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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 अगस्त, 2022

  • 04 Aug 2022
  • 6 min read

श्रीमद राजचंद्र  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 04 जुलाई, 2022 को गुजरात के धर्मपुर में श्रीमद राजचंद्र मिशन के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे और आधारशिला रखेंगे। प्रधानमंत्री वलसाड ज़िले के धर्मपुर में श्रीमद राजचंद्र अस्पताल का उद्घाटन करेंगे। इस अस्पताल पर लगभग दो सौ करोड़ रुपए की लागत आई, जिसमें 250 बेड व अन्य अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। इससे दक्षिणी गुजरात के लोगों को विशेष रूप से लाभ होगा। प्रधानमंत्री श्रीमद राजचंद्र पशु अस्पताल की भी आधारशिला रखेंगे। इस अस्पताल पर लगभग 70 करोड़ रुपए की लागत आएगी। यह अस्पताल पशुओं की देखभाल और उपचार के लिये पारंपरिक औषधि के साथ-साथ समग्र चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराएगा। प्रधानमंत्री महिलाओं के लिये श्रीमद राजचंद्र उत्कृष्टता केन्द्र की भी आधारशिला रखेंगे। यह उत्कृष्टता केन्द्र लगभग चालीस करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा और इसमें स्वविकास कार्यक्रमों के अलावा मनोरंजन की भी सुविधा उपलब्ध होगी। इसमें 700 से अधिक जनजातीय महिलाओं को रोज़गार मिलेगा और हज़ारों लोगों को आजीविका की व्यवस्था होगी

सुरेश एन. पटेल

सुरेश एन0 पटेल ने 3 अगस्त, 2022 को केन्‍द्रीय सतर्कता आयुक्‍त (CVC) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में उन्‍होंने राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में पद की शपथ ग्रहण की। सुरेश एन0 पटेल आंध्र बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रह चुके हैं जिन्हें अप्रैल 2020 में सतर्कता आयुक्त नियुक्त किया गया था तथा 24 जून, 2022 से कार्यवाहक CVC के रूप में सेवारत थे । केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission-CVC) एक शीर्षस्‍थ सतर्कता संस्‍थान है जो किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियंत्रण से मुक्‍त है तथा केंद्रीय सरकार के अंतर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है। यह केंद्रीय सरकारी संगठनों में विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, उनके निष्‍पादन, समीक्षा एवं सुधार करने के संबंध में सलाह देता है। वर्ष 1964 में के. संथानम की अध्यक्षता वाली भ्रष्टाचार निरोधक समिति (Committee on Prevention of Corruption) की सिफारिशों पर सरकार द्वारा CVC की स्थापना की गई थी। वर्ष 2003 में केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम (The Central Vigilance Commission Act) द्वारा आयोग के सांविधिक दर्जे की पुष्टि कर दी गई। यह एक स्वतंत्र निकाय है जो केवल संसद के प्रति ज़िम्मेदार है। यह अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को सौंपता है।

प्रायोगिक शिक्षण कार्यक्रम  

जनजातीय छात्रों के लिये राष्ट्रीय शिक्षा सोसायटी (NESTS), जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा सीबीएसई ने 3 अगस्त, 2022 को एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) के प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के लिये 21वीं सदी के कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रायोगिक शिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का पहला चरण  20 नवंबर, 2021 को शुरू किया गया था जिसमें 6 राज्यों, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में स्थित सीबीएसई और EMRS के 350 शिक्षकों ने भाग लिया था। दूसरे चरण में, 8 सप्ताह के पेशेवर विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहले चरण में शामिल राज्यों के अलावा गुजरात, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और उत्तराखंड के EMRS के 300 शिक्षकों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। 21वीं सदी के लिये प्रायोगिक शिक्षण कार्यक्रम को शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के लिये एक ऑनलाइन कार्यक्रम के रूप में परिकल्पित किया गया है ताकि उन्हें कक्षा में शिक्षण को वास्तविक जीवन के अनुभवों के अनुकूल बनाने में मदद मिल सके। EMRS पूरे भारत में भारतीय जनजातियों (STs) के लिये मॉडल आवासीय विद्यालय बनाने की एक योजना है। इसकी शुरुआत वर्ष 1997-98 में हुई थी। जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा शिंदे (नासिक) में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की योजना आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये बनाई गई है। EMRS में सीबीएसई पाठ्यक्रम का अनुसरण किया जाता है। 

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