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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 सितंबर, 2020

  • 11 Sep 2020
  • 7 min read

सी.आर. राव

पद्म विभूषण से सम्मानित और देश के प्रसिद्ध सांख्यिकीविद (Statistician) प्रोफेसर काल्यमपुदी राधाकृष्ण राव या प्रोफेसर सी.आर. राव को उनके 100वें जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित एक ऑनलाइन संगोष्ठी में सम्मानित किया गया। सी.आर. राव का जन्म वर्ष 1920 को वर्तमान कर्नाटक में हुआ था। आंध्रप्रदेश से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के पश्चात् उन्होंने वर्ष 1943 में पश्चिम बंगाल के कलकत्ता विश्विद्यालय से सांख्यिकी में मास्टर की डिग्री हासिल की थी। 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने से पूर्व सी.आर. राव ने वर्ष 1931 में स्थापित भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute-ISI) में कार्य किया। भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) में कार्य करते हुए सी.आर. राव को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय भेजा गया जहाँ उन्होंने तकरीबन दो वर्ष (1946–48) तक शोध कार्य किया। इसी दौरान वर्ष 1948 में सी.आर. राव ने गणितीय सांख्यिकी के प्रसिद्ध विद्वान सर रोनाल्ड ए. फिशर के मार्गदर्शन में पीएचडी (Ph.D) की डिग्री हासिल की। भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) से सेवानिवृत्त होने के बाद वे अमेरिका चले गए और वहाँ पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय तथा पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में बतौर प्रोफेसर कार्य किया। 

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय

वरिष्ठ कलाकार परेश रावल को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama-NSD) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस संबंध में घोषणा करते हुए केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह ने कहा कि ‘परेश रावल की प्रतिभा का लाभ देश के कलाकारों एवं छात्रों को अवश्य मिलेगा।’ ध्यातव्य है कि परेश रावल ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत वर्ष 1982 में एक गुजराती फिल्म से की थी। परेश रावल उन कुछ चुनिंदा अभिनेताओं में से एक हैं, जो फिल्मी दुनिया में सफलता हासिल करने के बाद भी थिएटर में काफी सक्रिय रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) विश्व के अग्रणी नाट्य प्रशिक्षण संस्थाओं में से एक और भारत में अपनी तरह का एक मात्र संस्थान है। इसकी स्थापना संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Akademi) द्वारा उसकी एक इकाई के रूप में वर्ष 1959 में की गई। वर्ष 1975 में यह एक स्वतंत्र संस्था बनी और वर्तमान में यह संस्था संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित एक शिक्षण संस्थान के रूप में कार्य कर रही है। 

धरोहर पर्यटन नीति

गुजरात सरकार ने राज्‍य की पहली धरोहर पर्यटन नीति (Heritage Tourism Policy) की घोषणा की है। राज्य की इस नई धरोहर पर्यटन नीति में राज्य के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय आगंतुकों हेतु प्राचीन महलों, किलों और अन्य विरासत स्मारकों को खोलने का प्रावधान किया गया है। नई नीति के मुताबिक वर्ष 1950 से पूर्व की सभी ऐतिहासिक इमारतों को धरोहर होटलों, धरोहर म्‍यूज़ियम और धरोहर रेस्‍टोरेंट के रूप में इस्‍तेमाल करने की इजाज़त देने का प्रावधान है। यह नीति न केवल राज्य में आने वाले पर्यटकों को राज्य के ऐतिहासिक स्मारकों में ठहरने और उनका अनुभव लेने का अवसर प्रदान करेगी, बल्कि यह स्थानीय रोज़गार और राज्य पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी। इस नीति के अंतर्गत व्‍यवसायिक गतिविधियों से राज्य की धरोहर इमारतों को किसी तरह का नुकसान न हो, इस बात का भी ध्‍यान रखा गया है। इस निर्णय से राज्य में ऐतिहासिक इमारतों को पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र के रूप में विकसित करने में काफी मदद मिलेगी। इस नीति के तहत राज्‍य सरकार मौजूदा और नए होटलों के रख-रखाव तथा विस्‍तार के लिये पाँच से दस करोड़ रुपए तक की सहायता राशि उपलब्‍ध कराएगी। 

चीन के छात्रों का वीज़ा रद्द

अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए चीन के 1,000 से अधिक छात्रों और शोधकर्त्ताओं का वीज़ा रद्द कर दिया है। इस संबंध में जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, अमेरिका द्वारा वीज़ा रद्द करने की इस कार्यवाही का मुख्य उद्देश्य अमेरिका की प्रौद्योगिकी, बौद्धिक संपदा और सूचना की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस निर्णय के संबंध में चीन ने अमेरिका पर नस्लीय भेदभाव का आरोप लगाया है। आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018-19 में चीन के तकरीबन 370,000 छात्रों ने अमेरिका के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में दाखिला लिया था। इस प्रकार अमेरिका द्वारा जिन छात्रों का वीज़ा रद्द किया गया है, वे अमेरिका में चीन की छात्र आबादी का बहुत ही छोटा सा हिस्सा हैं। ध्यातव्य है कि शिक्षा अमेरिका-चीन संघर्ष के लिये एक नए क्षेत्र के रूप में सामने आ रहा है। इसके अलावा बीते कुछ वर्षों में उद्योग विकास एवं तकनीक के मुद्दे पर अमेरिका और चीन के मध्य तनाव में काफी तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है।

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