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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 अक्तूबर, 2022

  • 10 Oct 2022
  • 6 min read

पूर्वोत्तर परिषद  

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने 9 सितंबर, 2022 को गुवाहाटी में पूर्वोत्तर परिषद की 70वीं पूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में पूर्वोत्तर के राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, पूर्वोत्तर मामलों के केंद्रीय मंत्री एवं राज्यमंत्री सहित केंद्र और पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के विकास की राह में दशकों से तीन प्रमुख बाधाएँ थीं- उग्रवादी समूहों द्वारा हिंसा और अशांति, पूर्वोत्तर में रेल, सड़क तथा हवाई संपर्क की कमी एवं पूर्वोत्तर के विकास पर बल न देना। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के पूर्वोत्तर की भाषाओं, संस्कृतियों, खानपान और वेशभूषा को पूरा भारत अपनी धरोहर मानता है तथा इस क्षेत्र की नैसर्गिक पहचान को बचाए रखने व इसके संवर्द्धन के लिये भारत सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है। भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में विश्व में पाँचवें स्थान पर है और इसे विश्व में दूसरे स्थान पर पहुँचाने में योगदान देने के लिये पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।भारत सरकार के लिये प्राकृतिक कृषि एवं डिजिटल कृषि प्राथमिकता का विषय हैं तथा प्राकृतिक उत्पादों के प्रमाणन के लिये अमूल और 5 अन्य सहकारी समितियों को मिलाकर एक बहुराज्यीय सहकारी समिति बनाने पर विचार किया जा रहा है।

उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 9 अक्तूबर, 2022 को उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास की 145वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उत्कलमणि गोपबंधु दास ओडिशा में नवजागरण के अग्रदूत, चिंतक, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा-शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक थे। 9 अक्तूबर, 1877 को ओडिशा के पुरी ज़िले में जन्मे गोपबंधु दास अपने जीवन काल में हमेशा उड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति को सशक्त बनाने के साथ-साथ असहायों की सेवा में तत्पर रहे। वे गांधीजी के प्रिय और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विश्वस्त थे। गोपबंधु दास भाषा प्रेमी, समाजसेवी, लेखक के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान वे अनेक बार जेल गए। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण गोपबंधु वर्ष 1922-24 के दौरान देश के ऐतिहासिक हजारीबाग जेल में कैद रहे। ओडिशा में उनका असर यह रहा कि उनके कालखंड को ‘सत्यवादी युग’ के नाम से जाना जाता है। उनकी आत्मकथा ‘बंदिर आत्मकथा’ उड़िया की क्लासिक कृतियों में शामिल है। साझा प्रशासन के तहत बंगाल, मध्य प्रांत, मद्रास और बिहार-ओडिशा के उड़िया भाषी इलाकों को एकीकृत करने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ओडिशा में बाढ़ एवं अकाल के उन्मूलन के लिये प्रभावी उपाय करने हेतु उन्होंने सशक्त आवाज़ उठाई। उत्पाद शुल्क से मुक्त नमक के निर्माण के लिये ओड़िशा के लोगों के अधिकार की बहाली की पैरोकारी की थी।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

यह दिवस मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने के लिये प्रतिवर्ष 10 अक्तूबर को मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का विषय "कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य" है। मानसिक स्वास्थ्य विकार विश्व भर में होने वाली सामान्य बीमारियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों की अनुमानित संख्या 450 मिलियन है। भारत में यह संख्या लगभग 1.5 मिलियन है जिनमें बच्चे एवं किशोर भी शामिल हैं। मानसिक बीमारी व्यक्ति के महसूस करने, सोचने एवं कार्य करने के तरीके को प्रभावित करती है, इसलिये भारत सरकार ने देश में मानसिक बीमारी के बढ़ते दबाव पर विचार करने के उद्देश्य से वर्ष 1982 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) की शुरुआत की। इस बीमारी की प्रमुख वजह परिवेश संबंधी तनाव जैसे कि चिंता, अकेलापन, आत्मसम्मान में कमी, परिवार में मृत्यु या तलाक, दुर्घटना, हिंसा एवं बलात्कार से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक आघात आदि हो सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति की भावनाओं एवं स्वभाव को समझने तथा उनके साथ प्रभावी ढ़ंग से संवाद करने, उन्हें भावनात्मक एवं सामाजिक सहयोग प्रदान करने के साथ-साथ उनके साथ धैर्यपूर्वक व्यवहार करके तथा उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा देने में सहयोग आदि जैसे प्रयासों से उनकी सहायता की जा सकती है। 

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