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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 मई, 2021

  • 11 May 2021
  • 8 min read

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीयों की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देने के लिये प्रतिवर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन किया जाता है। 11 मई, 1998 को भारत ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में तीन सफल परमाणु परीक्षण किये थे। यह मिशन भारतीय सेना द्वारा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), परमाणु खनिज निदेशालय अन्वेषण एवं अनुसंधान (AMDER) निदेशालय के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया था। इन परीक्षणों का नेतृत्त्व दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा किया गया था। 11 मई, 1999 को पहली बार राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया था। इन परीक्षणों ने भारत को ‘थर्मोन्यूक्लियर हथियार’ और ‘परमाणु विखंडन बम’ बनाने में सक्षम बनाया था। इन परमाणु परीक्षणों के साथ-साथ आज ही के दिन (11 मई) भारत ने अपने पहले स्वदेशी विमान ‘हंसा-3’ का भी परीक्षण किया था, जिसे राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला द्वारा डिज़ाइन किया गया था और इसने कर्नाटक के बंंगलूरू में उड़ान भरी थी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारत की सतह-से-हवा में मार करने वाली ‘त्रिशूल मिसाइल’ का भी सफलतापूर्वक परीक्षण करके इसे भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया था। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2021 की थीम ‘सतत् भविष्य के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ है। 

‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज़’ ड्रग 

‘ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ (DGCI) ने हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक एंटी-कोविड ड्रग को मंज़ूरी दे दी है, जो कि कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर रोगियों के लिये एक आपातकालीन समय में सहायक चिकित्सा थेरेपी के रूप में प्रयोग की जा सकेगी। ‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज़’ (2-DG) ड्रग के नैदानिक ​​परीक्षणों से प्राप्त सूचना के मुताबिक, यह दवा अस्पताल में भर्ती रोगियों की तीव्र रिकवरी में मदद करती है और ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करती है। दवा को मंज़ूरी ऐसे समय में मिली है जब भारत कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के साथ जूझ रहा है, जिसने देश के स्वास्थ्य ढाँचे की सीमाओं को उजागर किया है। इस एंटी-कोविड ड्रग को ‘नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान’ द्वारा विकसित किया गया है, जो कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक प्रमुख प्रयोगशाला है। सहायक चिकित्सा थेरेपी एक ऐसी उपचार पद्धति है, जिसका उपयोग प्राथमिक उपचार के साथ किया जाता है। यह ड्रग, वायरस संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाता है और वायरल संश्लेषण तथा ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस के विकास को रोकता है और उसे निष्क्रिय कर देता है। 

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस

इस वर्ष 08 मई को विश्व भर में ‘विश्व प्रवासी पक्षी दिवस’ (WMBD) का आयोजन किया गया। विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (WMBD) एक वार्षिक जागरूकता अभियान है, जिसका उद्देश्य प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है। इस आयोजन के तहत प्रवासी पक्षियों, उनके पारिस्थितिक महत्त्व, उनके समक्ष मौज़ूद चुनौतियों और उनके संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता के संबंध में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने में मदद की जाती है। इसे संयुक्त राष्ट्र की दो संधियों ‘वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर सम्मेलन’ एवं ‘अफ्रीकन-यूरेशियन वॉटरबर्ड एग्रीमेंट’ (AEWA) और एक गैर-लाभकारी संगठन (एनवायरमेंट फॉर द अमेरिका) के बीच एक सहयोगात्मक संयुक्त रूप से मनाया जाता है। पहली बार ‘विश्व प्रवासी पक्षी दिवस’ को वर्ष 2006 में मनाया गया था। यह दिवस वर्ष में दो बार (मई एवं अक्तूबर महीने के दूसरे शनिवार को) मनाया जाता है। इस वर्ष प्रवासी पक्षी दिवस का थीम ‘सिंग, फ्लाई, सोर - लाइक ए बर्ड’ है। पक्षियों के बीच कई अलग-अलग प्रवासन पैटर्न देखे जाते हैं। अधिकांश पक्षी उत्तरी प्रजनन क्षेत्रों से दक्षिणी सर्दियों के मैदानों की ओर पलायन करते हैं। हालाँकि, कुछ पक्षी अफ्रीका के दक्षिणी हिस्सों में प्रजनन करते हैं और सर्दियों में उत्तरी मैदान या क्षैतिज रूप से पलायन करते हैं। 

मनोज दास अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार 

हाल ही में ओडिशा सरकार ने राज्य के प्रख्यात साहित्यकार मनोज दास की स्मृति में 'मनोज दास अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार' प्रदान करने की घोषणा की है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष अंग्रेज़ी साहित्य में रचनात्मक योगदान देने वाले ओडिशा के साहित्यकारों को प्रदान किया जाएगा। इसके तहत पुरस्कार के तौर पर 10 लाख रुपए का नकद इनाम दिया जाएगा। ओडिशा के प्रख्यात शिक्षाविद और जाने-माने द्विभाषी साहित्यकार मनोज दास का हाल ही में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। वर्ष 1934 में ओडिशा में जन्‍मे मनोज दास ने ओडिया और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में महत्त्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ कीं। मनोज दास को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 2001 में पद्मश्री और वर्ष 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा राज्य सरकार ने हाई स्कूल के छात्रों को उनके रचनात्मक कार्यों हेतु ‘मनोज-किशोर साहित्य प्रतिभा पुरस्कार’ प्रदान करने की भी घोषणा की है, ताकि ओडिया और अंग्रेज़ी साहित्य दोनों में युवाओं के बीच रुचि विकसित की जा सके।

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