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पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार

  • 23 Oct 2023
  • 3 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार (खज़ाना कक्ष) को खोलने की मांग पुनः ज़ोर पकड़ रही है। मंदिर के रत्न भंडार वाले कक्ष का ताला तीन दशकों से नहीं खोला गया है।

जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार:

  • परिचय:
    • 12वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर के रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र तथा देवी सुभद्रा के बहुमूल्य आभूषण संगृहीत हैं जो वर्षों से अनुयायियों एवं पूर्व राजाओं द्वारा उपहार में दिये गए हैं।
    • रत्न भंडार के लिये दो कक्ष मौजूद हैं: भीतरी भंडार (आंतरिक कक्ष) व बाह्य भंडार (बाहरी कक्ष)।
      • हालाँकि बाहरी कक्ष को प्रमुख अनुष्ठानों एवं त्योहारों के दौरान देवताओं के आभूषण लाने हेतु नियमित रूप से खोला जाता है, जबकि आंतरिक कक्ष को विगत 38 वर्षों में नहीं खोला गया है।
  • रत्न भंडार को खोलने की मांग:
    • कक्ष की संरचनात्मक स्थिरता के बारे में चिंताओं को लेकर रत्न भंडार को खोलने की मांग बढ़ गई है ।
      • मंदिर के संरक्षण का कार्य, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किया जाता है। ASI द्वारा भंडार कक्ष की मरम्मत की मांग की गई है क्योंकि ऐसी आशंका है कि इसकी दीवारों में दरारें उभर आई हैं जिससे वहाँ संगृहीत मूल्यवान आभूषणों को क्षति पहुँच सकती है।

जगन्नाथ मंदिर

  • जगन्नाथ मंदिर पुरी, ओडिशा में स्थित एक भव्य मंदिर है जो भगवान जगन्नाथ के साथ उनके ज्येष्ठ भ्राता भगवान बलभद्र एवं अनुजा देवी सुभद्रा को समर्पित है।
    • इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में गंग राजवंश के प्रसिद्ध राजा अनंत वर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था।
    • इसे "व्हाइट पैगोडा" के रूप में जाना जाता है, यह चार धाम तीर्थयात्रा के चार तीर्थ स्थलों में से एक है।
  • यह कलिंग वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें विशिष्ट घुमावदार मीनारें, जटिल नक्काशी और अलंकृत मूर्तियाँ हैं।
    • यह एक ऊँची दीवार से घिरा हुआ है जिसमें चार द्वार हैं, जिनमें से प्रत्येक द्वार का मुख मुख्य दिशा की ओर है।
  • इसे 'यमनिका तीर्थ' भी कहा जाता है, जहाँ हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण पुरी में मृत्यु के देवता 'यम' की शक्ति समाप्त हो गई थी।
  • संबद्ध प्रमुख त्योहार: स्नान यात्रा, नेत्रोत्सव, रथ यात्रा, देवशयनी एकादशी।

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