राम प्रसाद बिस्मिल | 15 Jun 2023
11 जून, 2023 को राम प्रसाद बिस्मिल की 126वीं जयंती मनाई गई। अपने क्रांतिकारी विचारों और काव्य कौशल के लिये पहचाने जाने वाले बिस्मिल ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध लड़ाई में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बिस्मिल के बारे में प्रमुख बिंदु:
- जन्म:
- बिस्मिल का जन्म 11 जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर ज़िले के एक गाँव में मुरलीधर और मूलमती के यहाँ हुआ था।
- परिचय:
- बिस्मिल आर्य समाज (वर्ष 1875 में दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित) में शामिल हो गए और 'बिस्मिल' यानी 'घायल' या 'बेचैन' जैसे नामों का उपयोग करते हुए एक प्रतिभाशाली लेखक और कवि बन गए।
- एक भारतीय राष्ट्रवादी और आर्यसमाजी धर्मप्रचारक भाई परमानंद को मौत की सज़ा के बारे में पढ़कर उनमें पहली बार देशभक्ति की भावना उत्पन्न हुई।
- वह तब 18 वर्ष के थे और उन्होंने अपनी कविता 'मेरा जन्म' के माध्यम से अपनी पीड़ा व्यक्त की।
- वह गांधीवादी तरीकों के विपरीत स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी तरीकों में विश्वास करते थे ।
- राम प्रसाद बिस्मिल का योगदान:
- मैनपुरी षड्यंत्र:
- बिस्मिल का कॉन्ग्रेस पार्टी की उदारवादी विचारधारा से मोहभंग हो गया और उन्होंने 'मातृवेदी' नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की।
- वे वर्ष 1918 के ‘मैनपुरी षडयंत्र’ में शामिल थे, जिसमें बिस्मिल और दीक्षित को सरकार द्वारा प्रतिबंधित पुस्तकें बेचते हुए पाया गया था।
- 28 जनवरी, 1918 को बिस्मिल ने पैम्फलेट के रूप में अपने दो लेखों- देशवासियों के नाम संदेश (अ मैसेज टू कंट्रीमेन) और मैनपुरी की प्रतिज्ञा (वाउ ऑफ मैनपुरी) को आम लोगों में वितरित किया।
- वर्ष 1918 में तीन मौकों पर उन्होंने अपनी पार्टी के लिये धन इकट्ठा करने हेतु सरकारी खजाने को लूटा।
- हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना:
- वर्ष 1920 में उन्होंने सचिंद्र नाथ सान्याल और जादूगोपाल मुखर्जी के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का गठन किया।
- HRA का घोषणापत्र मुख्य रूप से बिस्मिल द्वारा लिखा गया, जिसका उद्देश्य सशस्त्र क्रांति के माध्यम से संयुक्त राज्य भारत के रूप में एक संघीय गणराज्य की स्थापना करना था।
- काकोरी कांड:
- वर्ष 1925 में काकोरी ट्रेन डकैती HRA की एक बड़ी कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य अपनी गतिविधियों और प्रचार हेतु धन प्राप्त करना था।
- बिस्मिल और उनके साथी चंद्रशेखर आज़ाद एवं अशफाकउल्ला खान ने लखनऊ के पास काकोरी में ट्रेन लूटने का फैसला किया।
- वे अपने प्रयास में सफल रहे हालाँकि घटना के एक महीने के भीतर एक दर्जन अन्य HRA सदस्यों के साथ गिरफ्तार कर लिये गए और उन पर काकोरी षडयंत्र केस के तहत मुकदमा चलाया गया।
- यह कानूनी प्रक्रिया 18 महीने चली। बिस्मिल, लाहिड़ी, खान और ठाकुर रोशन सिंह को मौत की सज़ा दी गई।
- कविता और लेखन:
- हिंदी और उर्दू में देशभक्ति छंदों सहित बिस्मिल के विपुल लेखन ने भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने हेतु प्रेरित किया।
- उनकी कविताओं में सामाजिक मुद्दों और समानता तथा मानवीय गरिमा के सिद्धांतों के लिये सरोकार परिलक्षित होता है।
- हिंदू-मुस्लिम एकता का समर्थन:
- साथी क्रांतिकारी कवि अशफाकउल्ला खान के साथ बिस्मिल की घनिष्ठ मित्रता सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक थी।
- फाँसी से पहले अपने आखिरी पत्र में उन्होंने देश की सेवा के लिये हिंदुओं और मुसलमानों को एकजुट होने की आवश्यकता पर बल दिया।
- मैनपुरी षड्यंत्र:
- मृत्यु:
- 19 दिसंबर, 1927 को गोरखपुर जेल में उन्हें फाँसी दे दी गई।
- राप्ती नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था और इस स्थल को बाद में राज घाट नाम दिया गया।