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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 अप्रैल, 2023

  • 15 Apr 2023
  • 8 min read

कंबम अंगूर को GI टैग 

हाल ही में तमिलनाडु के प्रसिद्ध कंबम पन्नीर थ्राचाई, जिसे कंबम अंगूर के रूप में भी जाना जाता है, को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication- GI) टैग प्रदान किया गया है। तमिलनाडु में पश्चिमी घाट पर स्थित कुंबुम घाटी को 'दक्षिण भारत के अंगूरों के शहर' के रूप में जाना जाता है जहाँ पन्नीर थ्राचाई की खेती की जाती है। यह किस्म, जिसे मस्कट हैम्बर्ग के रूप में भी जाना जाता है, अपनी त्वरित वृद्धि एवं जल्दी परिपक्वता हेतु लोकप्रिय है, साथ ही यह फसल लगभग पूरे वर्ष बाज़ार में उपलब्ध रहती है। पन्नीर अंगूर पहली बार वर्ष 1832 में एक फ्राँसीसी पुजारी द्वारा तमिलनाडु में लाए गए थे, ये विटामिन, टार्टरिक एसिड एवं एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं, साथ ही कुछ पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं। ये बैंगनी भूरे रंग के अलावा बेहतर स्वाद हेतु भी जाने जाते हैं। GI उन उत्पादों हेतु इस्तेमाल किया जाने वाला एक संकेत है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है एवं उन गुणों या विशेषता से युक्त होते हैं जो उस भौगोलिक मूल के कारण होती है। वस्तुओं का भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण एवं बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है। यह TRIPS/ट्रिप्स पर WTO समझौते द्वारा शासित तथा निर्देशित है।

और पढ़ें… भौगोलिक संकेतक टैग

गुणवत्ता नियंत्रण आदेश 

Graphene

वस्त्र मंत्रालय ने तकनीकी नियमों की अधिसूचना की उचित प्रक्रिया पूरी करने के बाद पहले चरण में 19 भू-वस्त्र उत्पाद और 12 सुरक्षात्मक वस्त्र उत्पाद वाली 31 वस्तुओं के लिये 02 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (Quality Control Orders- QCO) प्रारंभ करने की घोषणा की। ये गुणवत्ता नियंत्रण आदेश तकनीकी वस्त्र उद्योग के लिये भारत की तरफ से जारी किये गये पहले तकनीकी नियमन हैं। भू-वस्त्र उत्पाद का उपयोग बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं एवं पर्यावरणीय अनुप्रयोगों के लिये किया जाता है, जबकि सुरक्षात्मक वस्त्रों का इस्तेमाल मानव जीवन को खतरनाक तथा प्रतिकूल कार्य स्थितियों से सुरक्षित रखने हेतु होता है। जारी किये गए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश उपयोगकर्त्ताओं एवं लक्षित उपभोक्ताओं को सर्वोत्तम सुरक्षा अधिमान उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। इस कदम से भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ावा मिलेगा, जो वैश्विक मानकों के समतुल्य होगी। ये दो भू-वस्त्र उत्पाद और सुरक्षात्मक वस्त्र उत्पाद गुणवत्ता नियंत्रण आदेश आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से 180 दिनों के तुरंत बाद लागू होंगे। इन गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों में निर्दिष्ट अनुरूपता मूल्यांकन आवश्यकताएँ घरेलू उत्पादकों के साथ-साथ उन विदेशी निर्माताओं पर भी समान रूप से लागू होती हैं, जो भारत में अपने सामान का निर्यात करना चाहते हैं।

और पढ़ें… राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM), भारत का वस्त्रोद्योग क्षेत्र

ग्राफीन और मैग्नेटोरेसिस्टेंस  

ब्रिटेन के शोधकर्त्ताओं ने ग्राफीन के एक और गुण की खोज की है। यह कमरे के तापमान पर एक असामान्य विशाल चुंबकत्त्व (Giant Magnetoresistance- GMR) प्रदर्शित करता है। GMR परिघटना तब देखी जाती है जब आसन्न चुंबकीय क्षेत्र विद्युत प्रतिरोध की सुचालकता को प्रभावित करता है। इसका उपयोग कंप्यूटर, बायोसेंसर, ऑटोमोटिव सेंसर, माइक्रोइलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम और मेडिकल इमेजर्स में हार्ड डिस्क ड्राइव तथा मैग्नेटोरेसिस्टिव रैम में किया जाता है। GMR-आधारित उपकरण मूल रूप से चुंबकीय क्षेत्र संवेदन के लिये उपयोग किये जाते हैं। नए अध्ययन में पाया गया है कि ग्राफीन आधारित उपकरणों को अपने पारंपरिक फेरोमैग्नेटिक समकक्षों के विपरीत इन क्षेत्रों के संवेदन के लिये न्यूनतम  तापमान की आवश्यकता नहीं होती है। ग्राफीन षट्कोणीय जाली में व्यवस्थित कार्बन परमाणुओं की एक मोटी परत है। यह ग्रेफाइट का मूलभूत घटक है। यह लचीली, पारदर्शी और अविश्वसनीय रूप से मज़बूत होने के साथ-साथ विश्व का सबसे पतला, अधिक तापीय और विद्युत प्रवाहकीय पदार्थ है। ग्राफीन को ऊर्जा एवं चिकित्सा जगत में इसकी अपार संभावनाओं के कारण एक अद्भुत पदार्थ के रूप में भी जाना जाता है

और पढ़ें… भारत का पहला ग्राफीन नवाचार केंद्र 

अमिट स्याही 

Ink

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के दौरान मैसूर में मैसूरु पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड फिर से चर्चा में है क्योंकि यह एकमात्र कंपनी है जिसे भारत में लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल होने वाली अमिट स्याही बनाने की अनुमति है। मैसूर नलवाड़ी कृष्णराज वोडेयार के महाराजा ने वर्ष 1937 में लोगों को रोज़गार प्रदान करने और आसपास के वनों से प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग हेतु कारखाने की स्थापना की। वर्ष 1962 में इसे अमिट स्याही बनाने हेतु चुना गया, जिसका पहली बार देश के तीसरे लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल किया गया। तब से अब तक कंपनी ने पूरे भारत में प्रत्येक चुनाव हेतु स्याही की आपूर्ति की है। इसने अन्य देशों को स्याही का निर्यात भी किया है। इस इकाई को वर्ष 1947 में कर्नाटक की महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में से एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित कर दिया गया था। अमिट स्याही जिसे 'मतदाता स्याही' के रूप में भी जाना जाता है, यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी पात्र मतदाता चुनाव में दो बार मतदान न करे, अतः यह धोखाधड़ी तथा एकाधिक मतदान से बचने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

और पढ़ें…स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव

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