Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 मार्च, 2021 | 05 Mar 2021
अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष: 2023
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से भारत द्वारा प्रायोजित और 70 से अधिक देशों द्वारा समर्थित प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपना लिया है, जिसमें 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ के रूप में घोषित करने की बात कही गई है। इस प्रस्ताव का प्राथमिक उद्देश्य बदलती जलवायु परिस्थितियों में बाजरे के स्वास्थ्य लाभ एवं खेती के लिये उसकी उपयुक्तता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ज्ञात हो कि बाजरे की खेती ऐतिहासिक रूप से व्यापक स्तर पर कई देशों में की जाती रही है, किंतु बीते कुछ समय से कई देशों में इसके उत्पादन में कमी आ रही है। इस लिहाज से उत्पादन क्षमता, अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में उच्च निवेश किये जाने की आवश्यकता है ताकि बाजरे के पोषण एवं पारिस्थितिक लाभ से उपभोक्ताओं, उत्पादकों और निर्णय निर्माताओं को लाभान्वित किया जा सके। इस प्रस्ताव के परिणामस्वरूप बाजरे की खेती के लिये अनुसंधान एवं विकास में भी बढ़ोतरी हो सकेगी। ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ का आयोजन करने से बाजरे के उत्पादन को लेकर और अधिक जागरूकता बढ़ाई जा सकेगी। यह खाद्य सुरक्षा, पोषण, आजीविका सुनिश्चित करने और किसानों की आय में बढ़ोतरी करने, गरीबी उन्मूलन और सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी योगदान देगा, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो जलवायु परिवर्तन से काफी प्रभावित हैं।
मैरी कॉम
छह बार विश्व चैंपियन रहीं मैरी कॉम को अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज़ी संघ (AIBA) की ‘चैंपियन एंड वेटरन्स कमेटी’ के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है, इस समिति की स्थापना पिछले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज़ी संघ द्वारा अपने सुधार कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में की गई थी। बीते वर्ष दिसंबर माह में गठित इस समिति में विश्व भर के सबसे सम्मानित बॉक्सिंग दिग्गज और चैंपियन शामिल हैं। 1 मार्च, 1983 को जन्मी मैरी कॉम विश्व प्रसिद्ध भारतीय मुक्केबाज़ हैं, जो कि मूल रूप से मणिपुर से संबंधित हैं। मैरी कॉम ने अपने अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली AIBA महिला विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप के साथ की थी, जहाँ उन्होंने 48 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीता था। मैरी कॉम की प्रतिभा के कारण वर्ष 2003 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें वर्ष 2006 में पद्मश्री और वर्ष 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। बॉक्सिंग में उनके बेहतरीन कॅरियर को देखते हुए मणिपुर सरकार ने वर्ष 2018 में उन्हें ‘मीथोईलीमा’ की उपाधि से भी सम्मानित किया था। मैरी कॉम को अप्रैल 2016 में राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा का सदस्य भी मनोनीत किया गया था।
नाग नदी
हाल ही में केंद्र सरकार ने नाग नदी में सीवेज और औद्योगिक कचरे के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिये ‘नाग नदी प्रदूषण न्यूनीकरण’ परियोजना को मंज़ूरी दी है। केंद्र सरकार द्वारा ‘नाग नदी प्रदूषण न्यूनीकरण’ परियोजना के लिये तकरीबन 2,117.54 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी गई है। इस परियोजना को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत मंज़ूरी दी गई है और इसे राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा। इस परियोजना के कार्यान्वयन से अनुपचारित सीवेज, ठोस अपशिष्ट और नाग नदी एवं उसकी सहायक नदियों में बहने वाले अन्य प्रदूषक तत्त्वों की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी और इनके स्तर में कमी लाते हुए नदी के स्वास्थ्य एवं पारिस्थितिक तंत्र में सुधार होगा। ध्यातव्य है कि यह नदी महाराष्ट्र में नागपुर शहर से होकर गुज़रती है और महाराष्ट्र के तीसरे सबसे बड़े शहर नागपुर को यह नाम इसी नदी से प्राप्त हुआ है। ‘नाग नदी’ मूल तौर पर पश्चिमी नागपुर में अंबाझरी झील से निकलती है। नाग नदी सीवेज और औद्योगिक कचरे के कारण काफी अधिक प्रदूषित है तथा बीते वर्ष बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भी नदी के प्रदूषण की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था।
प्लैटिपस के लिये विश्व का पहला अभयारण्य
ऑस्ट्रेलियाई संरक्षणवादियों ने हाल ही में प्लैटिपस के लिये विश्व का पहला अभयारण्य स्थापित करने की योजना बनाई है, ताकि प्लैटिपस के प्रजनन एवं पुनर्वास को बढ़ावा दिया जा सके, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण यह लगभग विलुप्त होने की कगार पर है। योजना के मुताबिक, वर्ष 2022 तक सिडनी से 391 किमी. (243 मील) की दूरी पर यह केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहाँ कुल 65 प्लैटिपस मौजूद होंगे। यह केंद्र संरक्षणवादियों और वैज्ञानिकों को प्लैटिपस के बारे में और अधिक जानने में मदद करेगा। प्लैटिपस एक ज़हरीला स्तनधारी जीव है, जिसमें इलेक्ट्रोलोकेशन की शक्ति होती है, अर्थात् ये किसी जीव का शिकार उसके पेशी संकुचन द्वारा उत्पन्न विद्युत तरंगों का पता लगाकर करते हैं। ऑस्ट्रेलिया के अन्य प्रसिद्ध जानवरों जैसे- कंगारू आदि के विपरीत प्लैटिपस अपनी एकांत प्रकृति और अत्यधिक विशिष्ट निवास संबंधी आवश्यकताओं के कारण प्रायः कम ही दिखाई देते हैं। इसे IUCN की रेड लिस्ट में ‘निकट संकटग्रस्त’ श्रेणी में रखा गया है।