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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 फरवरी, 2022

  • 03 Feb 2022
  • 7 min read

RAMP कार्यक्रम

केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 6,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के साथ RAMP कार्यक्रम को शुरू करने की घोषणा की गई है। RAMP कार्यक्रम को 5 साल की अवधि के लिये लागू किया जाएगा। RAMP जिसका पूरा नाम Raising and Accelerating MSME Performance है, एक रिकवरी कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारत में MSMEs की स्थिति में सुधार करना है। COVID महामारी के कारण लगे लॉक डाउन से MSME क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यह MSMEs को वित्त की बेहतर पहुंँच प्रदान कर इसकी उत्पादकता में वृद्धि करेगा। साथ ही यह MSMEs क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाकर इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करेगा। भारत में 40% MSMEs की वित्त तक पहुंँच नहीं है। MSMEs भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इनका देश के निर्यात में 40% और सकल घरेलू उत्पाद का 30% योगदान है। यह तरलता की समस्या का समाधान प्रस्तुत करेगा। वर्तमान में ऋणदाता उधारकर्त्ताओं द्वारा ऋण के भुगतान को लेकर चिंतित हैं जो कि MSME क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सीमित और कम कर रहा है। यह कार्यक्रम गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों एवं बैंकों द्वारा दिये जाने वाले ऋण के जोखिम कम करेगा। इससे छोटे वित्त बैंकों को मज़बूती मिलेगी। यह बाज़ार उन्मुख चैनलों की वित्तपोषण क्षमता में वृद्धि करेगा। साथ ही भारत सरकार की पुनर्वित्त सुविधाओं को बढ़ावा देगा। वर्तमान में केवल 8% MSMEs को ऋण प्रदान किया जाता है। 

पीएम ई-विद्या योजना

कोविड-19 के प्रकोप के कारण प्रभावित हो रहे शैक्षिक वर्ष को नियोजित ढंग से संचालित करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा पीएम ई-विद्या योजना कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। प्रधानमंत्री ई-विद्या योजना कार्यक्रम के माध्यम से देश में डिजिटल शिक्षा प्रणाली (Digital Learning Education Program) को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके तहत सामुदायिक रेडियो, एजुकेशनल चैनल, ई-कोर्सेज़ शुरू करने का प्रावधान किया गया है। योजना के माध्यम से स्कूली शिक्षा को ऑनलाइन और डिजिटल माध्यम से जोड़ने हेतु 12 नए चैनल लाॅन्च किये जाएंगे। जो कक्षा 1 से लेकर 12वीं कक्षा तक के लिये होंगे। केंद्र सरकार द्वारा इस योजना की शुरुआत अपने विशेष आर्थिक पैकेज के तहत की गई है। योजना का मुख्य उद्देश्य देश में विद्यार्थियों के लिये ई लर्निंग और डिजिटल लर्निंग शिक्षा कार्यक्रम को बढ़ावा देना है।

मिताली राज

मिताली राज एक दिवसीय महिला क्रिकेट में बल्लेबाज़ों की रैंकिंग में दूसरे स्‍थान पर पहुंँच गई हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद- आई.सी.सी. ने महिला क्रिकेट विश्व कप 2022 से पहले यह रैंकिंग जारी की है। मिताली राज के कुल 738 अंक हैं। ऑस्ट्रेलिया की एलिसा हेली 750 अंकों के साथ पहले स्‍थान पर हैं। मिताली के अलावा भारतीय टीम की सलामी बल्लेबाज़ स्मृति मंधाना रैंकिंग में शीर्ष 10 खिलाडियों में शामिल हैं। मंधाना को हाल ही में सभी प्रारूपों में शानदार प्रदर्शन के लिये आई.सी.सी. महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर 2021 पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 03 दिसंबर, 1982 को राजस्थान के जोधपुर में जन्मी मिताली राज ने अपने अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1999 में मात्र 16 वर्ष की आयु में की थी। मिताली राज टेस्ट क्रिकेट मैच में दोहरा शतक बनाने वाली पहली महिला खिलाड़ी भी हैं। मिताली राज भारत की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने टी-20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 2 हज़ार या इससे ज़्यादा रन बनाए हैं।

ताहिती में प्राचीन कोरल रीफ की खोज 

हाल ही वैज्ञानिकों द्वारा ताहिती (Tahiti) के तट के साथ एक प्रवाल भित्ति (coral reef) की खोज की गई है। यह रीफ दो मील लंबी है और मानवजनित गतिविधियों तथा जलवायु परिवर्तन से अप्रभावित है। इस कोरल रीफ की खोज एक गोता अभियान के दौरान की गई है। यह अभियान यूनेस्को द्वारा समर्थित था। ताहिती फ्रेंच पोलिनेशिया का सबसे बड़ा द्वीप है। यह मध्य प्रशांत महासागर में स्थित है। ताहिती का निर्माण ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण हुआ था। कोरल रीफ की खोज 100 फीट से 210 फीट की गहराई पर की गई थी। यह कोरल रीफ मेसोफोटिक क्षेत्र (Mesophotic Zone) में है जो सबसे गहरा क्षेत्र है जहांँ तक ​​सूर्य का प्रकाश प्रवेश कर सकता है। इस गहराई तक कोरल मानवीय गतिविधियों से सुरक्षित रहते हैं। प्रवाल भित्तियाँ या मूंगे की चट्टानें (Coral Reefs) समुद्र के भीतर स्थित प्रवाल जीवों द्वारा छोड़े गए कैल्शियम कार्बोनेट से बनी होती हैं। प्रवाल कठोर संरचना वाले चूना प्रधान जीव (सिलेन्ट्रेटा पोलिप्स) होते हैं। इन प्रवालों की कठोर सतह के अंदर सहजीवी संबंध से रंगीन शैवाल जूजैंथिली (Zooxanthellae) पाए जाते हैं। प्रवाल भित्तियों को विश्व के सागरीय जैव विविधता का उष्ण स्थल (Hotspot) माना जाता है तथा इन्हें समुद्रीय वर्षावन भी कहा जाता है। विश्व के सर्वाधिक प्रवाल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पाए जाते हैं जो कि भूमध्य रेखा के 30 डिग्री तक के क्षेत्र में पाए जाते हैं। विश्व में पाए जाने वाले कुल प्रवाल का लगभग 30% हिस्सा दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र में पाया जाता है। यहाँ प्रवाल दक्षिणी फिलिपींस से पूर्वी इंडोनेशिया और पश्चिमी न्यू गिनी तक पाए जाते हैं।

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