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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 जून, 2021

  • 11 Jun 2021
  • 7 min read

मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना

हाल ही में राजस्थान सरकार ने ‘मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना’ के मसौदे को मंज़ूरी दी है, जिसके तहत कृषि बिजली उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 1,000 रुपए प्रदान किये जाएंगे। इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा मीटर उपभोक्ताओं को बिजली बिलों पर प्रतिमाह 1,000 रुपए और अधिकतम 12,000 रुपए प्रतिवर्ष प्रदान किये जाएंगे। इस संबंध में जारी अधिकारिक बयान के मुताबिक, इस योजना के कारण राज्य सरकार पर प्रतिवर्ष 1,450 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ आएगा। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियों द्वारा द्वैमासिक आधार पर बिजली बिल जारी किये जाएंगे। विदित हो कि केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी तथा अन्य आयकर दाता इस योजना के तहत सब्सिडी के लिये पात्र नहीं होंगे। पात्र उपभोक्ताओं को योजना के साथ अपना आधार नंबर और बैंक खाता लिंक कराना होगा। योजना के तहत अनुदान राशि तभी देय होगी जब उपभोक्ताओं द्वारा अपनी सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा। बकाया राशि का भुगतान करने के बाद उपभोक्ताओं को आगामी बिजली बिल पर सब्सिडी राशि देय होगी। इस योजना की घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2021-22 के बजट में की गई थी। 

विदेशी प्रतिबंधों का मुकाबला करने हेतु चीन का कानून

चीन ने विदेशी प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिये हाल ही में एक नया कानून पारित किया है, जिसका उद्देश्य व्यापार और मानवाधिकारों पर अमेरिका तथा यूरोपीय संघ के बढ़ते दबाव के विरुद्ध अपना बचाव करना है। चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर चीन की कंपनियों को ‘दबाने’ का आरोप लगाया है। चीन द्वारा पारित इस कानून में वीज़ा जारी करने से इनकार करने, प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने, निर्वासन और उन व्यक्तियों या व्यवसायों की संपत्ति को ज़ब्त करने, जो चीन के व्यवसायों या अधिकारियों के खिलाफ विदेशी प्रतिबंधों लागू करते हैं या ऐसा करने में मदद करते हैं, जैसे प्रावधान शामिल हैं। बीते कई दिनों से अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा हॉन्गकॉन्ग और शिनजियांग जैसे क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन और बौद्धिक संपदा की चोरी को लेकर चीन की आलोचना की जा रही है। बीते सप्ताह ‘व्हाइट हाउस’ ने उन कंपनियों की ब्लैकलिस्ट का विस्तार किया था, जिन पर चीन की सेना के साथ संबंध के कारण अमेरिकियों द्वारा निवेश किये जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। 

बुद्धदेव दासगुप्ता

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रख्यात बंगाली फिल्म निर्माता बुद्धदेव दासगुप्ता (77 वर्ष) के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपनी विश्व प्रसिद्ध फिल्मों और कविताओं से हमारी कला तथा संस्कृति को समृद्ध किया है। गौतम घोष और अपर्णा सेन के साथ बुद्धदेब दासगुप्ता को 1980 और 1990 के दशक में बंगाल में समानांतर सिनेमा आंदोलन के ध्वजवाहक के रूप में जाना जाता है। दूरत्व (1978), गृहजुद्धा (1982) और अंधी गली (1984) जैसी उनकी प्रारंभिक फिल्में बंगाल में नक्सली आंदोलन और बंगाली लोगों की सामूहिक चेतना पर उसके प्रभाव पर केंद्रित थीं। बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपने कॅॅरियर में पाँच बार सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिये राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था, जिसमें बाग बहादुर (1989), चरचर (1993), लाल दर्जा (1997), मोंडो मेयर उपाख्यान (2002) और कालपुरुष (2008) शामिल हैं, जबकि उनकी फिल्में दूरत्व (1978) और तहदार कथा (1993) ने बांग्ला में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था। उन्हें उनकी फिल्मों उत्तरा (2000) और स्वप्नेर दिन (2005) के लिये सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। वे एक महत्त्वपूर्ण कवि भी थे, जिन्होंने कई कविता संग्रहों का प्रकाशन किया। इसके अलावा उन्हें वर्ष 2008 में मैड्रिड में आयोजित ‘स्पेन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

चक्रवात डिटेक्शन तकनीक

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर के शोधकर्त्ताओं ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों से पूर्व ही हिंद महासागर के ऊपर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का पता लगाने में मददगार साबित हो सकती है। इस तकनीक के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को चक्रवात का पता लगाने और उसके प्रभाव के बीच एक बड़ा समय अंतराल मिल सकेगा, जिससे चक्रवात प्रबंधन संबंधी गतिविधियों में मदद मिलेगी। खड़गपुर के शोधकर्त्ताओं द्वारा इस तकनीक के तहत वायुमंडलीय कॉलम में पूर्व-चक्रवाती गतिविधियों के प्रारंभिक साक्ष्यों की पहचान की जाती है और इसके स्थानिक-अस्थायी विकास को ट्रैक किया जाता है। इस तकनीक के तहत अध्ययन भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से ‘जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम’ के तहत आयोजित किया गया है। इसके तहत शोधकर्त्ताओं ने मानसून के पश्चात् उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर विकसित चार गंभीर चक्रवातों - फैलिन, वरदा, गाजा, माडी और मानसून से पूर्व के दोचक्रवातों- मोरा और आइला का अध्ययन किया।

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