Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 जून, 2022 | 15 Jun 2022
स्ट्रॉबेरीमून
स्पष्ट आसमान के कारण ब्रिटेन के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देने वाले ‘स्ट्राबेरी मून’ की आश्चर्यजनक छवियाँ प्राप्त हुई हैं। स्ट्रॉबेरी मून का नाम इस विशेष पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा के लाल, गुलाबी रंग से आया है, यह घटना जून में देखी जाती है। इसे एक विशेष अमेरिकी समय से संबंध के कारण भी इस तरह का नाम दिया गया है, जहाँ साल का यह समय आमतौर पर स्ट्रॉबेरी चुनने के मौसम की शुरुआत का का होता है। यह स्ट्रॉबेरी मून सामान्य से बड़ा और चमकीला है क्योंकि यह वर्ष का पहला सुपरमून भी है। वर्ष के दौरान हर 30 दिनों में पूर्णिमा होती है और इसलिये स्ट्रॉबेरी मून कभी भी उसी दिन नहीं दिखाई देता है। उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप में प्राचीन जनजातियों ने चंद्रमा को एक कैलेंडर के रूप में इस्तेमाल किया क्योंकि इसके बदलते चरणों का पालन करना आसान था। उन्होंने प्रत्येक वर्ष के दौरान प्रत्येक पूर्णिमा को मौसम और सभी अपेक्षित प्राकृतिक एवं मानवीय गतिविधियों पर नज़र रखने में मदद करने के लिये विभिन्न नाम दिये।
विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस
हर साल 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस (World Elder Abuse Awareness Day) मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में बुजुर्ग आबादी के साथ दुर्व्यवहार (मौखिक, शारीरिक या भावनात्मक) के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है। 15 जून को बुजुर्गों के लिये एक विशेष दिन के रूप में घोषित करने के अनुरोध के बाद से जून 2006 में इस दिन को मनाया जाने लगा। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा आधिकारिक तौर पर वर्ष 2011 में इस दिन को मान्यता प्रदान की गई थी। वर्ष 2021 में कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र यह दिन और अधिक प्रासंगिक हो जाता है, जिसने दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। महामारी वृद्ध लोगों के लिये भय और पीड़ा का कारण बन रही है। उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करने के अलावा महामारी वृद्ध लोगों को गरीबी, भेदभाव एवं अलगाव के प्रति संवेदनशील बना रही है जो उन्हें कोविड-19 प्रेरित जटिलताओं के बढ़ते जोखिम में डाल रही है। वृद्ध व्यक्तियों को भी चिकित्सा देखभाल तथा जीवन रक्षक उपचारों के संबंध में उम्र संबंधी भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
कबीर जयंती
14 जून को देश भर में कबीर जयंती मनाई गई। इस दिन महान संत कबीरदास का जन्म हुआ हुआ था। कबीर दास जयंती हिंदू चंद्र कैलेंडर (Hindu Lunar Calendar) के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। संत कबीर दास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था। वह 15वीं शताब्दी के रहस्यवादी कवि, संत और समाज सुधारक तथा भक्ति आंदोलन के प्रस्तावक थे। कबीर की विरासत अभी भी ‘कबीर का पंथ’ (एक धार्मिक समुदाय जो उन्हें संस्थापक मानता है) नामक पंथ के माध्यम से चल रही है। उनके छंद सिख धर्म के ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में पाए जाते हैं। उनके प्रमुख कार्यों का संकलन पाँचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव द्वारा किया गया था। उन्होंने अपने दो-पंक्ति के दोहों के लिये सबसे अधिक प्रसिद्धि प्राप्त की, जिन्हें 'कबीर के दोहे' के नाम से जाना जाता है। कबीर की कृतियाँ हिंदी भाषा में लिखी गईं, जिन्हें समझना आसान था। लोगों को जागरूक करने के लिये वह अपने लेख दोहों के रूप में लिखते थे।