Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 मार्च, 2022 | 07 Mar 2022
जन औषधि दिवस
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिये 7 मार्च को जन औषधि दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी योजना के लाभार्थियों के साथ वर्चुअली बातचीत करते हैं। चौथे ‘जन औषधि दिवस’ का आयोजन फार्मास्यूटिकल्स विभाग के तत्त्वावधान में ‘फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया’ (PMBI) द्वारा किया जा रहा है। इसके तहत सभी गतिविधियाँ ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के तहत आयोजित होंगी और 75 स्थानों पर कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है। इससे जेनेरिक दवाओं के उपयोग एवं जन औषधि परियोजना के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा होगी। इस वर्ष (2022) जन औषधि दिवस का विषय है- ‘जन औषधि-जन उपयोगी’। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) को फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा वर्ष 2008 में ‘जनऔषधि अभियान’ के नाम से शुरू किया गया। वर्ष 2015-16 में इस अभियान को PMBJP के रूप में नया नाम दिया गया। ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (BPPI) इसके लिये कार्यान्वयन एजेंसी है। यह रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत काम करता है। BPPI ने जन औषधि सुगम एप्लीकेशन को भी विकसित किया है। इस प्रकार जन औषधि दवाओं की कीमतें कम-से-कम 50% और कुछ मामलों में ब्रांडेड दवाओं के बाज़ार मूल्य के 80% से 90% तक सस्ती होती हैं।
‘संभव’ और ‘स्वावलंबन’ पहल
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने एमएसएमई मंत्रालय द्वारा ऑल-इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईपीएमए) के सहयोग से 4-5 मार्च, 2022 को नई दिल्ली में प्लास्टिक रीसाइक्लिंग एवं अपशिष्ट प्रबंधन पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान पूरे देश में विशेष रूप से आकांक्षी ज़िलों में युवाओं के मध्य उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिये दो विशेष पहल ‘संभव’ और ‘स्वावलंबन’ की शुरुआत की। इस मेगा अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का आदर्श वाक्य है- “अपने कचरे को जानें और रीसाइक्लिंग करना कैसे सही काम है एवं इसे सही तरीके से कैसे किया जाए (Know your Waste and how Recycling is the right thing to do, which is to be done in a right way)”। इस शिखर सम्मेलन में लगभग 1350 MSMEs ने भाग लिया, यह सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया। यह शिखर सम्मेलन उद्यमियों, विशेषज्ञों, व्यापारियों और अन्य हितधारकों को प्लास्टिक क्षेत्र में चुनौतियों एवं उनके समाधान पर विचार-विमर्श करने के लिये एक मंच प्रदान करता है। यह प्लास्टिक क्षेत्र में आजीविका और व्यापार के नए अवसर भी पैदा करेगा, साथ ही भारत को प्लास्टिक प्रदूषण के मुद्दे से निपटने तथा पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा।
ग्लाइकोस्मिस एल्बीकारपा (Glycosmis Albicarpa)
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने तमिलनाडु में कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य से एक नई ‘जिन बेरी’ प्रजाति (Gin Berry Species) ग्लाइकोस्मिस एल्बीकारपा की खोज की है। यह एक एकल आबादी के रूप में पाई गई जो लगभग 2 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैली हुई है। ग्लाइकोस्मिस एल्बीकारपा एक सदाबहार छोटा पेड़ है और दक्षिणी पश्चिमी घाट के लिये स्थानिक है। यह प्रजाति ऑरेंज परिवार रूटासी से संबंधित है। इन टैक्सोनॉमिक (Taxonomic) समूहों से संबंधित कई पौधों का उपयोग उनके औषधीय मूल्य और भोजन के लिये किया जा रहा है। मुख्यतः भोजन एवं दवा के रूप में स्थानीय उपयोग के लिये इन पौधों से संबंधित प्रजातियाँ जंगलों से एकत्र की जाती हैं। ग्लाइकोस्मिस प्रजाति के जामुन में 'जिन सुगंध (Gin Aroma)' की अनूठी विशेषता होती है और यह एक खाद्य फल के रूप में लोकप्रिय है। इस प्रजाति के पौधे तितलियों और अन्य प्रजातियों के लार्वा को भी आश्रय प्रदान करते है। यह तमिलनाडु के तिरुनेलवेली अर्द्ध-सदाबहार जंगलों में कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य के पनागुडी वन खंड में खोजा गया था। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India- BSI) देश में जंगली पादप संपदा पर टैक्सोनॉमिक और फ्लोरिस्टिक अध्ययन करने के लिये पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1890 में की गई थी। इसके नौ क्षेत्रीय वृत्त देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित हैं। हालाँकि इसका मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है। इसका उद्देश्य देश में पादप संपदा की खोज एवं उनके आर्थिक महत्त्व के साथ पौधों की प्रजातियों की पहचान करना है। वर्ष 1954 में सरकार ने इसका पुनर्गठन किया।