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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 जून, 2021

  • 12 Jun 2021
  • 7 min read

मार्गरिटा हैक 

हाल ही में गूगल ने एक एनिमेटेड डूडल के माध्यम से इतालवी खगोलशास्त्री मार्गरिटा हैक को श्रद्धांजलि अर्पित की। ‘मार्गरिटा हैक’ को वर्ष 1995 में क्षुद्रग्रह ‘8558 हैक’ की खोज करने का श्रेय दिया जाता है, जिसका नामकरण उन्हीं के नाम पर किया गया है। मार्गरिटा हैक का जन्म 12 जून, 1922 को फ्लोरेंस (इटली) में हुआ था और वह इटली के ही ट्रिएस्ट विश्वविद्यालय में खगोल विज्ञान की प्रोफेसर थीं। वह वर्ष 1964 से वर्ष 1987 तक ट्रिएस्ट खगोलीय वेधशाला की पहली इतालवी महिला भी थीं। मार्गरिटा हैक की वैज्ञानिक और अनुसंधान गतिविधियों में काफी अधिक रुची थी। हालाँकि उनकी प्राथमिक रुची अंतरिक्ष में मौजूद तारों की स्पेक्ट्रोस्कोपिक विशेषताओं के अवलोकन और व्याख्या करने में थी। वर्ष 1970 के दशक के दौरान उन्होंने कोपर्निकस उपग्रह से प्राप्त यूवी डेटा पर कार्य किया, जिसका उद्देश्य तारकीय वातावरण के बाहरी हिस्से में होने वाली ऊर्जावान घटनाओं का अध्ययन करना था। कोपर्निकस उपग्रह के डेटा पर आधारित उनका पहला शोध लेख वर्ष 1974 में ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। विज्ञान के अलावा वह शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में भी सक्रिय थीं। 12 जून, 2012 को उनके 90वें जन्मदिवस पर उन्हें इतालवी गणराज्य के सर्वोच्च सम्मान ‘दमा डि ग्रान क्रोस’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

‘फर्मिना’ अंडरसी केबल

हाल ही में दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने दुनिया की सबसे लंबी अंडरसी केबल का निर्माण करने की घोषणा की है, जो इंटरनेट कनेक्शन क्षमता को मज़बूत करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राज़ील, उरुग्वे और अर्जेंटीना को जोड़ेगी। गूगल के मुताबिक, ‘फर्मिना’ नामक यह केबल दुनिया की सबसे लंबी अंडरसी केबल होगी। ‘फर्मिना’ दक्षिण अमेरिका में उपयोगकर्त्ताओं के लिये गूगल सेवाओं तक पहुँच में सुधार करेगी। 12 फाइबर पेअर के साथ यह केबल उत्तर और दक्षिण अमेरिका के बीच ट्रैफिक को तेज़ी से और सुरक्षित रूप से पहुँचाने में मदद करेगी, जिससे उपयोगकर्त्ता गूगल उत्पादों जैसे सर्च इंजन, जीमेल और यूट्यूब के साथ-साथ गूगल क्लाउड जैसी सेवाओं का आसानी से उपयोग कर सकेंगे। ज्ञात हो कि यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब कोविड-19 महामारी के कारण वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन खरीदारी, ऑनलाइन एंटरटेनमेंट आदि में बढ़ोतरी के कारण इंटरनेट तथा क्लाउड सेवाओं की मांग में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है। इस अंडरसी केबल को अमेरिकी कंपनी ‘सबकॉम’ द्वारा डिज़ाइन एवं स्थापित किया जाएगा और यह वर्ष 2023 के अंत तक तैयार हो जाएगी। 

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस

प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व भर में ‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को बाल श्रम के विरुद्ध जागरूक करना और इसके उन्मूलन के लिये आवश्यक कार्यवाही एवं प्रयासों को बढ़ावा देना है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी। इस दिवस की शुरुआत प्रायः बाल श्रम को समाप्त करने हेतु विभिन्न देशों की सरकार को एक साथ एक मंच पर लाने और इस प्रथा को खत्म करने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों के प्रति लोगों को अवगत करने के उद्देश्य से की गई थी। वर्ष 2021 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम ‘एक्ट नाउ: इंड चाइल्ड लेबर' है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुताबिक, वर्तमान में विश्व भर में लगभग 218 मिलियन बच्चे बाल श्रम में संलग्न हैं। उनमें से आधे से अधिक बाल श्रम के सबसे खराब रूपों जैसे- खतरनाक वातावरण में कार्य, गुलामी, ज़बरन श्रम, मादक पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति आदि में संलग्न हैं, इसके अलावा कई बच्चे सशस्त्र संघर्ष में भी शामिल हैं। वैश्विक महामारी के कारण दुनिया भर में बाल श्रम में महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है, ऐसे में बाल श्रम के उन्मूलन के लिये किये गए विभिन्न प्रयास भी कमज़ोर हो गए हैं। इस चुनौतीपूर्ण समस्या को हल करने हेतु सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज को एक साथ आने और सहयोगात्मक प्रयास करने की आवश्यकता है।

प्रोफेसर राधा मोहन

हाल ही में प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर राधा मोहन का 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। ओडिशा के पूर्व सूचना आयुक्त और अर्थशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर राधा मोहन और उनकी बेटी को जैविक तकनीकों का उपयोग करके बंजर भूमि के एक टुकड़े को दुर्लभ उपज वाले एक विशाल जंगल के रूप में बदलने का श्रेय दिया जाता है। कृषि क्षेत्र में उनके योगदान के लिये उन्हें वर्ष 2020 में उनकी बेटी साबरमती के साथ पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1990 में उन्होंने 'संभव' नामक एक सामाजिक संगठन की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के बारे में शिक्षित करना है। वर्ष 1943 में ओडिशा के नयागढ़ ज़िले में जन्मे राधा मोहन ने अर्थशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। इसके पश्चात् उन्हें राज्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया, साथ ही उन्होंने राज्य के विभिन्न कॉलेजों में अर्थशास्त्र भी पढ़ाया।

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