विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 अप्रैल, 2021
- 15 Apr 2021
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फुकुशिमा परमाणु संयंत्र
जापान ने वर्ष 2011 की सुनामी में तबाह हुए फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के एक मिलियन टन से अधिक दूषित जल को समुद्र में छोड़ने की योजना को मंज़ूरी दे दी है। समुद्र में छोड़े जाने से पूर्व इस दूषित जल को यथासंभव उपचारित किया जाएगा, जिससे जल का रेडिएशन/विकिरण स्तर कम होगा और वह पीने योग्य बन सकेगा। हालाँकि स्थानीय मत्स्यपालन उद्योग ने जापान सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया है, क्योंकि इससे स्थानीय जैव-विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा मत्स्यपालकों की आजीविका भी प्रभावित होगी। ज्ञात हो कि फुकुशिमा पॉवर प्लांट के परमाणु रिएक्टर की इमारत वर्ष 2011 में आए भूकंप और सुनामी के बाद हुए हाइड्रोजन विस्फोट के कारण ध्वस्त हो गई थी। इस भूकंप और सुनामी ने परमाणु संयंत्र के रिएक्टर की कूलिंग/शीतलन प्रणाली को प्रभावित किया था, जिससे वहाँ मौजूद तीन रिएक्टर पिघलने लगे थे। पिघले हुए रिएक्टरों को ठंडा करने के लिये एक मिलियन टन से अधिक जल का उपयोग किया गया। वर्तमान में, इसी रेडियोएक्टिव जल का उपचार करने के लिये एक जटिल फिल्ट्रेशन प्रक्रिया का उपयोग किया जा रहा है ताकि इसमें मौजूद अधिकांश रेडियोएक्टिव तत्त्व समाप्त हो जाएँ, किंतु इस प्रक्रिया के बाद भी कुछ तत्त्व पानी में मौजूद रहेंगे, जिसमें ट्राइटियम भी शामिल है। ट्राइटियम की बहुत अधिक मात्रा मनुष्यों के लिये हानिकारक मानी जाती है।
बलबीर सिंह जूनियर
13 अप्रैल, 2021 को पूर्व हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह जूनियर का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 2 मई, 1932 को पंजाब के संसारपुर में जन्मे बलबीर सिंह जूनियर ने मात्र छह वर्ष की आयु में हॉकी खेलना शुरू किया था। 1950 के दशक में भारतीय रेलवे टीम में शामिल होने से पूर्व बलबीर सिंह जूनियर ने इंटर यूनिवर्सिटी हॉकी टूर्नामेंट में पंजाब विश्वविद्यालय टीम की कप्तानी भी की थी। वर्ष 1958 में टोक्यो में आयोजित एशियाई खेलों में, बलबीर सिंह जूनियर को बलबीर सिंह सीनियर के बैकअप (सेंटर फॉरवर्ड) के रूप में भारतीय टीम में शामिल किया गया, हालाँकि टूर्नामेंट में वे इनसाइड-लेफ्ट के रूप में खेले। बलबीर सिंह जूनियर वर्ष 1962 में सेना में एक आपातकालीन कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे और बाद में सेना की ऑर्डिनेंस कोर से मेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए। विदित हो कि बलबीर सिंह जूनियर वर्ष 1958 में आयोजित एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे।
हिमाचल दिवस
प्रत्येक वर्ष 15 अप्रैल को हिमाचल दिवस आयोजित किया जाता है। ध्यातव्य है कि 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल प्रदेश मुख्य आयुक्त प्रांत के रूप में अस्तित्त्व में आया था। भारतीय संविधान लागू होने के साथ 26 जनवरी, 1950 को हिमाचल प्रदेश 'ग' श्रेणी का राज्य बन गया। इसके पश्चात् 1 जुलाई, 1956 को हिमाचल प्रदेश को केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया। वर्ष 1966 में कांगड़ा और पंजाब के अन्य पहाड़ी इलाकों को हिमाचल में मिला दिया गया, किंतु इसका स्वरूप केंद्रशासित प्रदेश का ही रहा। दिसंबर 1970 में संसद द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम पारित किया गया, जिसके फलस्वरूप 25 जनवरी, 1971 को नया राज्य अस्तित्त्व में आया। इस प्रकार हिमाचल प्रदेश, भारतीय गणराज्य का 18वाँ राज्य बना। क्षेत्र के प्राचीनतम ज्ञात जनजातीय निवासियों को ‘दास’ कहा जाता था, बाद में आर्य आए और वे भी इसी क्षेत्र में रहने लगे। राज्य उत्तर में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से, दक्षिण-पश्चिम में पंजाब से, दक्षिण में हरियाणा से, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड से तथा पूर्व में तिब्बत (चीन) की सीमाओं से घिरा हुआ है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की संख्या तकरीबन 68 लाख है और राज्य का कुल क्षेत्रफल लगभग 55,673 वर्ग किलोमीटर है।
लक्षद्वीप और बडगाम: क्षयरोग मुक्त
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में लक्षद्वीप और जम्मू-कश्मीर के बडगाम को क्षयरोग-मुक्त घोषित किया है। इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने वर्ष 2025 तक संपूर्ण भारत से क्षयरोग को समाप्त करने को समाप्त करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। भारत से टीबी का उन्मूलन न सिर्फ भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह समूचे विश्व पर गहरा प्रभाव डालेगा और अन्य देशों को भी इस दिशा में आगे बढ़ने के लिये प्रेरणा मिलेगी। ज्ञात हो कि क्षयरोग बैक्टीरिया (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के कारण होने वाला एक रोग है, जो फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने या थूकने के दौरान हवा के माध्यम से या फिर संक्रमित सतह को छूने से फैलता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में बलगम और खून के साथ खांसी, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वजन कम होना, तथा बुखार इत्यादि के लक्षण देखे जाते हैं। इस संबंध में सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों में- ‘राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम’ (NTEP), ‘निक्षय पोषण योजना’ और ‘टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान’ आदि शामिल हैं।