लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 दिसंबर, 2022

  • 03 Dec 2022
  • 6 min read

विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस

राष्ट्रीय समुदायों के बीच कंप्यूटर साक्षरता को लेकर जागरूकता बढ़ाने और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने हेतु प्रतिवर्ष 02 दिसंबर को विश्व भर में ‘विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस तकनीकी कौशल को बढ़ावा देने पर ज़ोर देता है। इस दिवस का लक्ष्य बच्चों और महिलाओं को अधिक सीखने तथा कंप्यूटर का अधिक-से-अधिक उपयोग करने में सक्षम बनाना है। ज्ञात हो कि मौजूदा आधुनिक युग में तेज़ी से बढ़ती तकनीक और डिजिटल क्रांति के कारण कंप्यूटर मानव जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है। कंप्यूटर का ज्ञान वर्तमान समय में काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह बहुत सटीक, तीव्र है और कई कार्यों को एक साथ आसानी से पूरा करने में सक्षम है। इसके अलावा यह स्वयं में बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहीत कर सकता है और इंटरनेट का उपयोग करके विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्राप्त करने में भी सहायता करता है।

अंतर्राष्‍ट्रीय दिव्‍यांगजन दिवस

समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्‍यांगजनों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष ‘अंतर्राष्‍ट्रीय दिव्‍यांगजन दिवस’ का आयोजन किया जाता है। सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1981 को ‘विकलांगजनों के लिये अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया था। इसके पश्चात् वर्ष 1983-92 के दशक को ‘विकलांगजनों के लिये अंतर्राष्ट्रीय दशक’ घोषित किया गया। वर्ष 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को ‘विश्व दिव्‍यांगता दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Helath Organisation- WHO) के अनुसार, विश्व की 15.3% आबादी किसी-न-किसी प्रकार की अशक्तता से पीड़ित है। इस प्रकार यह विश्व का सबसे बड़ा ‘अदृश्य अल्पसंख्यक समूह’ है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या का मात्र 2.21%  दिव्यांगता से पीड़ित है। इस दिवस को मनाने का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य अशक्त-जनों की अक्षमता के मुद्दों पर समाज में लोगों की जागरूकता, समझ और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त यह दिव्‍यांगजनों के आत्म-सम्मान, कल्याण और आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी सहायता पर भी ज़ोर देता है।  

भोपाल गैस त्रासदी

विश्व की दूसरी सबसे बड़ी गैस त्रासदी को भले ही 38 साल बीत गए हों, लेकिन इसके जख्म आज भी ताज़ा हैं। भोपाल गैस त्रासदी भारत में मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में घटित वह बड़ी दुर्घटना थी, जिसमें हज़ारों लोगों ने अपनी जान गँवा दी थी। 02 और 03 दिसम्बर, 1984 को भोपाल में हुई भयानक औद्योगिक दुर्घटना को "भोपाल गैस कांड" या "भोपाल गैस त्रासदी" के नाम से जाना गया। भोपाल स्थित 'यूनियन कार्बाइड' नामक कंपनी के कारखाने से 'मिथाइल आइसोसाइनेट' (Methyl isocyanate- MIC) नामक एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ, जिससे कीटनाशक बनाया जाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनी 'यूनियन कार्बाइड' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वारेन एंडरसन ने विश्व के अन्य  देशों,  प्रांतों, प्रदेशों की तरह भोपाल में भी एक अत्यंत आधुनिक, सुरक्षा और उत्पादन के शीर्ष मायनों पर खरा उतरने वाले रासायनिक कीटनाशक उत्पादन की महत्त्वाकांक्षा वाला एक कारखाना स्थापित किया था। यूनियन कार्बाइड की बेहतरीन कीटनाशक उत्पादन प्रणाली बाज़ार के साथ सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाई और इसके कारखाने को अनुमानित अर्थलाभ की अपेक्षा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा, जिसका कंपनी की उत्पादन प्राणाली, सुरक्षा मानदंड और उपकरणों के अनुरक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग 15000 से अधिक लोगों की जान गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के शिकार हुए। भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना मानी जाती  है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2