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प्रारंभिक परीक्षा

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 जनवरी, 2022

  • 07 Jan 2022
  • 7 min read

ब्रांड इंडिया अभियान

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जल्द ही नए बाज़ारों में सेवाओं और उत्पादों के निर्यात को गति देने हेतु ‘ब्रांड इंडिया अभियान’ शुरू किया जाएगा। यह अभियान भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिये एक ‘अम्ब्रेला अभियान’ के रूप में काम करेगा। प्रारंभिक चरण के दौरान यह अभियान विशिष्ट क्षेत्रों जैसे- रत्न एवं आभूषण, वस्त्र, वृक्षारोपण उत्पादों (चाय, कॉफी, मसाले), शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, फार्मा और इंजीनियरिंग में भारतीय निर्यात पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस अभियान को ‘इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन’ (IBEF) द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा। ‘इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन’ वाणिज्य विभाग द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य विदेशों बाज़ारों में 'मेड इन इंडिया' लेबल के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और भारतीय उत्पादों एवं सेवाओं के ज्ञान के प्रसार को सुविधाजनक बनाना है। विभिन्न क्षेत्रों के लिये इस प्रकार का एक कॉमन अभियान काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान में अलग-अलग क्षेत्रों पर अलग-अलग तरीकों से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। गौरतलब है कि इस वित्तीय वर्ष में देश का कुल निर्यात 400 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है।

उत्तर कोरिया का ‘हाइपरसोनिक मिसाइल’ परीक्षण 

हाल ही में उत्तर कोरिया ने एक ‘हाइपरसोनिक मिसाइल’ का परीक्षण किया है, जिसने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को नष्ट कर दिया। उत्तर कोरिया ने इससे पूर्व सितंबर माह में पहली बार एक ‘हाइपरसोनिक मिसाइल’ का परीक्षण किया था, जिसके साथ ही वह उन प्रमुख सैन्य शक्तियों की सूची में शामिल हो गया था, जिनके पास इस प्रकार की उन्नत हथियार प्रणाली मौजूद है। ‘हाइपरसोनिक मिसाइल’ आमतौर पर बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में कम ऊँचाई पर लक्ष्य की ओर उड़ते हैं और ध्वनि की गति से पाँच गुना अधिक या लगभग 6,200 किलोमीटर प्रति घंटे (3,850 मील प्रति घंटे) की गति से लक्ष्य तक पहुँचते हैं। हाइपरसोनिक हथियारों को अगली पीढ़ी के हथियार माना जाता है। ज्ञात हो कि भारत भी हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहा है। भारत में हाइपरसोनिक तकनीक का विकास और परीक्षण ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) एवं ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) दोनों ने किया है। हाल ही में DRDO ने ‘हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल’ (HSTDV) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जिसमें ध्वनि की गति से 6 गुना गति से यात्रा करने की क्षमता है। 

भारत में ‘चीतों’ की वापसी

वर्ष 1952 में विलुप्त होने के पश्चात् ‘चीते’ की एक बार पुनः भारत में वापसी हेतु केंद्र सरकार ने हाल ही में एक कार्य योजना शुरू की है, जिसके तहत अगले पाँच वर्षों में देश में तकरीबन 50 चीते लाए जाएंगे। कार्य योजना के अनुसार, पहले वर्ष के दौरान सभी ‘चीतों’ को नामीबिया या दक्षिण अफ्रीका से लाया जाएगा। दुनिया के सबसे तेज़ दौड़ने वाले जानवर- चीते को नवंबर 2021 में मध्य प्रदेश में पुनः प्रस्तुत करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन महामारी के कारण यह योजना सफल नहीं हो सकी। ध्यातव्य है कि चीता वर्ष 1952 में भारत से विलुप्त हो गया था। देश में चीतों की विलुप्ति के दो विशेष कारण थे। पहला- जानवरों के शिकार के लिये चीता को पालतू बनाया जाना तथा दूसरा- कैद में रहने पर चीता प्रजनन नहीं करते। अपनी तेज़ गति तथा बाघ व शेर की तुलना में कम हिंसक होने की वजह से इसको पालना आसान था। तत्कालीन राजाओं और ज़मीदारों द्वारा इसका प्रयोग अक्सर शिकार के लिये होता था जिसमें ये अन्य जानवरों को पकड़ने में उनकी मदद करते थे। 

कोप्पल टॉय क्लस्टर

कोप्पल टॉय क्लस्टर (KTC), जो कि देश में अपनी तरह की पहली बुनियादी अवसंरचना है, मार्च 2022 से संचालित हो जाएगी। 400 एकड़ से अधिक भूमि पर निर्मित ‘कोप्पल टॉय क्लस्टर’ में खिलौना बनाने, पैकेजिंग, उपकरण बनाने, पेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सहायक उपकरणों के विकास से लेकर क्षमताओं की संपूर्ण मूल्य शृंखला मौजूद होगी। कर्नाटक में निर्मित इस क्लस्टर में 4,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश को आकर्षित करने और 25,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोज़गार (अधिकतर उत्तरी कर्नाटक में महिलाओं के लिये) एवं एक लाख से अधिक अप्रत्यक्ष रोज़गार का सृजन करने की क्षमता है। पूरा होने पर इस क्लस्टर में 100 से अधिक बड़ी और छोटी विनिर्माण इकाइयाँ शामिल होंगी। ‘कोप्पल टॉय क्लस्टर’ में खिलौना निर्माण और सहायक गतिविधियों के लिये एक इन्क्यूबेशन सेंटर भी मौजूद होगा।

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