Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 मई, 2021 | 03 May 2021
सत्यजीत रे
02 मई, 2021 को विश्व प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक ‘सत्यजीत रे’ की जन्म शताब्दी मनाई गई। सत्यजीत रे का जन्म 2 मई, 1921 को कलकत्ता (भारत) के एक संपन्न परिवार में हुआ था। 20वीं सदी के सबसे महान निर्देशकों में से एक के रूप में चर्चित ‘सत्यजीत रे’ को भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी काफी ख्याति प्राप्त हुई। ‘सत्यजीत रे’ ने अपने कॅॅरियर की शुरुआत एक ग्राफिक डिज़ाइनर के तौर पर की थी। इसके बाद ‘सत्यजीत रे’ लंदन गए और इस दौरान उन्होंने ‘विटोरियो डी सिका’ के निर्देशन में बनी इटली की नव-यथार्थवादी (न्यू-रीयलिस्टिक) फिल्म ‘बाइसिकल थीव्ज़’ (1948) देखी, जिससे वे स्वतंत्र फिल्म निर्माण और खासतौर पर इटली के नव-यथार्थवादी आंदोलन से काफी प्रेरित हुए, जो कि उनकी फिल्मों में भी स्पष्ट नज़र आता है। ‘सत्यजीत रे’ ने अपने संपूर्ण फिल्मी कॅॅरियर में लगभग 36 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फीचर फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म शामिल हैं। इसके अलावा वह एक बेहतरीन फिक्शन लेखक, प्रकाशक, चित्रकार, संगीतकार, ग्राफिक डिज़ाइनर और फिल्म समीक्षक भी थे। उन्होंने बच्चों और किशोरों को केंद्र में रखते हुए कई लघु कथाएँ और उपन्यास लिखे। वह भारत के पहले और एकमात्र ऑस्कर विजेता निर्देशक थे, साथ ही उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। ‘सत्यजीत रे’ की पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ (1955) ने वर्ष 1956 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में कुल ग्यारह अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे। भारत सरकार ने सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 1992 में ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया था।
अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान दिवस
विश्व भर में प्रतिवर्ष दो बार ‘अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान दिवस’ का आयोजन किया जाता है। पहला 2 मई को, जबकि दूसरा 26 सितंबर को। इस दिवस के अवसर पर विभिन्न संग्रहालयों और खगोलीय संस्थानों द्वारा खगोल विज्ञान के संबंध में में जागरूकता फैलाने के लिये सेमिनार, कार्यशालाओं और अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। वर्ष 1973 में, उत्तरी कैलिफोर्निया के खगोलीय संघ के अध्यक्ष ‘डौग बर्जर’ ने पहले खगोल विज्ञान दिवस का आयोजन किया था। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को खगोल विज्ञान के महत्त्व और संपूर्ण ब्रह्मांड के संबंध में जागरूक करना है और उन्हें इसके प्रति रुचि विकसित करने में मदद करना है। खगोल विज्ञान का अध्ययन बीते लगभग 5,000 वर्षों से प्रचलित है और इसे संबद्ध विज्ञान शाखाओं में सबसे पुराना माना जाता है। वर्ष 1608 में टेलीस्कोप के आविष्कार के बाद ब्रह्मांड के रहस्य को जानने में खलोग विज्ञान का महत्त्व और भी अधिक बढ़ गया। समय के साथ-साथ बीते कुछ दशकों में प्रौद्योगिकी ने महत्त्वपूर्ण वृद्धि की है और कई सिद्धांत एवं अवलोकन प्रस्तुत किये गए हैं, जिससे खगोल विज्ञान और अधिक प्रगति कर रहा है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस
प्रत्येक वर्ष विश्व भर में 3 मई को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ मनाया जाता है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य प्रेस और मीडिया की आज़ादी के महत्त्व के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रेस को लोकतंत्र का 'चौथा स्तंभ' माना जाता है। सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने और प्रशासन तक आम लोगों की आवाज़ को पहुँचाने में प्रेस/मीडिया की काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। ऐसे में मीडिया की स्वतंत्रता इसके लिये कुशलतापूर्वक कार्य करने हेतु अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। यूनेस्को की जनरल काॅन्फ्रेंस की सिफारिश के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ (3 मई) ‘विंडहोक’ (Windhoek) घोषणा की वर्षगांठ को चिह्नित करता है। वर्ष 1991 की ‘विंडहोक घोषणा’ एक मुक्त, स्वतंत्र और बहुलवादी प्रेस के विकास से संबंधित है। इस वर्ष विश्व प्रेस दिवस की थीम ‘इनफाॅॅर्मेशन एज़ ए पब्लिक गुड’ है। यह विषय प्रेस द्वारा प्रचारित महत्त्वपूर्ण सूचना को लोकहित के रूप में देखने पर ज़ोर देती है।
करेन नेशनल यूनियन
करेन नेशनल यूनियन (KNU) फाॅर्स ने हाल ही में पूर्वी म्याँमार में उत्तर-पश्चिमी थाईलैंड की सीमा के करीब एक सैन्य पोस्ट पर हमला कर उसे ज़ब्त कर लिया है। करेन नेशनल यूनियन (KNU) की सशस्त्र शाखा करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी, वर्ष 1949 से म्याँमार की सरकार के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष कर रही है। यह विद्रोह म्याँमार के जातीय अल्पसंख्यक समूह ‘करेन’ के राष्ट्रवादियों द्वारा शुरू किया गया है, जो कि एक स्वतंत्र देश की स्थापना की मांग कर रहे हैं। ज्ञात हो कि 1 फरवरी, 2021 को हुए तख्तापलट के बाद से म्याँमार सैन्य नियंत्रण में है और तख्तापलट के बाद लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता ‘आंग सान सू की’ समेत विभिन्न नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। म्याँमार जिसे बर्मा के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण पूर्व एशिया में अवस्थित एक देश है, जो कि थाईलैंड, लाओस, बांग्लादेश, चीन और भारत आदि देशों के साथ अपनी सीमा साझा करता है।