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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 जुलाई, 2023

  • 15 Jul 2023
  • 6 min read

रक्षा मंत्रालय और FSSAI द्वारा सशस्त्र बलों में कदन्न और स्वस्थ भोजन को प्रोत्साहन 

रक्षा मंत्रालय तथा भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने सशस्त्र बलों के बीच कदन्न के उपयोग एवं स्वस्थ भोजन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। कदन्न पोषक तत्त्वों से भरपूर, सूखा-सहिष्णु, छोटे बीज वाले बारहमासी पौधे हैं जो अर्द्ध-शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होते हैं। भारत विश्व में कदन्न का सबसे बड़ा उत्पादक है तथा वैश्विक उत्पादन में 20% का योगदान देता है। भारत की कदन्न क्रांति एक आंदोलन है जिसका उद्देश्य कदन्न के स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, पारंपरिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना एवं छोटे पैमाने के किसानों का समर्थन करना है।

ग्रामीण और शहरी भारत PM 2.5 से लगभग समान रूप से प्रभावित 

क्लाइमेट ट्रेंड्स के एक विश्लेषण से पता चला है कि भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2022 में अल्ट्राफाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 के समान रूप से निम्न स्तर का अनुभव हुआ। यह वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये शहरी क्षेत्रों पर सरकार के दृष्टिकोण पर सवाल उठाता है। अध्ययन में कम जीवनकाल के संदर्भ में ग्रामीण आबादी पर PM2.5 के उच्च प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना (NCAP) में मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में निवेश किया गया, प्रदूषण निगरानी या शमन उपायों के बिना ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा की गई। विशेषज्ञ ग्रामीण भारत में प्रदूषण से निपटने के लिये व्यापक निगरानी नेटवर्क और नीतियों की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं। PM 2.5, 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास का एक वायुमंडलीय कण है, जो मानव के बाल के व्यास का लगभग 3% है। इससे श्वसन संबंधी समस्याएँ होती हैं और दृश्यता कम हो जाती है।

और पढ़ें … भारत में वायु प्रदूषण और NCAP

कच्छ में पाई गईं नमक-सहिष्णु पौधों की नई प्रजातियाँ 

गांधीनगर स्थित गुजरात इकोलॉजिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (GEER) फाउंडेशन ने एक रोमांचक खोज की है। शोधकर्त्ताओं ने साल्सोला ओपोसिटिफोलिया डेसफोंटेनिया नामक साल्टवॉर्ट की एक पूर्व अज्ञात प्रजाति की पहचान की है। यह विशेष साल्टवॉर्ट एक बारहमासी झाड़ी है जो कच्छ ज़िले में लवण, शुष्क से अर्द्ध-शुष्क आवासों में उगती है। यह प्रजाति एमरेंथेसी फैमिली से संबंधित है। यह प्रजाति रस युक्त झाड़ी से संबंधित है जो एक से दो मीटर तक लंबी हो सकती है, इसका आधार चिकना, बेलनाकार, लकड़ी जैसा होता है।

हाल ही में प्रकाशित प्लांट डिस्कवरीज़, 2022 को जून 2023 में जारी किया गया था, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल्सोला ओपोसिटिफोलिया डेसफोंटेनिया प्रजाति, जो पहले इटली, उत्तरी अफ्रीका, फिलिस्तीन, स्पेन और पश्चिमी सहारा में पाई जाती थी, को पहली बार भारत में खोजा गया है। यह खोज गुजरात के कच्छ क्षेत्र में स्थित खादिर बेट से एकत्र किये गए नमूनों के आधार पर की गई थी।

IFSCA और IIML-EIC के बीच वित्तीय नवाचार के समर्थन हेतु साझेदारी 

IFSCA और IIML-EIC के बीच फिनटेक FinTech और टेकफिन TechFin संस्थाओं का एक सहयोगी ढाँचा स्थापित करने के लिये भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ ((IIML) में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centers Authority- IFSCA) और IIML-EIC (एंटरप्राइज़ इनक्यूबेशन सेंटर) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गए हैं। IFSCA, नियामक प्राधिकरण के रूप में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) के भीतर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं के विकास और विनियमन की ज़िम्मेदारी रखता है। यह विशिष्ट वित्तीय क्षेत्राधिकार शेष भारत से भिन्न माना जाता है। IFSCA की स्थापना वर्ष 2020 में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम, 2019 के तहत की गई है। इसका मुख्यालय गुजरात के GIFT सिटी, गांधीनगर में है। IIML-EIC एक पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठन है। इसकी स्थापना विशेष रूप से बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, औद्योगिक IoT, डिजिटल हेल्थकेयर, क्लाउड सर्विसेज़, वर्चुअल रियलिटी और 3D प्रिंटिंग के क्षेत्र में उच्च प्रदर्शन वाले स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। 

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