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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 सितंबर, 2020

  • 09 Sep 2020
  • 7 min read

गोविंद स्‍वरूप

07 सितंबर, 2020 को देश के महान वैज्ञानिक और रेडियो खगोलशास्‍त्री गोविंद स्वरूप (Govind Swarup) का 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। वर्ष 1929 में उत्तरप्रदेश के ठाकुरद्वारा में जन्मे गोविंद स्‍वरूप को ‘भारतीय रेडियो खगोलशास्त्र के पिता के रूप में जाना जाता था। उन्होंने वर्ष 1950 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर डिग्री और वर्ष 1961 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट डिग्री हासिल की। वर्ष 1963 में डॉ. होमी जहाँगीर भाभा के निमंत्रण पर गोविंद स्‍वरूप भारत लौट आए और जल्द ही वे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में शामिल हो गए। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में उन्होंने रेडियो खगोलशास्‍त्रियों का एक समूह स्थापित किया, जो कि विश्व में इस तरह का अपना पहला समूह था। वर्ष 1984 से वर्ष 1996 के दौरान गोविंद स्‍वरूप के निर्देशन में राष्ट्रीय खगोल भौतिकी केंद्र (National Centre for Radio Astrophysics) ने जायंट मीटर-वेव रेडियो टेलीस्कोप (Giant Metrewave Radio Telescope-GMRT) का निर्माण किया, जो कि 25 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई 30 परवलयाकर (Parabolic) रेडियो दूरबीनों (प्रत्येक दूरबीन का व्यास 45 मीटर) की एक श्रृंखला है जो सभी दिशाओं में घूम सकती हैं। यह विश्व की सबसे संवेदनशील दूरबीनों में से एक है और इसे पूरी तरह से गोविंद स्‍वरूप के नेतृत्त्व में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया है। 

इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार

हाल ही में मशहूर प्रकृतिवादी और प्रसारक (Broadcaster) सर डेविड एटनबरो (Sir David Attenborough) को वर्ष 2019 के लिये इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ‘इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण और विकास पुरस्कार’ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर दिये जाने वाला एक प्रतिष्ठित वार्षिक पुरस्कार है। इसे वर्ष 1986 से प्रत्येक वर्ष इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के तहत एक प्रशस्ति पत्र और 25 लाख रुपए का मौद्रिक पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को प्रदान किया जाता है जो अंतर्राष्ट्रीय शांति और विकास सुनिश्चित करने और नए अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक क्रम बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हों। 

किसान रेल सेवा

09 सितंबर, 2020 को देश की दूसरी और दक्षिण भारत की पहली किसान रेलगाड़ी की शुरुआत की गई, जिसके माध्यम से आंध्रप्रदेश के अनंतपुर से दिल्ली के आदर्श नगर रेलवे स्टेशन तक कृषि उत्पादों की ढुलाई की जाएगी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस रेलगाड़ी की शुरुआत करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में किसान रेल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। साथ ही उन्होंने बागबानी को प्रोत्साहन देने के लिये शीघ्र ही किसान उड़ान कार्यक्रम शुरू करने की भी घोषणा की। किसान रेल का प्रयोग फल-सब्जियों, मछली-मांस और दूध जैसी जल्द खराब होने वाली वस्तुओं के परिवहन के लिये किया जाएगा। किसान रेल में वातानुकूलित डिब्बे निर्मित किये गए हैं और इसके माध्यम से देश भर में मछली, मांस और दूध सहित जल्द खराब होने वाली कई खाद्य योग्य वस्तुओं को निर्बाध रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया जाएगा। ध्यातव्य है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में किसान रेल चलाने की घोषणा की थी ताकि जल्द खराब होने वाली कृषि उपज की निर्बाध आपूर्ति की जा सके। 

दिल्ली-मेरठ रीज़नल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम कॉरिडोर

अत्‍याधुनिक एवं हाई-स्‍पीड 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मेरठ रीज़नल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (Regional Rapid Transit System-RRTS) कॉरिडोर के विकास के लिये एशियाई विकास बैंक (ADB) और भारत ने 500 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्‍ताक्षर किये है। इस कॉरिडोर से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बेहतर होने के साथ-साथ भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आवाजाही काफी बढ़ जाएगी। 82 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर की डिज़ाइनिंग कुछ इस तरह से की जाएगी कि इस पर 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ सकेंगी। यह कॉरिडोर दिल्ली के सराय काले खाँँ को उत्तर प्रदेश के मेरठ के मोदीपुरम से जोड़ेगा। इस कॉरिडोर से सफर में लगने वाला समय घटकर लगभग 1 घंटा रह जाएगा, जबकि अभी इसमें 3-4 घंटे लगते हैं। ऋण की पहली किस्‍त का उपयोग विद्युतीकृत पटरियों, सिग्‍नलिंग प्रणालियों, मल्‍टीमोडल हब और स्‍टेशनों के निर्माण में किया जाएगा। इस परियोजना के तहत स्‍टेशन कुछ इस तरह से बनाए जाएंगे जिससे वरिष्‍ठ नागरिकों, महिलाओं, बच्चों और दिव्‍यांगों को सहायता मिलेगी।

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