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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 अप्रैल, 2022

  • 05 Apr 2022
  • 6 min read

भारत की पहली स्टील स्टैग सड़क 

गुजरात का सूरत प्रसंस्कृत स्टील स्लैग (Industrial Waste) से सड़क बनाने वाला पहला भारतीय शहर बन गया है। इस सड़क को केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), नीति आयोग, केंद्रीय इस्पात मंत्रालय तथा आर्सेलर मित्तल-निप्पॉन स्टील (AM/NS) द्वारा संयुक्त उद्यम परियोजना के रूप में विकसित किया गया है। यह सड़क स्टील स्लैग यानी स्टील इंडस्ट्री के वेस्ट मैटेरियल से बनी है। यह सड़क 6 लेन की है, जिसके दोनों ओर तीन लेन हैं। सूरत के बाहरी इलाके में औद्योगिक एस्टेट में स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारी-भरकम वाहन इस सड़क का उपयोग कर रहे हैं। इस स्टील सड़क की निर्माण लागत प्राकृतिक एग्रीगेट (Natural Aggregates) का उपयोग करके बनाई गई सड़कों की तुलना में 30% सस्ती है। साथ ही इस सड़क की मोटाई सामान्य सड़कों से 30% कम है। चूँकि इस सड़क के निर्माण के लिये स्टील स्लैग का उपयोग किया जाता है, इसलिये यह काफी टिकाऊ होती है। इस परियोजना को वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth) और स्वच्छ भारत अभियान पहल के तहत लागू किया गया है।

राष्ट्रीय समुद्री दिवस

5 अप्रैल, 1919 को मुंबई से लंदन की यात्रा करने वाले प्रथम भारतीय फ्लैग मर्चेंट पोत (एम/एस सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी के स्वामित्व वाली) ‘एस. एस. लॉयल्टी’ (S.S LOYALTY) की पहली यात्रा की स्मृति में 5 अप्रैल, 2022 को 59वाँ राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया जा रहा है। इसका आयोजन भारत के शिपिंग उद्योग को प्रोत्साहित करने हेतु किया जाता है। शिपिंग उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। वर्तमान में भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वॉल्यूम के संदर्भ में लगभग 90% और मूल्य के संदर्भ में 77% समुद्र के माध्यम से किया जाता है। पिछले दो वर्षों में देश के साथ-साथ समुद्री परिवहन उद्योग भी कोविड-19 महामाँरी के कारण आर्थिक और अन्य समस्याओं का सामना कर रहा था, जिसके मद्देनज़र वर्ष 2022 के राष्ट्रीय समुद्री दिवस की थीम “सस्टेनेबल शिपिंग बियोंड कोविड-19” (Sustainable Shipping Beyond Covid-19) रखी गई है। शिपिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा कुछ अन्य पहलों का भी क्रियान्वयन किया जा रहा है जिनमें सागरमाला पहल, प्रोजेक्ट उन्नति, नीली अर्थव्यवस्था की नीति आदि पहलें शामिल हैं। 

वन्यजीव व्यापार पर WWF की रिपोर्ट

हाल ही में विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund) द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें बताया गया है कि म्यांँमार में ऑनलाइन वन्यजीवों की अवैध खरीद बढ़ रही है जो लुप्तप्राय प्रजातियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों के लिये खतरा पैदा कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 के सैन्य कब्ज़े, राजनीतिक उथल-पुथल के कारण इस प्रकार की खरीद फरोख्त या लेन-देन पर प्रतिबंध लागू करना कठिन हो गया है। एक वर्ष के भीतर इस तरह के सौदों में 74% की वृद्धि हुई है। व्यापार की गई 173 प्रजातियों में से 54 वैश्विक विलुप्ति का सामना कर रही हैं तथा 639 ऐसे फेसबुक एकाउंट्स की पहचान की गई है जो वन्यजीव व्यापारियों से संबंधित हैं। इस सबसे बड़े ऑनलाइन वन्यजीव व्यापार समूह में 19,000 से अधिक सदस्य हैं और हर हफ्ते दर्जनों पोस्ट किये जाते हैं। जिन जानवरों का व्यापार किया गया उनमें भालू, हाथी, गिबन, गंभीर रूप से लुप्तप्राय पैंगोलिन, तिब्बती मृग और एक एशियाई विशाल कछुआ प्रजाति शामिल थी। बंदरों की विभिन्न प्रजातियांँ ऑनलाइन बिकने वाली सबसे लोकप्रिय व्यापारिक प्रजातियांँ थीं। WWF का गठन वर्ष 1961 में हुआ तथा यह पर्यावरण के संरक्षण, अनुसंधान एवं रख-रखाव संबंधी विषयों पर कार्य करता है। इसका उद्देश्य पृथ्वी पर पर्यावरण के क्षरण को रोकना और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है जिसमें मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके। WWF द्वारा लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (Living Planet Report), लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (Living Planet Index) तथा इकोलॉजिकल फुटप्रिंट कैलकुलेशन (Ecological Footprint Calculation) प्रकाशित की जाती हैं। इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विट्ज़रलैंड) में है।

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