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प्रिलिम्स फैक्ट्स: 31 अक्तूबर, 2020

  • 31 Oct 2020
  • 9 min read

राष्ट्रीय एकता दिवस

(National Unity Day) 

प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती को पूरे देश में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है।

  • वर्ष 2014 में पहली बार केंद्र सरकार द्वारा 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। 
    • उल्लेखनीय है कि 31 अक्तूबर, 2018 को भारत सरकार द्वारा गुजरात के वडोदरा में नर्मदा नदी के तट पर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue Of Unity) का अनावरण किया गया जोकि 182 मीटर (597 फीट) की ऊँचाई के साथ विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है।

सरदार बल्लभ भाई पटेल

  • सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड (Nadiad) शहर में हुआ था।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने के साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता के पश्चात देश की सभी रियासतों के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  •  वर्ष 1928 में समय गुजरात के बारडोली में किसान आंदोलन की सफलता के बाद वहाँ की महिलाओं ने उन्हें ‘सरदार’ (नेता या प्रमुख) की उपाधि प्रदान की।
  • वर्ष 1931 में सरदार पटेल भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के कराची अधिवेशन की अध्यक्षता की, जिसमें गांधी-इरविन समझौते यानी दिल्ली समझौते को स्वीकृति देते हुए ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग को एक बार पुनः दोहराया गया।
  • उन्होंने ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ (IAS) और ’भारतीय पुलिस सेवा’ (IPS) जैसी अखिल भारतीय की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें ‘भारतीय नागरिक सेवाओं के संरक्षक संत’ (“Patron Saint” of India’s civil services) के रूप में भी जाना जाता है।
  • सरदार बल्लभ भाई पटेल स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृह मंत्री बने।
  • राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने सरदार पटेल को ‘लौह पुरुष’ की उपाधि प्रदान की।
  • वर्ष 1991 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।  

राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद

(National Productivity Council- NPC)

हाल ही में राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) को कृषि उत्पादों के वैज्ञानिक विधि से संग्रहण और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (National Accreditation Board for Certification Bodies-NABCB) और भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) द्वारा ISO 17020: 2012 के अनुरूप मान्यता प्रदान की गई है।

  • राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद, NABCB द्वारा इस मान्यता के मिलने के बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के ‘खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य सुरक्षा लेखा परीक्षा) विनियम, 2018’ के तहत खाद्य व्यवसाय से जुड़े संस्थानों की जाँच कर सकेगी।
  • साथ ही NPC को भंडारण विकास और नियामक प्राधिकरण नियम, 2017 के तहत गोदामों के निरीक्षण का अधिकार भी होगा।
  • राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद को प्राप्त यह मान्यता तीन वर्ष के लिये वैध होगी।

राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC): 

  • राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद की स्थापना वर्ष 1958 में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी।
  • उत्पादकता के क्षेत्र में अनुसंधान के अलावा NPC सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्थाओं को  कृषि-व्यवसाय, आर्थिक सेवा, गुणवत्ता प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी, प्रौद्योगिकी प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन, पर्यावरण प्रबंधन के क्षेत्रों में परामर्श और प्रशिक्षण सेवाएँ प्रदान करता है।
  • NPC टोक्यो (जापान) स्थित एशियाई उत्पादकता संगठन (Asian Productivity Organisation- APO) का एक निर्वाचक है।
    • उल्लेखनीय है कि भारत APO का एक संस्थापक सदस्य भी है।

संरचना:  

  • केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री NPC का अध्यक्ष (President) होता है।
  • DPIIT का सचिव NPC के चेयरमैन की भूमिका निभाता है।

ISO 17020: 2012: 

  • यह निरीक्षण करने वाले निकायों की क्षमता और उनकी निरीक्षण गतिविधियों की निष्पक्षता एवं निरंतरता से संबंधित आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करता है। यह A, B, या C प्रकार के निरीक्षण निकायों पर और निरीक्षण के किसी भी चरण के दौरान लागू होता है।

पेलागोर्निथिड्स 

(Pelagornithids)

वैज्ञानिकों ने एक विशालकाय पक्षी के जीवाश्म की पहचान की है जो लगभग 50 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी पर पाया जाता था।

Pelagornithids

  • वैज्ञानिकों  के अनुसार, पेलागोर्निथिड्स (Pelagornithids) नामक इस इस पक्षी के पंखों का विस्तार लगभग 21 फीट तक था जबकि तुलनात्मक रूप से वर्तमान समय के सबसे बड़े पक्षी वांडरिंग अल्बाट्रोस (The Wandering Albatross) के पंखों का विस्तार केवल 11 और 11.5 तक ही होता है।
  • अंटार्कटिका से 1980 के दशक में प्राप्त किये गए ये जीवाश्म दक्षिणी महासागरों के ऊपर घूमने वाले सबसे पुराने तथा विशालकाय पक्षियों के विलुप्त हो चुके समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • पेलागोर्निथिड्स पक्षी अल्बाट्रोस के समान एक ही पारिस्थितिकीय निकेत में व्याप्त थे।
  • पेलागोर्निथिड्स का सबसे पुराना तथा अत्यंत छोटा जीवाश्म 62 मिलियन वर्ष पुराना है जबकि इसके नए जीवाश्मों में से  एक (पक्षी के पैरों का 50 मिलियन वर्ष पुराना हिस्सा) यह दर्शाता है कि विशाल पेलागोर्निथिड्स पक्षियों की उत्पत्ति 65 मिलियन वर्ष पहले हुए व्यापक विलोपन (इसी समय डायनासोर विलुप्त हुए) के बाद हुई।
  • साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पेलागोर्निथिड्स का दूसरा जीवाश्म जो कि जबड़े की हड्डी का हिस्सा है, लगभग 40 मिलियन वर्ष पुराना है।
  • अंतिम ज्ञात पेलागोर्निथिड्स लगभग  2.5 मिलियन वर्ष पहले तक अस्तित्व में थे।
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