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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 मई, 2021

  • 07 May 2021
  • 7 min read

भारतीय सेना का कोविड प्रबंधन प्रकोष्ठ

देश भर में कोविड-19 संक्रमण संबंधी मामलों में हो रही वृद्धि के मद्देनज़र भारतीय सेना ने सभी कोविड-संबंधी सहायता कार्यों के लिये संबंधित नागरिक अधिकारियों के साथ समन्वय करने हेतु ‘कोविड प्रबंधन प्रकोष्ठ’ का गठन किया है। यह प्रकोष्ठ महानिदेशक स्तर (थ्री-स्टार रैंक) के अधिकारी के तहत काम करेगा, जो प्रत्यक्ष तौर पर सेना उपाध्‍यक्ष को रिपोर्ट करेंगे। ज्ञात हो कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान, सशस्त्र बल राहत प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में सेना के अधिकारियों और नागरिक प्राधिकरण के बीच उचित समन्वय स्थापित करने के लिये एक तंत्र गठित किया जाना आवश्यक है। साथ ही इससे दिल्‍ली सहित देश भर में कोविड मरीजों की संख्या में असाधारण वृद्धि की समस्या से निपटने में अधिक द‍क्षता के साथ सहयोग किया जा सकेगा। देश भर में रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित विभिन्न कोविड सुविधाओं पर डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल सहित सशस्त्र बलों के 500 से अधिक चिकित्सा कर्मियों को तैनात किया गया है। 

सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) की धारा 142

केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने आधार की प्रासंगिकता को कवर करने वाली सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) की धारा-142 को अधिसूचित किया है। इस धारा की अधिसूचना जारी होने से श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत अपने डेटाबेस के लिये लाभार्थियों के आधार का विवरण प्राप्त करने में सक्षम होगा। राष्ट्रीय सूचना केंद्र द्वारा ‘नेशनल डेटाबेस फॉर अन-ऑर्गनाइज़्ड वर्कर्स’ (NDUW) को विकसित किया जा रहा है, जो कि अभी एडवांस स्टेज में है। इस पोर्टल का उद्देश्य प्रवासी मज़दूरों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का डेटा एकत्रित करना है, ताकि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ इन श्रमिकों तक पहुँचाया जा सके। अंतरराज्यीय प्रवासी मज़दूर केवल आधार कार्ड के विवरण के माध्यम से स्वयं को इस पोर्टल पर पंजीकृत कर सकते हैं। हालिया अधिसूचना के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा संहिता के लाभार्थियों से आधार संख्या मांगी जाएगी, हालाँकि आधार संबंधी यह अनिवार्यता सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत सेवाओं के वितरण में बाधा उत्पन्न नहीं करेगी और आधार प्रस्तुत न कर पाने की स्थिति में पात्र लाभार्थियों के लिये सेवाओं से इनकार नहीं किया जाएगा। 

भारत-ब्रिटेन प्रवासी समझौता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रवास और आवागमन के मद्देनज़र भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंज़ूरी दे दी है। समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य वीज़ा प्रक्रिया को उदार बनाना है, ताकि छात्रों, शोधकर्त्ताओं और कुशल पेशेवरों का आवागमन आसान हो तथा दोनों तरफ अनियमित प्रवास एवं मानव तस्करी संबंधी मुद्दों पर सहयोग को मज़बूत किया जा सके। समझौता-ज्ञापन से भारतीय छात्रों, अकैडमिशियनों एवं शोधकर्त्ताओं, पेशेवरों तथा आर्थिक कारणों से प्रवास करने वाले लोगों को लाभ मिलेगा। यह समझौता-ज्ञापन प्रतिभाओं के निर्बाध आवागमन से दोनों देशों के बीच नवाचार संबंधी इको-सिस्टम को विकसित करने में भी मदद करेगा। इस नए प्रवासन संबंधी समझौते से दोनों देशों (भारत और ब्रिटेन) के युवाओं और पेशेवरों को एक दूसरे के देश में रहने तथा काम करने का अवसर प्राप्त होगा, जिससे भारतीय नागरिकों के लिये कार्य वीज़ा को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों के बीच प्रवास सहयोग में वृद्धि होगी। इस समझौते के माध्यम से भारत और ब्रिटेन में 18 से 30 वर्ष की आयु के हज़ारों लोगों को दो वर्ष तक एक-दूसरे के देश में काम करने तथा रहने की अनुमति मिलेगी।

सीमा सड़क संगठन 

07 मई, 2021 को सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा अपना 61वाँ स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। सीमा सड़क संगठन (BRO) की स्थापना 7 मई, 1960 को हुई थी और यह रक्षा मंत्रालय के तहत एक प्रमुख सड़क निर्माण संस्था के रूप में कार्य करता है। ध्यातव्य है कि यह संगठन सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने में अग्रिणी भूमिका अदा कर रहा है। यह पूर्वी और पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में सड़क निर्माण तथा इसके रख-रखाव का कार्य करता है ताकि सेना की रणनीतिक आवश्यकताएँ पूरी की जाएँ। आज़ादी के पश्चात् के शुरूआती वर्षों में भारत के समक्ष लगभग 15000 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा की सुरक्षा तथा अपर्याप्त सड़क साधन वाले उत्तर व उत्तर-पूर्व के आर्थिक रूप से पिछड़े सुदूरवर्ती इलाके को भविष्य में उन्नत व विकसित करने का दायित्त्व था और BRO इस दायित्त्व को पूरा करने के लिये काफी तेज़ी से कार्य कर रहा है। इसके अलावा सीमा सड़क संगठन ने भूटान, म्याँमार, अफगानिस्तान आदि मित्र देशों में भी सड़कों का निर्माण किया है।

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