्षिण सहयोग विकासशील देशों को ज्ञान, कौशल, विशेषज्ञता और संसाधनों को साझा करने में मदद करता है, ताकि उनके विकास लक्ष्यों को सतत् प्रयासों के माध्यम से पूरा किया जा सके। यह पहल ‘ग्लोबल साउथ’ के लोगों के बीच एकजुटता की अभिव्यक्ति है जो उनके राष्ट्रीय कल्याण, उनकी राष्ट्रीय और सामूहिक आत्मनिर्भरता तथा सतत् विकास हेतु वर्ष 2030 एजेंडा सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान देता है। यह दिवस 138 सदस्य देशों द्वारा विकासशील देशों के बीच तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने और लागू करने हेतु वर्ष 1978 में ‘ब्यूनस आयर्स प्लान ऑफ एक्शन’ (BAPA) को अपनाने की याद में भी मनाया जाता है। 

ईरान परमाणु समझौता

मध्य-पूर्वी देश ईरान ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के परमाणु वाचडॉग ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ को ईरानी परमाणु स्थलों पर निगरानी कैमरों के उपयोग की अनुमति दे दी है। ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ और ईरान के बीच इस वार्ता का उद्देश्य तेहरान और पश्चिमी देशों के बीच गतिरोध को कम करना था। ज्ञात हो कि वर्ष 2015 में वैश्विक शक्तियों (P5+1) के समूह (संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, चीन, रूस और जर्मनी) के साथ ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम के लिये दीर्घकालिक समझौते पर सहमति व्यक्त की गई थी। इस समझौते को ‘संयुक्त व्यापक क्रियान्वयन योजना’ (JCPOA) तथा आम बोल-चाल की भाषा में ‘ईरान परमाणु समझौते’ के रूप में नामित किया गया था। इस समझौते के तहत ईरान ने वैश्विक व्यापार में अपनी पहुँच सुनिश्चित करने हेतु अपने परमाणु कार्यक्रमों की गतिविधि पर अंकुश लगाने हेतु सहमति व्यक्त की थी। समझौते के तहत ईरान को शोध कार्यों के संचालन के लिये थोड़ी मात्रा में यूरेनियम जमा करने की अनुमति दी गई। मई 2018 में इस समझौते को दोषपूर्ण बताते हुए अमेरिका इससे अलग हो गया और ईरान पर प्रतिबंध बढ़ाने शुरू कर दिये, जिसके बाद से ईरान लगातार समझौते के तहत उल्लिखित अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन कर रहा है।

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