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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 जून, 2022

  • 03 Jun 2022
  • 6 min read

विश्व साइकिल दिवस  

हाल ही में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री ने विश्व साइकिल दिवस पर नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से राष्ट्रव्यापी फिट इंडिया फ्रीडम राइडर साइकिल रैली का शुभारंभ किया। प्रतिवर्ष 3 जून को ‘विश्व साइकिल दिवस’ मनाया जाता है। भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने इस साइकिल रैली को आयोजित किया है। फिट इंडिया अभियान को बढ़ावा देने के लिये साइकिल के उपयोग पर बल दिया गया। नेहरू युवा केंद्र संगठन ने देश भर में 75 प्रतिष्ठित स्थानों पर साइकिल रैलियांँ आयोजित की हैं। इसमें 75 प्रतिभागी साढ़े सात किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। साइकिल की विशिष्टता को स्वीकार करते हुए इसे परिवहन के एक सरल, किफायती, भरोसेमंद, स्वच्छ और पर्यावरणीय रूप से उपयुक्त साधन के रूप में प्रोत्साहित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा सर्वप्रथम 3 जून, 2018 को विश्व साइकिल दिवस का आयोजन किया गया था। यह दिवस सतत् विकास को बढ़ावा देने और शारीरिक शिक्षा समेत सामान्य शिक्षा पद्धति को मज़बूत करने के साधन के रूप मेंं साइकिल के उपयोग पर ज़ोर देने के लिये प्रोत्साहित करता है। इस अवसर पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मज़बूत करने तथा समाज में साइकिल के उपयोग की संस्कृति को विकसित करने के लिये अनेक प्रकार के आयोजन किये जाते हैं।    

अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस 

विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस मनाया जाता है। रूस में अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस पहली बार वर्ष 1949 में मनाया गया था। इसका निर्णय मॉस्को में अंतर्राष्ट्रीय महिला लोकतांत्रिक संघ की एक विशेष बैठक में लिया गया था। 1 जून, 1950 को विश्व के 51 देशों में अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस पहली बार मनाया गया था। इसका उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है। इस दिन बच्चों को तोहफे दिये जाते हैं तथा उनके लिये विशेष समारोहों का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में करीब 43 लाख से ज़्यादा बच्चे बाल मज़दूरी करते हैं। यूनिसेफ के अनुसार विश्व के कुल बाल मज़दूरों में 12 फीसदी की हिस्सेदारी अकेले भारत की है। भारत में कानून के अनुसार, बाल श्रम कराने पर छह माह से दो साल तक कारावास की सज़ा हो सकती है। 

अफगानिस्तान में मानवीय सहायता 

अफगानिस्‍तान में मानवीय सहायता कार्यों की देखरेख के लिये एक भारतीय दल 2 जून से काबुल के दौरे पर हैं। इसके सदस्‍य मानवीय सहायता वितरण में शामिल अंतर्राष्‍ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से भेंट करेंगे। यह दल उन स्‍थानों का भी दौरा करेगा, जहाँ भारतीय कार्यक्रम और परियोजनाएँ  लागू की जा रही हैं। भारत ने अफगानिस्‍तान के लोगों की मानवीय ज़रूरतों को देखते हुए सहायता भेजने का फैसला किया था। भारत ने वहाँ खाद्य सामग्री, दवाइयाँ और कोविडरोधी टीकों सहित राहत सामग्री की कई खेप भेजी हैं। भारतीय सहायता का अफगानिस्‍तान में समाज के सभी वर्गों ने स्‍वागत किया है। भारतीय दल तालिबान के वरिष्‍ठ सदस्‍यों से भी मिलेगा और अफगानिस्‍तान के लोगों के लिये मानवीय सहायता के बारे में बातचीत करेगा।  अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी और तालिबान द्वारा कब्ज़ा करने के बाद भारत इस क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर चिंतित है। 1990 के दशक में एक संक्षिप्त अवरोध को छोड़ दें तो अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक रूप से अच्छे रहे हैं, जो वर्ष 1950 की मैत्री संधि (Treaty of Friendship) से आगे बढ़े थे।  भारत ने अफगानिस्तान में भारी निवेश और वित्तीय प्रतिबद्धताओं (3 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक) की पूर्ति की है और अफगान सरकार के साथ मज़बूत आर्थिक और रक्षा संबंध विकसित किये हैं। लेकिन अब एक बार फिर वह अनिश्चितता की स्थिति से गुज़र रहा है क्योंकि अमेरिकी सैन्य बल की वापसी ने अफगानिस्तान में शक्ति संतुलन को प्रभावी रूप से बदल दिया है और तालिबान ने अब यहाँ तेज़ी से अपनी क्षेत्रीय पकड़ मज़बूत कर ली है। 

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