Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 जनवरी, 2021 | 14 Jan 2021
‘द लाइन’ शहर
हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस, मोहम्मद बिन सलमान ने एक फ्यूचर सिटी 'द लाइन' का अनावरण किया है, जो कि सऊदी अरब की 500 बिलियन डॉलर की ‘नियोम’ (NEOM) परियोजना का हिस्सा है। इस संबंध में घोषणा करते हुए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने बताया कि इस नए शहर में किसी भी तरह का कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा, साथ ही इस शहर में सड़क और कारें भी नहीं होंगी। इस शहर के निर्माण का प्राथमिक उद्देश्य यह दिखाना है कि किस प्रकार मनुष्य अपने गृह पृथ्वी के साथ सामंजस्य बना कर रह सकता है। तकरीबन 170 किलोमीटर लंबी इस परियोजना के कारण अकेले सऊदी अरब में वर्ष 2030 तक 3,80,000 नौकरियों का सृजन होगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस शहर का निर्माण कार्य इसी वर्ष की पहली तिमाही में शुरू हो जाएगा और उम्मीद जताई जा रही है कि परियोजना के पूरा होने के बाद यह सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था में 48 बिलियन डॉलर का योगदान देगा। सऊदी अरब के इस अत्याधुनिक ‘द लाइन’ शहर में कुल एक मिलियन लोग रह सकेंगे और इस शहर का बुनियादी ढाँचा बनाने में कुल 100-200 बिलियन डॉलर तक की लागत आएगी। इस शहर में आवाजाही के लिये ‘अल्ट्रा-हाई स्पीड ट्रांज़िट’ प्रणाली विकसित की जाएगी और इस अत्याधुनिक शहर में किसी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिये 20 मिनट से अधिक समय नहीं लगेगा। ज्ञात हो कि सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर तेल पर निर्भर है और ‘नियोम’ (NEOM) परियोजना के माध्यम से सऊदी अरब अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने का प्रयास कर रहा है।
‘ASMI’ मशीन पिस्तौल
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सेना ने संयुक्त तौर पर भारत की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल- ‘ASMI’ विकसित की है। स्वदेशी रूप से निर्मित इस पिस्तौल का इस्तेमाल वर्तमान में रक्षा बलों द्वारा प्रयोग की जा रही 9 एमएम पिस्तौल के स्थान पर किया जा सकता है। DRDO द्वारा विकसित इस मशीन पिस्तौल की फायरिंग रेंज तकरीबन 100 मीटर है और इस पिस्तौल के प्रोटोटाइप से अब तक बीते चार महीनों में कुल 300 राउंड फायर किये गए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित यह मशीन पिस्तौल इज़राइल की उजी सीरीज़ (Uzi series) की बंदूक की श्रेणी में आती है। इस प्रकार के व्यक्तिगत रक्षा हथियार प्रायः दुनिया भर में सशस्त्र बलों और पुलिस कर्मियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि ये काफी हल्के, सस्ते और प्रभावी होते हैं तथा इनका संचालन आसानी से किया जा सकता है। वर्ष 1958 में DRDO की स्थापना रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मात्र 10 प्रयोगशालाओं के साथ की गई थी और इसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिये अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के डिज़ाइन तथा विकास का कार्य सौंपा गया था। यह रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है।
पूर्व सैनिक दिवस
भारतीय सशस्त्र सेनाओं द्वारा प्रतिवर्ष 14 जनवरी को पूर्व सैनिकों के सम्मान में पूर्व सैनिक दिवस (वेटरन्स डे) मनाया जाता है। भारतीय सशस्त्र सेनाओं के पहले कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा, के सेना में दिये गए अतुलनीय योगदान की याद में यह दिवस मनाया जाता है। फील्ड मार्शल करियप्पा वर्ष 1953 में इसी दिन सेवानिवृत्त हुए थे। इस दिवस पर हमारे बहादुर सेना नायकों और पूर्व सैनिकों की राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा और बलिदान के सम्मान में तथा उनके परिजनों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने हेतु देश के विभिन्न क्षेत्रों में पूर्व सैनिकों के लिये सम्मिलन कार्यक्रम (वेटरन्स मीट्स) आयोजित किये जाते हैं। वर्ष 1899 में कर्नाटक में जन्मे फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा को स्वतंत्र भारत के पहले सेना प्रमुख के रूप में जाना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के विरुद्ध बर्मा (वर्तमान म्याँमार) में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिये उन्हें प्रतिष्ठित ‘ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर’ (OBE) से भी सम्मानित किया गया था। 15 जनवरी, 1949 को के.एम. करियप्पा को भारतीय सेना का पहला कमांडर-इन-चीफ बनाया गया था। उन्हें फील्ड मार्शल की फाइव-स्टार रैंक भी दी गई थी, जो कि भारतीय सेना का सर्वोच्च सम्मान है और इसे अब तक दो ही लोग प्राप्त कर सके हैं, पहले फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा और दूसरे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ।
कोलैबकैड सॉफ्टवेयर
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC), केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और शिक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से जल्द ही कोलैबकैड (CollabCAD) सॉफ्टवेयर लॉन्च किया जाएगा। कंप्यूटर-सक्षम सॉफ्टवेयर प्रणाली- कोलैबकैड एक सहयोगी नेटवर्क है, जो छात्रों और इंजीनियरिंग ग्राफिक्स पाठ्यक्रम के शिक्षकों के लिये 2D ड्राफ्टिंग और डिटेलिंग से लेकर 3D प्रोडक्ट डिज़ाइन आदि में सहायता प्रदान करेगा। इस पहल का उद्देश्य पूरे देश में छात्रों को रचनात्मकता और कल्पना के मुक्त प्रवाह के साथ 3D डिजिटल डिज़ाइन बनाने और उसमें कुछ नयापन लाने के लिये एक मंच प्रदान करना है। यह सॉफ्टवेयर छात्रों को पूरे नेटवर्क में अन्य छात्रों को उनके डिज़ाइनों के निर्माण में सहयोग करने और साथ ही उस डिज़ाइन के डेटा तक पहुँचने में सक्षम बनाएगा। कोलैबकैड सॉफ्टवेयर का उपयोग विभिन्न प्रकार के 3D डिज़ाइन और 2D ड्राइंग बनाने हेतु विषय के पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में किया जाएगा। देश भर के लगभग 140 से अधिक स्कूलों के छात्रों को इस सॉफ्टवेयर तक पहुँच प्राप्त होगी, जिसे इंजीनियरिंग ग्राफिक्स की व्यावहारिक परियोजनाओं और अवधारणाओं को समझने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।