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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 जून, 2023

  • 05 Jun 2023
  • 8 min read

स्वास्थ्य देखभाल एवं उत्कृष्टता का सम्मान करना 

कोच्चि, केरल में अमृता अस्पताल के रजत जयंती कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से अमृता विश्व विद्यापीठम के अमृतपुरी एवं कोच्चि परिसरों में दो अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्रों का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम ने चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढाँचे में उल्लेखनीय प्रगति तथा आयुष्मान भारत योजना के महत्त्वपूर्ण प्रभाव पर प्रकाश डाला, जो 60 करोड़ से अधिक गरीबों को मुफ्त इलाज प्रदान करता है। साथ ही विशेष रूप से मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 387 से 648 तक की पर्याप्त वृद्धि देखी गई है और 22 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences- AIIMS) की स्थापना ने देश भर में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच का विस्तार किया है। गृह मंत्री ने चिकित्सा उत्कृष्टता एवं अनुसंधान में असाधारण उपलब्धियों हेतु अमृता अस्पताल की सराहना की, जिसमें भारत का पहला माइक्रो-ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, उच्च परिशुद्धता वाले रोबोटिक लिवर ट्रांसप्लांट की सबसे बड़ी संख्या व देश की पहली 3D प्रिंटिंग लैब जैसे अग्रणी सुविधाएँ शामिल हैं।

और पढ़ें…आयुष्मान भारत योजना, भारत का स्वास्थ्य ढाँचा

शानन जलविद्युत परियोजना को लेकर पंजाब-हिमाचल प्रदेश में टकराव 

ऊहल नदी (ब्यास की सहायक नदी) पर स्थित 110 मेगावाट की शानन जलविद्युत परियोजना का पट्टा मार्च 2024 में समाप्त होने वाला है। इसे हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले के जोगिंदरनगर में ब्रिटिश काल में  स्थापित किया गया था था और इस पर पंजाब तथा हिमाचल प्रदेश के बीच विवाद छिड़ गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस परियोजना को समाप्त होने पर राज्य को सौंपने की मांग करते हुए पट्टे का नवीनीकरण या विस्तार नहीं करेगी। हालाँकि पंजाब परियोजना पर नियंत्रण बनाए रखने का इरादा रखता है और कानूनी उपायों का सहारा लेने के लिये तैयार है। 

ऊहल नदी हिमालय की धौलाधार पर्वतमाला में स्थित थाम्सर ग्लेशियर (हिमाचल प्रदेश में) से निकलती है और हिमाचल प्रदेश के बड़ा ग्रान और बरोट गाँव एवं ऊहल घाटी से होकर प्रवाहित होती है। ऊहल नदी ब्यास नदी का जल बेसिन है। ऊहल नदी को त्युन नाला के नाम से भी जाना जाता है तथा ऊहल घाटी चोहर घाटी के नाम से भी प्रसिद्ध है। चोहर घाटी को पार करने के बाद ऊहल नदी पंडोह से 5 किलोमीटर नीचे की तरफ ब्यास नदी में मिलती है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की चिरस्थायी विरासत 

छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस की 350वें वर्ष की स्मृति में प्रधानमंत्री ने भारत के वर्तमान युग के संदर्भ में इस ऐतिहासिक घटना के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक अत्यधिक महत्त्व के एक अध्याय का प्रतीक है, जो स्व-शासन, सुशासन और समृद्धि की विशेषता है, जो राष्ट्र को प्रेरित करता है। शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक ने भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने पर बल देने के साथ स्वराज्य (स्व-शासन) एवं राष्ट्रवाद की भावना को भी मूर्त रूप दिया। इस विरासत का सम्मान करने के लिये भारतीय नौसेना ने ब्रिटिश शासन का प्रतिनिधित्व करने वाले ध्वज भारत के समुद्री गौरव के प्रतीक को शिवाजी महाराज के प्रतीक के साथ बदल दिया। उनका जन्म 19 फरवरी, 1630 को महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के शिवनेरी किले में हुआ था। शिवाजी ने जागीरदारी प्रणाली को समाप्त कर दिया तथा इसे रैयतवाड़ी प्रणाली से बदल दिया। उन्होंने छत्रपति, शाकार्ता, क्षत्रिय कुलवंतों और हैंदव धर्मोद्धारक की उपाधियाँ धारण कीं। वह इतिहास में एक अद्वितीय शासक थे जिन्होंने सैन्य कौशल और असाधारण शासन कौशल दोनों का प्रदर्शन किया। उन्होंने कम उम्र में किलों पर विजय प्राप्त की और शत्रुओं को पराजित किया, अपने सैन्य नेतृत्व का प्रदर्शन किया, साथ ही सुशासन स्थापित करने के लिये लोक प्रशासन में सुधारों को लागू किया।

और पढ़ें… छत्रपति शिवाजी महाराज

भारत सरकार द्वारा अरहर और उड़द दाल पर स्टॉक सीमा तय 

जमाखोरी पर अंकुश लगाने, अनैतिक अटकलों को रोकने तथा उपभोक्ताओं के सामर्थ्य को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने अरहर और उड़द दाल पर स्टॉक सीमा लगाने के आदेश को लागू किया है। 

लाइसेंसिंग आवश्‍यकताएँ हटाने, भंडारण सीमा निर्धारण और आवाजाही पर प्रतिबंध संबंधी विशेष खाद्यान्न संशोधन आदेश 2023, जो कि थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी शृंखला के विक्रेताओं, मिलर्स और आयातकों पर लागू होता है, को 2 जून, 2023 से तत्‍काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इस आदेश के तहत सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 31 अक्तूबर, 2023 तक अरहर और उड़द दाल की भंडारण सीमा निर्धारित की गई है। इस आदेश के तहत निर्धारित स्टॉक सीमा इस प्रकार है: थोक व्यापारी प्रत्येक दाल के 200 मीट्रिक टन (MT) तक व्यक्तिगत रूप से रख सकते हैं, खुदरा विक्रेता 5 मीट्रिक टन तक सीमित हैं, बड़ी शृंखला के खुदरा विक्रेता प्रत्येक खुदरा आउटलेट पर 5 मीट्रिक टन और डिपो में 200 मीट्रिक टन रख सकते हैं। मिलरों को उत्पादन के अंतिम तीन महीनों या उनकी वार्षिक स्थापित क्षमता का 25% (जो भी अधिक हो) रखने की अनुमति है तथा आयातकों को सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 30 दिनों के बाद आयातित स्टॉक रखने से प्रतिबंधित किया गया है। अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये कानूनी संस्थाओं को अधिसूचना के 30 दिनों के भीतर उपभोक्ता मामलों के विभाग के पोर्टल पर अपने स्टॉक की स्थिति घोषित करने की आवश्यकता होती है।

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