विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 फरवरी, 2022
- 08 Feb 2022
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‘परम प्रवेग’ सुपर कंप्यूटर
बंगलूरू स्थित ‘भारतीय विज्ञान संस्थान’ (IISc) ने ‘परम प्रवेग’ नामक सुपरकंप्यूटर को कमीशन करने की घोषणा की है, जो कि राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत नवीनतम सुपर कंप्यूटर है। भारतीय विज्ञान संस्थान के मुताबिक, ‘परम प्रवेग’ भारत में सबसे शक्तिशाली सुपरकंप्यूटरों में से एक है। ‘परम प्रवेगा’ सुपरकंप्यूटर में 3.3 पेटाफ्लॉप्स की कुल सुपरकंप्यूटिंग क्षमता मौजूद है (1 पेटाफ्लॉप या 1015 ऑपरेशन प्रति सेकेंड के बराबर)। इस सुपरकंप्यूटर का इस्तेमाल अनुसंधान हेतु किया जाएगा। ‘परम प्रवेग’ सुपरकंप्यूटर में सीपीयू नोड्स के लिये इंटेल ज़ियोन कैस्केड लेक प्रोसेसर और जीपीयू नोड्स पर एनवीआईडीआईए टेस्ला वी100 कार्ड के साथ विषम नोड्स का मिश्रण है। परम प्रवेग सुपरकंप्यूटर में कंप्यूट नोड्स के 11 डीसीएलसी रैक, मास्टर/सर्विस नोड्स के 2 सर्विस रैक और डीडीएन स्टोरेज के 4 स्टोरेज रैक शामिल हैं। ‘परम प्रवेग’ सुपरकंप्यूटर को ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग’ (सी-डैक) द्वारा डिज़ाइन किया गया है। इस प्रणाली को बनाने हेतु उपयोग किये जाने वाले अधिकांश घटकों को सी-डैक द्वारा विकसित एक स्वदेशी सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ भारत में निर्मित और असेंबल किया गया है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन का संचालन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा किया जाता है तथा सी-डैक एवं IISc द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने देश में बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिये हाल ही में ‘सघन मिशन इंद्रधनुष’ के चौथे चरण का शुभारंभ किया है। यह देश में पूर्ण टीकाकरण हेतु एक विशेष अभियान है। इस मिशन के माध्यम से पूर्ण टीकाकरण को और अधिक गति मिलेगी। ज्ञात हो कि मिशन के तहत अब तक बच्चों का टीकाकरण कवरेज बढ़कर 76 प्रतिशत से अधिक हो गया है। ‘सघन मिशन इंद्रधनुष’ कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2017 में की गई थी। सघन मिशन इंद्रधनुष के तहत उन शहरी क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दिया गया, जो मिशन इंद्रधनुष के तहत छूट गए थे। इसके पश्चात् वर्ष 2020 में सघन मिशन इंद्रधनुष 2.0 और वर्ष 2021 में सघन मिशन इंद्रधनुष 3.0 की शुरुआत की गई।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति
सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित को जेएनयू का नया कुलपति नियुक्त किया गया है। प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित जेएनयू की पहली महिला कुलपति होंगी। वह जेएनयू के कार्यवाहक कुलपति प्राेफेसर एम जगदीश कुमार की जगह लेंगी। इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होगा। वह जेएनयू की पूर्व छात्रा भी रहीं हैं। प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित पुणे विश्वविद्यालय में राजनीति एवं लोक प्रशासन विभाग की प्रोफेसर रही हैं। प्रोफेसर पंडित ने जेएनयू से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एमफिल और भारतीय संसद एवं विदेश नीति पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। साथ ही उन्होंने अमेरिका की कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में डिप्लोमा भी किया है। विज्ञान प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास से उन्होंने इतिहास और सामाजिक मनोविज्ञान में बीए एवं एमए किया है। प्रोफेसर पंडित ने 1988 में गोवा विश्वविद्यालय से अपने अकादमिक शिक्षण कॅरियर की शुरुआत की और इसके बाद 1993 में वह पुणे विश्वविद्यालय चली गईं। उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक निकायों में प्रशासनिक पदों पर कार्य किया है। वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) की सदस्य भी रही हैं।
सचिंद्र नाथ सान्याल
देश ने क्रांतिकारी सचिंद्र नाथ सान्याल को उनकी 80वीं पुण्यतिथि पर याद किया। आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल का दौरा किया और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी। सचिंद्र नाथ सान्याल का जन्म तत्कालीन उत्तर-पश्चिमी प्रांत बनारस शहर में वर्ष 1893 में हुआ था। कम उम्र से ही सान्याल अपने मनमौजी और क्रांतिकारी विचारों के लिये जाने जाते थे। 20 साल की उम्र में उन्होंने पटना में अनुशीलन समिति की एक शाखा खोली। सचिंद्र नाथ सान्याल ने गदर पार्टी की साजिश के दौरान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिसके लिये उन्हें सज़ा सुनाई गई। उन्होंने जेल में ही अपनी प्रसिद्ध पुस्तक बंदी जीवन (ए लाइफ ऑफ कैप्टिविटी, 1922) लिखी। सान्याल को वर्ष 1925 में काकोरी षड्यंत्र में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में अंडमान की सेलुलर जेल भेज दिया गया। वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन के संस्थापक थे जिसे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के नाम से भी जाना जाता है। सचिंद्र नाथ सान्याल देश के महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह के गुरु थे। सचिंद्र नाथ सान्याल की मृत्यु 7 फरवरी, 1942 को सेलुलर जेल में हुई।