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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 फरवरी, 2022

  • 15 Feb 2022
  • 13 min read

हिप्पोक्रेटिक शपथ 

हाल ही में इडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association-IMA) ने दीक्षांत समारोह के दौरान हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ (Charak Oath) से प्रतिस्थापित करने के संदर्भ में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission-NMC) द्वारा दिये गए सुझाव का विरोध किया है। IMA के अनुसार, चरक शपथ आधुनिक चिकित्सा की दृष्टि से नहीं बनाई गई थी। IMA का विचार है प्रस्तावित शपथ आधुनिक चिकित्सा को वैश्विक समुदाय से दूर करेगी जो चिकित्सा क्षेत्र के विकास में बाधक होगी। हिप्पोक्रेटिक शपथ नए मेडिकल स्नातकों हेतु एक नैतिक संहिता है। इसे प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स द्वारा लिखा गया था। इस शपथ को वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन (WMA) द्वारा संशोधित किया गया था और वर्ष 1948 में जिनेवा घोषणा के रूप में प्रचारित किया गया। यह चिकित्सकों के पेशेवर कर्तव्यों की रूपरेखा तैयार करती है और वैश्विक चिकित्सा पेशे के नैतिक सिद्धांतों की पुष्टि करती है। इडियन मेडिकल एसोसिएशन भारत में चिकित्सकों का एक राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन है। यह डॉक्टरों के हित या समुदाय की भलाई को देखता है। वर्ष 1928 में इसे ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के रूप में स्थापित किया गया तथा वर्ष1930 में इसका नाम बदलकर “इंडियन मेडिकल एसोसिएशन” कर दिया गया। यह “भारत के समाज अधिनियम” के तहत पंजीकृत एक सोसायटी है।

फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर

फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर को हाल ही में जर्मनी के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल हेतु चुना गया है। ज्ञात हो कि जर्मन राष्ट्रपति के पास काफी कम कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं और ये दैनिक राजनीति से इतर नैतिक अधिकार होते हैं। जर्मनी में राष्ट्रपति पद पर नियुक्त व्यक्ति का प्रथमिक कानूनी दायित्त्व विधेयक पर हस्ताक्षर करना और देश के अंदर या बाहर विभिन्न समारोहों में जर्मनी का प्रतिनिधित्व करना होता है। जर्मनी या संघीय गणराज्य जर्मनी, यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है। भारत और जर्मनी के बीच के द्विपक्षीय संबंध साझा लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी संघीय गणराज्य के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। ज्ञातव्य है कि भारत और जर्मनी G-4 (भारत, जर्मनी, जापान, ब्राज़ील) देशों के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर रहे हैं। 

राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस 

भारत ने 12 फरवरी, 2022 को राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस (National Productivity Day) मनाया जो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये नियोजन समय, कौशल, ऊर्जा, बुद्धिमत्ता, संसाधन और अवसर प्रदान करता है तथा इसका उद्देश्य भारत के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता और गुणवत्ता के प्रति जागरूकता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उन्हें बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का आयोजन राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) द्वारा किया जाता है, जिसके द्वारा “उत्पादकता के माध्यम से आत्मनिर्भरता” (Self-Reliance Through Productivity) थीम के तहत 12 से 18 फरवरी, 2022 तक “राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह” मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का उद्देश्य उत्पादकता, नवाचार और दक्षता पर जागरूकता बढ़ाने के साथ ही इष्टतम संसाधनों के उपयोग से उत्पादन को अधिकतम करना है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद 1958 में स्थापित एक स्वायत्त संगठन है। यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करती है। यह भारत की उत्पादकता संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु समर्पित राष्ट्रीय संस्था है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद को वर्ष 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम- XXI के तहत पंजीकृत किया गया है।

राष्ट्रीय महिला दिवस

भारत में प्रतिवर्ष 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यातव्य है कि भारत में (आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत) पहली महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू के जन्मदिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश की आज़ादी और महिलाओं के अधिकारों के लिये संघर्ष किया। आज़ादी के बाद सरोजिनी नायडू को पहली महिला राज्यपाल बनने का अवसर मिला। भारत में महिलाओं के विकास के लिये सरोजनी नायडू के योगदान को मान्यता देने के लिये उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव भारतीय महिला संघ और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्यों द्वारा किया गया था। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय महिला दिवस 13 फरवरी को, जबकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है।

हिप्पोक्रेटिक शपथ

हाल ही में इडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association-IMA) ने दीक्षांत समारोह के दौरान हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ (Charak Oath) से प्रतिस्थापित करने के संदर्भ में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission-NMC) द्वारा दिये गए सुझाव का विरोध किया है। IMA के अनुसार, चरक शपथ आधुनिक चिकित्सा की दृष्टि से नहीं बनाई गई थी। IMA का विचार है प्रस्तावित शपथ आधुनिक चिकित्सा को वैश्विक समुदाय से दूर करेगी जो चिकित्सा क्षेत्र के विकास में बाधक होगी। हिप्पोक्रेटिक शपथ नए मेडिकल स्नातकों हेतु एक नैतिक संहिता है। इसे प्राचीन यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स द्वारा लिखा गया था। इस शपथ को वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन (WMA) द्वारा संशोधित किया गया था और वर्ष 1948 में जिनेवा घोषणा के रूप में प्रचारित किया गया। यह चिकित्सकों के पेशेवर कर्तव्यों की रूपरेखा तैयार करती है और वैश्विक चिकित्सा पेशे के नैतिक सिद्धांतों की पुष्टि करती है। इडियन मेडिकल एसोसिएशन भारत में चिकित्सकों का एक राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन है। यह डॉक्टरों के हित या समुदाय की भलाई को देखता है। वर्ष 1928 में इसे ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के रूप में स्थापित किया गया तथा वर्ष1930 में इसका नाम बदलकर “इंडियन मेडिकल एसोसिएशन” कर दिया गया। यह “भारत के समाज अधिनियम” के तहत पंजीकृत एक सोसायटी है।

फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर

फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर को हाल ही में जर्मनी के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल हेतु चुना गया है। ज्ञात हो कि जर्मन राष्ट्रपति के पास काफी कम कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं और ये दैनिक राजनीति से इतर नैतिक अधिकार होते हैं। जर्मनी में राष्ट्रपति पद पर नियुक्त व्यक्ति का प्रथमिक कानूनी दायित्त्व विधेयक पर हस्ताक्षर करना और देश के अंदर या बाहर विभिन्न समारोहों में जर्मनी का प्रतिनिधित्व करना होता है। जर्मनी या संघीय गणराज्य जर्मनी, यूरोप महाद्वीप में स्थित एक देश है। भारत और जर्मनी के बीच के द्विपक्षीय संबंध साझा लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी संघीय गणराज्य के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। ज्ञातव्य है कि भारत और जर्मनी G-4 (भारत, जर्मनी, जापान, ब्राज़ील) देशों के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर रहे हैं।

राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस

भारत ने 12 फरवरी, 2022 को राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस (National Productivity Day) मनाया जो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये नियोजन समय, कौशल, ऊर्जा, बुद्धिमत्ता, संसाधन और अवसर प्रदान करता है तथा इसका उद्देश्य भारत के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता और गुणवत्ता के प्रति जागरूकता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उन्हें बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का आयोजन राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) द्वारा किया जाता है, जिसके द्वारा “उत्पादकता के माध्यम से आत्मनिर्भरता” (Self-Reliance Through Productivity) थीम के तहत 12 से 18 फरवरी, 2022 तक “राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह” मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस का उद्देश्य उत्पादकता, नवाचार और दक्षता पर जागरूकता बढ़ाने के साथ ही इष्टतम संसाधनों के उपयोग से उत्पादन को अधिकतम करना है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद 1958 में स्थापित एक स्वायत्त संगठन है। यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करती है। यह भारत की उत्पादकता संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु समर्पित राष्ट्रीय संस्था है। राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद को वर्ष 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम- XXI के तहत पंजीकृत किया गया है।

राष्ट्रीय महिला दिवस

भारत में प्रतिवर्ष 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यातव्य है कि भारत में (आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत) पहली महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू के जन्मदिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश की आज़ादी और महिलाओं के अधिकारों के लिये संघर्ष किया। आज़ादी के बाद सरोजिनी नायडू को पहली महिला राज्यपाल बनने का अवसर मिला। भारत में महिलाओं के विकास के लिये सरोजनी नायडू के योगदान को मान्यता देने के लिये उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव भारतीय महिला संघ और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्यों द्वारा किया गया था। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय महिला दिवस 13 फरवरी को, जबकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है।

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