Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 मार्च, 2022 | 10 Mar 2022

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल

प्रतिवर्ष 10 मार्च को ‘केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल’ (CISF) का स्थापना दिवस आयोजित किया जाता है। ‘केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल’ एक केंद्रीय सशस्त्र बल है जिसका गठन केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 के तहत किया गया था। यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारत के सात अर्द्ध-सैनिक बलों में से एक है। CISF की स्थापना 10 मार्च, 1969 को की गई थी और CISF अधिनियम, 1968 के तहत कुल तीन बटालियनों का गठन किया गया था। यह पूरे भारत में स्थित औद्योगिक इकाइयों, सरकारी अवसंरचना परियोजनाओं और सुविधाओं तथा प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करता है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, खदानों, तेल क्षेत्रों व रिफाइनरियों, मेट्रो रेल, प्रमुख बंदरगाहों आदि जैसे औद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा का ज़िम्मा भी CISF ही उठाता है। CISF में एक विशेष सुरक्षा समूह विंग भी है, जिसका प्राथमिक कार्य X, Y, Z और Z प्लस श्रेणियों के तहत वर्गीकृत लोगों को सुरक्षा प्रदान करना है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के अलावा भारत में अन्य केंद्रीय सशस्त्र बलों में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF), सीमा सुरक्षा बल (BSF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सशस्त्र सीमा बल (SSB), असम राइफल्स और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड शामिल हैं। 

मिशन इंद्रधनुष में ओडिशा का पहला स्थान

मिशन इंद्रधनुष 4.0 के तहत कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ सफल टीकाकरण के अलावा 90.5% टीकाकरण हासिल करने वाला ओडिशा देश का एकमात्र राज्य बन गया है। माताओं और बच्चों के लिये निवारक स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में एक कदम के रूप में लक्षित महिलाओं और बच्चों के पूर्ण टीकाकरण कवरेज को बढ़ावा देने के लिये इसी वर्ष मार्च माह से ओडिशा में गहन मिशन इंद्रधनुष (IMI) 4.0 शुरू किया गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS) की रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण टीकाकरण कवरेज में 90.5% पूर्ण टीकाकरण के साथ सूची में सबसे ऊपर है। राज्य के बीस ज़िले पूर्ण टीकाकरण में 90% से ऊपर थे और 10 ज़िले 90% से नीचे थे। आमतौर पर पूर्ण टीकाकरण में पोलियो, तपेदिक, पीलिया, डिप्थीरिया, काली खाँसी, टेटनस, एचआईवी, मस्तिष्क बुखार, निमोनिया, खसरा, रूबेला, दस्त, जापानी बुखार आदि सहित 12 विभिन्न प्रकार की बीमारियों के खिलाफ निवारक टीके शामिल होते हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 दिसंबर, 2014 को ‘मिशन इंद्रधनुष’ की शुरुआत की थी। मिशन इन्द्रधनुष एक बूस्टर टीकाकरण कार्यक्रम है जो कम टीकाकरण कवरेज वाले ज़िलों में शुरू किया गया था।

महिलाओं के स्वामित्व वाला पहला औद्योगिक पार्क

हाल ही में भारत के पहले 100 प्रतिशत महिलाओं के स्वामित्व वाले औद्योगिक पार्क का संचालन हैदराबाद में शुरू हुआ है। राज्य सरकार के साथ साझेदारी में फिक्की महिला संगठन (FLO) द्वारा शुरू किये गए इस पार्क में कुल 25 इकाइयाँ हैं, जो 16 विविध श्रेणी के उद्योगों का प्रतिनिधित्व करती हैं और सभी का स्वामित्व महिलाओं के पास एवं उनके द्वारा संचालित हैं। फिक्की महिला संगठन द्वारा स्थापित यह औद्योगिक पार्क देश में अपनी तरह का पहला पार्क है, जिसे 250 करोड़ रुपए के निवेश के साथ पाटनचेरु के पास सुल्तानपुर में 50 एकड़ क्षेत्र में स्थापित किया गया है। इस पार्क के तहत महिला उद्यमियों को अतिरिक्त 10 प्रतिशत सब्सिडी देने का भी आश्वासन दिया गया है। 

पाल-दाधवाव नरसंहार

07 मार्च को गुजरात के ‘पाल-दाधवाव नरसंहार’ के 100 वर्ष पूरे हुए हैं। पाल-दाधवाव नरसंहार 7 मार्च, 1922 को साबरकांठा ज़िले के पाल-चितरिया और दाधवाव गांवों में हुआ था, जो उस समय इडर राज्य का हिस्सा था। मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में 'एकी आंदोलन' के हिस्से के रूप में पाल, दाधवाव और चितरिया के ग्रामीण ‘वारिस नदी’ के तट पर एकत्र हुए थे। यह आंदोलन अंग्रेज़ों और सामंतों द्वारा किसानों पर लगाए गए भू-राजस्व कर (लगान) के विरोध में था। तेजावत को उदयपुर राज्य द्वारा अपराधी घोषित किया गया था और उन पर 500 रुपए के इनाम की घोषणा की गई थी। मेवाड़ भील कॉर्प्स (MBC), जो कि अंग्रेज़ों द्वारा तेजावत की तलाश में स्थापित एक अर्द्ध-सैनिक बल था, ने इस सभा के बारे में सुना और वे मौके पर पहुँच गए। यहाँ तेजावत की उपस्थिति के कारण अफसरों ने गोली चलाने के आदेश दे दिये और इसके तहत 1000 से अधिक भील आदिवासी मारे गए, हालाँकि ब्रिटिश सरकार के आँकड़े बताते हैं कि इस घटना में केवल 22 लोगों की मृत्यु हुई थी।