Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 अगस्त, 2022 | 13 Aug 2022
पार्श्वगायक सुबन्ना
कन्नड़ भाषा के प्रसिद्ध पार्श्वगायक सुबन्ना का 11 अगस्त, 2022 को बंगलूरू में हृदयघात से निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे। वह दशकों तक कन्नड़ संगीत की दुनिया में छाए रहे। सुबन्ना पहले कन्नड़ गायक थे, जिन्हें उनके गीत काडू कुडूर ओडि बेनडिटा के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रकवि कुवेम्पु द्वारा लिखित 'बारीसु कन्नड़ दिंडीमावा' गाने के बाद वह कर्नाटक में प्रसिद्ध हो गए। उन्हें सुगमा संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये जाना जाता है, यह एक शैली है जो कन्नड़ में कविता संगीत के लिये निर्धारित है। सुबन्ना ने कुवेम्पु एवं दा रा बेंद्रे जैसे प्रसिद्ध कवियों की कविताओं पर काम किया और गाया है तथा कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किये हैं। वह आकाशवाणी और दूरदर्शन के गायक भी थे और उन्होंने एक वकील के रूप में काम किया था।
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस, 2022
युवाओं की समस्याओं को पहचानने और उन पर ध्यान दिलाने के लिये प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। यह संयुक्त राष्ट्र महासभा में, लिस्बन में युवाओं के कल्याण के लिये ज़िम्मेदार मंत्रियों के विश्व सम्मेलन द्वारा की गई सिफारिश पर आधारित था। प्रथम अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 12 अगस्त, 2000 को मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र हर साल एक थीम तय करता है जो सभी वैश्विक समुदायों और नागरिकों के लिये प्रासंगिक है। वर्ष 2022 के लिये इस दिवस की थीम “अंतरपीढ़ीगत एकजुटता: सभी उम्र हेतु विश्व का निर्माण (Intergenerational solidarity: Creating a world for all ages)” है। हालाँकि युवा क्षमता को साकार करने संबंधी विभिन्न चुनौतियाँ मौजूद हैं, भारत की अल्प वित्तपोषित शिक्षा प्रणाली रोज़गार के उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिये युवाओं को आवश्यक कौशल प्रदान करने हेतु अपर्याप्त अवसर है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि महामारी के कारण स्कूल बंद होने से बच्चों के सीखने, जीवन और मानसिक कल्याण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के सर्वेक्षण से पता चलता है कि विश्व में 65% किशोरों ने महामारी के दौरान कम सीखने की सूचना दी। बाल विवाह, लिंग आधारित हिंसा, दुर्व्यवहार और तस्करी के प्रति उनकी संवेदनशीलता, ये सभी मुद्दे युवा महिलाओं को उनकी पूरी क्षमता हासिल करने से रोकते हैं।
'मीठी क्रांति (स्वीट रिवोल्यूशन)'
मधुमक्खी पालन और उससे संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के माध्यम से प्रधानमंत्री की 'मीठी क्रांति (स्वीट रिवोल्यूशन)' की परिकल्पना के अनुरूप शहद की निर्यात क्षमता का दोहन करने के लिये केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और किसानों के सहयोग से देश भर में कार्यक्रमों की एक शृंखला आयोजित करने की योजना बनाई है। ऐसा ही एक कार्यक्रम चंडीगढ़ में निर्यातकों, हितधारकों और सरकारी अधिकारियों को शामिल करते हुए शहद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये ‘वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय’ के अंतर्गत ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA)’ द्वारा आयोजित किया जाना है जिसमें गुणवत्ता उत्पादन सुनिश्चित करके किसानों को शहद उत्पादन के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा। विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक स्तर पर शहद की प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर विशेषताओं और चीनी के एक स्वस्थ्य विकल्प के कारण इसकी खपत में कई गुना वृद्धि को देखते हुए APEDA का लक्ष्य अब नए देशों में गुणवत्ता उत्पादन और बाज़ार विस्तार सुनिश्चित करके शहद के निर्यात को बढ़ावा देना है। वर्तमान में भारत का प्राकृतिक शहद निर्यात मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के बाज़ार पर निर्भर है जो इस निर्यात का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत पहल’ के एक हिस्से के रूप में सरकार ने ‘राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM)’ के लिये तीन वर्ष (2020-21 से 2022-23) की अवधि हेतु 500 करोड़ रुपए के आवंटन को मंज़ूरी दी है।