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राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक, 2023

  • 21 Jul 2023
  • 5 min read

राजस्थान सरकार द्वारा पेश किये गए राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक, 2023 का उद्देश्य राज्य में लोगों को अतिरिक्त आय सहायता प्रदान करना है। इस विधेयक का उद्देश्य नागरिकों को मुद्रास्फीति से निपटने और उनकी वित्तीय स्थिरता में सुधार करने में मदद करना है।

  • विधेयक में तीन व्यापक श्रेणियाँ हैं: न्यूनतम गारंटीकृत आय का अधिकार, गारंटीकृत रोज़गार का अधिकार और गारंटीकृत सामाजिक सुरक्षा पेंशन का अधिकार।

राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक, 2023:

  • विधेयक के प्रमुख घटक:
    •  न्यूनतम गारंटीकृत आय का अधिकार:  
    • गारंटीकृत रोज़गार का अधिकार:
      • शहरी और ग्रामीण रोज़गार योजनाओं में कार्य पूरा होने के बाद सरकार साप्ताहिक या पाक्षिक रूप से न्यूनतम मज़दूरी का भुगतान करेगी।
      • एक नामित अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि कार्यस्थल, पंजीकृत जॉब कार्ड पते के पाँच किलोमीटर के अंतर्गत हों।
      • यदि आवेदन के 15 दिनों के भीतर रोज़गार प्रदान नहीं किया जाता है, तो आवेदक को साप्ताहिक बेरोज़गारी भत्ता मिलेगा ‘परंतु किसी भी मामले में यह अवधि एक पखवाड़े से अधिक नहीं होगी’।
    • गारंटीकृत सामाजिक सुरक्षा पेंशन का अधिकार:.  
      • विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि वृद्धावस्था, विशेष रूप से विकलांग, विधवा और एकल महिलाओं जैसी श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले लोगों को पेंशन मिले।
        • वित्तीय वर्ष 2024-2025 से पेंशन में दो किश्तों में 15% की वार्षिक वृद्धि की जाएगी।
  • नकद हस्तांतरण योजनाओं में अंतर:
    • राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक अद्वितीय है क्योंकि यह कानूनी रूप से न्यूनतम आय सहायता और गारंटीकृत रोज़गार एवं पेंशन दोनों सुनिश्चित करता है, जो इसे नियमित नकद हस्तांतरण योजनाओं से अलग करता है। यह महात्मा गांधी के व्यापक कल्याणकारी उपायों के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
    • यह विधेयक राज्य के सभी परिवारों को कवर करता है। इसके साथ विभिन्न कमज़ोर समूहों को रोज़गार और पेंशन सहायता प्रदान करता है। इस विधेयक के कारण नकद हस्तांतरण योजनाओं का कवरेज सीमित हो सकता है।
    • इस विधेयक में पेंशन में वार्षिक वृद्धि करना शामिल है यह सुनिश्चित करते हुए कि वे मुद्रास्फीति के साथ तालमेल बनाए रखा जाए। नकद हस्तांतरण योजनाओं में इस प्रकार के प्रावधान नहीं हो सकते हैं।
    • यह विधेयक सामाजिक सुरक्षा के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाता है जिसका लक्ष्य समाज के कमज़ोर वर्गों को लाभ पहुँचाना है।
  • विधेयक की आलोचना: 
    • विधेयक को आर्थिक असमानताओं को दूर करने के प्रयासों के लिये प्रशंसा मिली है जबकि कुछ आलोचकों का तर्क है कि प्रतिवर्ष 2,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय राज्य के वित्त पर दबाव डाल सकता है।
    • आलोचक योजना की दीर्घकालिक स्थिरता और करदाताओं पर पड़ने वाले संभावित बोझ के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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