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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 जनवरी, 2022

  • 15 Jan 2022
  • 10 min read

ई-दाखिल पोर्टल:

उपभोक्ता शिकायत के ऑनलाइन समाधान के लिये शुरू किया गया ई-दाखिल पोर्टल (E-Daakhil Portal) अब 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शुरु हो चुका है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, जो 20 जुलाई, 2020 से लागू है, में उपभोक्ता आयोग में ई-फाइलिंग और शिकायत दर्ज करने हेतु ऑनलाइन भुगतान का प्रावधान है। ई-दाखिल पोर्टल उपभोक्ता की शिकायत दर्ज करने से लेकर शिकायत समाधान के लिये निर्धारित शुल्क कहीं से भी अदा करने की सुविधा उपलब्ध कराकर उपभोक्ताओं और उनके अधिवक्ताओं को सशक्त बनाता है। यह उपभोक्ता आयोगों के लिये भी सहायक है। इसकी मदद से उपभोक्ता आयोग आसानी से ऑनलाइन शिकायतों को स्वीकार करने या अस्वीकार करने संबंधी निर्णय ले सकते हैं और संबंधित आयोग के पास आगे की कार्रवाई के लिये अग्रेषित कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को भी सुविधा उपलब्ध कराने के लिये यह निर्णय लिया गया कि सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) को ई-दाखिल के साथ एकीकृत किया जाए। ग्राम पंचायत स्तर पर कई उपभोक्ता ऐसे हो सकते हैं जिनके पास इलेक्ट्रोनिक संसाधन उपलब्ध न हों या उन्हें पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने में असुविधा हो, ऐसे में ग्रामीण उपभोक्ता अपनी शिकायत उपभोक्ता आयोग तक पहुंँचाने के लिये सामान्य सेवा केंद्रों की सेवाएँ ले सकते हैं। 

माघी मेला

हाल ही में कोविड की तीसरी लहर के बावजूद हज़ारों लोग ऐतिहासिक गुरुद्वारों में माघी देने और माघी के अवसर पर 'सरोवर' (पवित्र तालाब) में डुबकी लगाने के लिये एकत्र हुए। पंजाब के मुक्तसर में प्रत्येक वर्ष जनवरी अथवा नानकशाही कैलेंडर के अनुसार माघ के महीने में माघी मेले का आयोजन किया जाता है। माघी वह अवसर है जब गुरु गोबिंद सिंह जी के लिये लड़ाई लड़ने वाले चालीस सिखों के बलिदान को याद किया जाता है। माघी की पूर्व संध्या पर लोहड़ी त्योहार मनाया जाता है, इस दौरान परिवारों में बेटों के जन्म की शुभकामना देने के उद्देश्य से हिंदू घरों में अलाव जलाया जाता है और उपस्थित लोगों को प्रसाद बाँटा जाता है। माघी का दिन की वीरतापूर्ण लड़ाई को सम्मानित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है, उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह को खोज रही मुगल शाही सेना द्वारा किये गए हमले से उनकी रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। मुगल शाही सेना और चाली मुक्ते के बीच यह लड़ाई 29 दिसंबर, 1705 को खिदराने दी ढाब के निकट हुई थी। इस लड़ाई में शहीद हुए चालीस सैनिकों (चाली मुक्ते) के शवों का अंतिम संस्कार अगले दिन किया गया जो कि माघ महीने का पहला दिन था, इसलिये इस त्योहार का नाम माघी रखा गया है। नानकशाही कैलेंडर को सिख विद्वान पाल सिंह पुरेवाल ने तैयार किया था ताकि इसे विक्रम कैलेंडर के स्थान पर लागू किया जा सके और गुरुपर्व एवं अन्य त्योहारों की तिथियों का पता चल सके।

विभिन्न भारतीय फसल कटाई त्योहार

भारत में मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, भोगली बिहू, उत्तरायण और पौष पर्व आदि के रूप में विभिन्न फसल कटाई त्योहार मनाए जाते हैं। मकर संक्रांति एक हिंदू त्योहार है जो सूर्य का आभार प्रकट करने के लिये समर्पित है। इस दिन लोग अपने प्रचुर संसाधनों और फसल की अच्छी उपज के लिये प्रकृति को धन्यवाद देते हैं। यह त्योहार सूर्य के मकर (मकर राशि) में प्रवेश का प्रतीक है। लोहड़ी मुख्य रूप से सिखों और हिंदुओं द्वारा मनाई जाती है। यह दिन शीत ऋतु की समाप्ति का प्रतीक है और पारंपरिक रूप से उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का स्वागत करने के लिये मनाया जाता है। यह मकर संक्रांति से एक रात पहले मनाया जाता है, इस अवसर पर प्रसाद वितरण और पूजा के दौरान अलाव के चारों ओर परिक्रमा की जाती है। पोंगल शब्द का अर्थ है ‘उफान’ (Overflow) या विप्लव (Boiling Over)। इसे थाई पोंगल के रूप में भी जाना जाता है, यह चार दिवसीय उत्सव तमिल कैलेंडर के अनुसार ‘थाई’ माह में मनाया जाता है, जब धान आदि फसलों की कटाई की जाती है और लोग ईश्वर तथा भूमि की दानशीलता के प्रति आभार प्रकट करते हैं कि बिहू उत्सव असम में फसलों की कटाई के समय मनाया जाता है। असमिया नव वर्ष की शुरुआत को चिह्नित करने के लिये लोग रोंगाली/माघ बिहू मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत उस समय हुई जब ब्रह्मपुत्र घाटी के लोगों ने ज़मीन पर हल चलाना शुरू किया। मान्यता यह भी है बिहू पर्व उतना ही पुराना है जितनी की ब्रह्मपुत्र नदी। मकरविलक्कू उत्सव सबरीमाला में भगवान अयप्पा के पवित्र उपवन में मनाया जाता है। यह वार्षिक उत्सव है तथा सात दिनों तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत मकर संक्रांति (जब सूर्य ग्रीष्म अयनांत में प्रवेश करता है) के दिन से होती है। त्योहार का मुख्य आकर्षण मकर ज्योति की उपस्थिति है, जो एक आकाशीय तारा है तथा मकर संक्रांति के दिन कांतामाला पहाड़ियों (Kantamala Hills) के ऊपर दिखाई देता है। मकरविलक्कू ‘गुरुथी' नामक अनुष्ठान के साथ समाप्त होता है, यह उत्सव वनों के देवता तथा वन देवियों को प्रसन्न करने के लिये मनाया जाता है।

भारत- फिलीपींस रक्षा समझौता

भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिये फिलीपींस ने भारत में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल के लिये भारत के साथ 375 मिलियन अमेरिकी डाॅलर का अनुबंध किया है। फिलीपींस ने भारतीय नौसेना के लिये  तट-आधारित एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति हेतु भारतीय ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के 375 मिलियन अमेरिकी डालर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सौदा अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योकि फिलीपींस सरकार के साथ नवीनतम ब्रह्मोस निर्यात ऑर्डर इस क्षेत्र में भारत के लिये अब तक का सबसे बड़ा समझौता होगा। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ब्रह्मोस मिसाइलों को ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा डिज़ाइन, विकसित और निर्मित किया गया है। यह मिसाइल ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget) के सिद्धांत पर कार्य करती है, अर्थात् इसे लॉन्च करने के बाद आगे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस एक संयुक्त उद्यम कंपनी है जिसकी स्थापना रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (The Defence Research and Development Organisation) रूस की मशिनोस्ट्रोयेनिया (Mashinostroyenia) ने की है। यह मध्यम दूरी की सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, जहाज़ों, विमानों या ज़मीन से लॉन्च किया जा सकता है। क्रूज़ मिसाइल पृथ्वी की सतह के समानांतर चलते हैं और उनका निशाना बिल्कुल सटीक होता है। गति के आधार पर ऐसी मिसाइलों को उपध्वनिक/सबसोनिक (लगभग 0.8 मैक), पराध्वनिक/सुपरसोनिक (2-3 मैक) और अतिध्वनिक/हाइपरसोनिक (5 मैक से अधिक) क्रूज मिसाइलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह विश्व की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, साथ ही सबसे तेज़ क्रियाशील एंटी-शिप क्रूज़ मिसाइल भी है। इसकी वास्तविक रेंज 290 किलोमीटर है परंतु लड़ाकू विमान से दागे जाने पर यह लगभग 400 किलोमीटर की दूरी तक पहुँच जाती है। भविष्य में इसे 600 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है। ब्रह्मोस के विभिन्न संस्करण, जिनमें भूमि, युद्धपोत, पनडुब्बी और सुखोई -30 लड़ाकू जेट शामिल हैं, जिनको को पहले ही विकसित किया जा चुका है तथा अतीत में इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। 5 मैक की गति तक पहुँचने में सक्षम मिसाइल का हाइपरसोनिक संस्करण विकासशील है।

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