Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 मई, 2022 | 04 May 2022
अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस
प्रतिवर्ष 4 मई को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य उन अग्निशमन कर्मियों को याद करना है, जिन्होंने समाज की रक्षा करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया है। ज्ञात हो कि 4 जनवरी, 1999 को ऑस्ट्रेलिया के वनों में लगी आग बुझाने के दौरान पाँच अग्निशमन कर्मियों की मृत्यु हो गई थी और इसी घटना को चिह्नित करते हुए प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस दिवस का आयोजन किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस का प्रतीक लाल और नीला रिबन है। इसमें लाल रंग आग को दर्शाता है एवं नीला रंग पानी को और ये रंग दुनिया भर में आपातकालीन सेवाओं का संकेत देते हैं। यह दिवस अग्निशामकों को उनकी प्रतिबद्धता, असाधारण साहस और नि:स्वार्थ सेवा के लिये धन्यवाद करने हेतु मनाया जाता है। इसके अलावा भारत में 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1944 में 14 अप्रैल को मुंबई बंदरगाह पर एक मालवाहक जहाज़ में अचानक आग लग गई थी, जिसमें काफी मात्रा में रुई, विस्फोटक और युद्ध उपकरण थे। इस आग पर काबू पाने की कोशिश में 66 अग्निशमनकर्मी आग की चपेट में आकर अपने प्राण गँवा बैठे थे। इन्हीं अग्निशमन कर्मियों की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
देश का 100वाँ यूनिकॉर्न
बंगलूरू स्थित नियोबैंक प्लेटफॉर्म 'ओपेन' 100वाँ यूनिकॉर्न बन गया है। नए सिरे से फंडिंग जुटाने के बाद कंपनी का मूल्य एक अरब डॉलर को पार कर गया है। भारत वर्तमान में यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त कंपनियों की संख्या के मामले में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है (अमेरिका और चीन से पीछे, लेकिन यू.के. एवं जर्मनी से आगे)। यूनिकॉर्न, वे स्टार्ट-अप होते हैं जिनका मूल्य 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होता है। इस शब्द को पहली बार कैलिफोर्निया के पालो अल्टो में स्थित एक सीड-स्टेज वेंचर कैपिटल फंड ‘काउबॉय वेंचर्स’ के संस्थापक ‘ऐलीन ली’ द्वारा गढ़ा गया था। यूनिकॉर्न मानव संसाधन क्षेत्र में भर्ती से संबंधित अवधारणा को संदर्भित करता है।
विश्व अस्थमा दिवस
विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) प्रत्येक वर्ष मई महीने के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस 3 मई, 2022 को मनाया गया। इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस-2022 की थीम ‘क्लोज़िंग गैप्स इन अस्थमा केयर’ (Closing Gaps in Asthma Care) है। इसका मूल उद्देश्य विश्व भर में अस्थमा की बीमारी एवं देखभाल के बारे में जागरूकता फैलाना है। वर्ष 1998 में पहली बार ‘ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा’ (GINA) ने इसका आयोजन बार्सिलोना (स्पेन) में हुई ‘प्रथम विश्व अस्थमा बैठक’ के बाद किया था। हालाँकि COVID-19 के कारण इस वर्ष वैश्विक स्तर पर इसका आयोजन स्थगित कर दिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्व में लगभग 235 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। ‘ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा’ (GINA) को वर्ष 1993 में अस्थमा के लिये वैश्विक पहल के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ’ (National Institutes of Health), ‘नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट’ (National Heart, Lung and Blood Institute- NHLBI) के सहयोग से शुरू किया गया था। अस्थमा फेफड़ों की एक पुरानी बीमारी है, जिसके कारण रोगी को साँस लेने में समस्या होती है। यह गैर-संचारी रोगों में से एक है। इस बीमारी के दौरान श्वसनमार्ग में सूजन से सीने में जकड़न, खाँसी, साँस लेने में तकलीफ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है। ये लक्षण आवृत्ति एवं गंभीरता (Frequency and Severity) में भिन्न होते हैं। जब लक्षण नियंत्रण में नहीं होते हैं तो साँस लेना मुश्किल हो सकता है। वर्तमान में यह बीमारी बच्चों में सबसे अधिक देखने को मिलती है। अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता है किंतु अगर सही समय पर सही इलाज के साथ इसका प्रबंधन किया जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
हर्षदा शरद गरुड
हर्षदा शरद गरुड यूनान के हेराकलियोन में आयोजित आईडब्ल्यूएफ जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक बन गई हैं। हर्षदा से पहले इस चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली सिर्फ दो भारतीय खिलाड़ी हैं। वर्ष 2013 में मीराबाई चानू ने कांस्य पदक, जबकि पिछले साल अचिंता श्युली ने रजत पदक जीता था। हर्षदा ने महिलाओं के 45 किलोग्राम भार वर्ग में 153 किलोग्राम वज़न उठाया, जिसमें स्नैच में 70 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 83 किलोग्राम शामिल है। तुर्की की बेकटास कांसु ने रजत पदक जीता, जबकि मोल्डोवा की तेओडोरा लुमिनिता हिंकू ने कांस्य पदक अपने नाम किया। इसी वर्ग में हिस्सा ले रही एक अन्य भारतीय अंजलि पटेल कुल 148 किग्रा (67 किग्रा और 81 किग्रा) वज़न उठाकर पांँचवें स्थान पर रहीं। महाद्वीपीय और विश्व चैंपियनशिप में स्नैच, क्लीन एवं जर्क तथा कुल वज़न में अलग-अलग पदक दिये जाते हैं, जबकि ओलंपिक में सिर्फ कुल वज़न वर्ग में पदक दिया जाता है।