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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 अगस्त, 2021

  • 06 Aug 2021
  • 7 min read

पद्मा सचदेव

समकालीन डोगरी साहित्य की जननी कही जाने वाली पद्मा सचदेव का हाल ही में 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। 14 अप्रैल, 1940 को जम्मू-कश्मीर के सांबा ज़िले के पुरमंडल गाँव में जन्मीं पद्मा सचदेव के पहले कविता संग्रह- ‘मेरी कविता मेरे गीत’ (1969) को वर्ष 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह डोगरी भाषा की पहली आधुनिक महिला कवयित्री थीं। इसके अलावा उन्होंने हिंदी भाषा में भी रचनाएँ कीं। वर्ष 2015 में उन्हें अपनी आत्मकथा 'बूंद बावरी' के लिये पद्मश्री और सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वर्ष 2019 में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में आजीवन उपलब्धि के लिये प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी फैलोशिप भी मिली। लेखिका उमा वासुदेव ने पद्मा सचदेव की आत्मकथा का अंग्रेज़ी में 'ए ड्रॉप इन द ओशन' नाम से अनुवाद किया था। वर्ष 2007-08 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पद्मा सचदेव को उनकी कविताओं के लिये ‘कबीर सम्मान’ प्रदान किया गया था। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो- जम्मू और ऑल इंडिया रेडियो- मुंबई में भी एनाउंसर काम किया। उनकी कई किताबें प्रकाशित हुईं, जिसमें ‘तवी ते चानहन’ (नदियाँ ‘तवी’ और ‘चिनाब’, 1976), नहेरियान गलियाँ (डार्क लेन, 1982) और उत्तर वाहिनी (1992) प्रमुख हैं।

लक्षद्वीप में वाटर विला परियोजना 

लक्षद्वीप में जल्द ही तीन प्रीमियम मालदीव-शैली के वाटर विला विकसित किये जाएंगे। इन तीन प्रीमियम परियोजनाओं को कदमत, मिनिकॉय और सुहेली द्वीपों में विकसित किया जाएगा। इस 800 करोड़ रुपए की महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिये वैश्विक निविदाएँ जारी की गई हैं। यह कदम लक्षद्वीप में पर्यटन विकास के साथ समुद्री आर्थिक विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। इस परियोजना के तहत प्रयोग किये जाने वाले वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्थानीय लोगों की आजीविका के अवसरों को बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित हो। नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (NCSCM) द्वारा विकसित किये जाने वाले वाटर विला के लिये प्रमुख स्थानों की पहचान की जा रही है, जिसे समग्र विकास मास्टर प्लान द्वारा और मज़बूत किया जाता है। यह परियोजना भारत की अपनी तरह की पहली परियोजना है, जहाँ सौर ऊर्जा से चलने वाले पर्यावरण के अनुकूल वाटर विला द्वारा विश्व स्तरीय सुविधा प्रदान की जाएगी। 

IIST और डफ्ट यूनिवर्सिटी के बीच समझौता 

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान’ (IIST) और ‘डफ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी’ के बीच समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी दे दी है। इस समझौता ज्ञापन के तहत इनमें से प्रत्येक संस्थान से जुड़े विद्यार्थि‍यों और संकाय सदस्यों के अकादमिक कार्यक्रमों व अनुसंधान कार्यों को पूरा किया जाएगा। इस समझौता ज्ञापन के तहत संबंधित संस्‍थान स्नातक-पूर्व, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर पर विद्यार्थि‍यों का आदान-प्रदान कर सकेंगे। इसके अलावा संबंधित संस्‍थान स्नातक-पूर्व या स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करने के उद्देश्‍य से विद्यार्थि‍यों के लिये विशेष पाठ्यक्रम विकसित कर सकते हैं, जो गृह संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रारंभिक डिग्री के अतिरिक्त होगी। इस समझौता ज्ञापन से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान में एक संयुक्त गतिविधि विकसित करने का मार्ग प्रशस्‍त होगा। अतः इससे देश के सभी वर्ग और क्षेत्र लाभान्वित होंगे। इस हस्ताक्षरित समझौते से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई अनुसंधान गतिविधियों और अनुप्रयोग (एप्‍लीकेशन) संबंधी संभावनाओं का पता लगाने में काफी प्रोत्साहन मिलेगा।

‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ एप

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की (IIT-R) ने हाल ही में "उत्तराखंड भूकंप अलर्ट’ एप लॉन्च किया है, जो कि भारत का पहला भूकंप-पूर्व चेतावनी (EEW) मोबाइल एप है। यह परियोजना ‘उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ (USDMA) द्वारा प्रायोजित थी। यह भूकंप अलर्ट के बारे में लोगों को सूचित करने के लिये अपनी तरह का देश का पहला एप्लीकेशन है। यह भूकंप-पूर्व चेतावनी प्रणाली एक वास्तविक समय भूकंप सूचना प्रणाली है, जो भूकंप की शुरुआत का पता लगा सकती है और चेतावनी जारी कर सकती है। भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली का भौतिक आधार भूकंपीय तरंगों की गति है, जो फाॅॅल्ट से तनाव मुक्त होने के बाद प्रसारित होती हैं। पृथ्वी की सतह पर होने वाली कंपन सतही तरंगों के कारण होती है, जो प्राथमिक तरंगों की गति से लगभग आधी गति से यात्रा करती हैं और विद्युत चुंबकीय संकेतों की तुलना में बहुत धीमी होती हैं। भूकंप की चेतावनी जारी करने के साथ-साथ यह एप उन स्थानों को भी रिकॉर्ड करेगा, जहाँ भूकंप के दौरान लोग फँस गए हैं और इस जानकारी को आपदा प्रतिक्रिया बल को भेजेगा।

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