प्रीलिम्स फैक्ट्स: 31 दिसंबर, 2019 | 31 Dec 2019

लाल रेत बोआ सांप

Red Sand Boa Snake

हाल ही में मध्य प्रदेश में एक लाल रेत बोआ साँप (Red Sand Boa Snake) को तस्करों से बचाया गया जिसकी कीमत लगभग 1.25 करोड़ रूपए बताई जा रही है।

Boa Snake

मुख्य बिंदु:

  • इसका वैज्ञानिक नाम- एरिक्स जॉनी (Eryx Johnii) है।
  • यह एक दुर्लभ गैर-जहरीला साँप है। इसका उपयोग विशेष प्रकार की दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों और काले जादू में किया जाता है। इसकी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अधिक मांग है।
  • यह उत्तरी बंगाल, पूर्वोत्तर भारत और भारतीय द्वीपों को छोड़कर पूरे भारत में पाया जाता है।
  • आमतौर पर इसे ‘दो मुँह वाला सांप ’ या ‘दो सिर वाला सांप’ (Two-Headed Snake) के रुप में जाना जाता है।
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत लाल रेत बोआ सांप को पकड़ना और इसका व्यापार करना अपराध है। यह प्रजाति अधिनियम की अनुसूची 4 के तहत सूचीबद्ध है।
  • यह प्रजाति CITES परिशिष्ट II में सूचीबद्ध है।

ब्रह्मोस मिसाइल

BrahMos missile

भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के नवीनतम संस्करण के दो सफल परीक्षण (भूमि और वायु से) किये हैं।

उद्देश्य:

इसका उद्देश्य ब्रह्मोस मिसाइल को नए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के साथ तकनीकी रुप से उन्नत बनाना है।

BrahMos-missile

ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में:

  • ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम ने तैयार किया है।
  • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
  • यह एक क्रूज़ मिसाइल है किंतु जब इसकी गति 2.8 मैक होती है अर्थात् इसकी मारक क्षमता ध्वनि की गति से भी तीन गुना अधिक होती है, तो यह एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल कहलाती है।
  • इसकी वास्तविक रेंज 290 किलोमीटर है परंतु लड़ाकू विमान से दागे जाने पर यह लगभग 400 किलोमीटर तक पहुँच जाती है। भविष्य में इसे 600 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है।
  • इसकी लक्ष्य भेदन क्षमता अचूक है, इसलिये इसे ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget) मिसाइल भी कहा जाता है। यह परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है।
  • इसे पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट, हवा और ज़मीन से दागा जा सकता है।
  • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के पहले संस्करण को वर्ष 2005 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।

इस मिसाइल का हाइपरसोनिक संस्करण विकसित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसकी गति लगभग 5 मैक से अधिक होगी।


तेलंगाना औद्योगिक स्वास्थ्य क्लिनिक

Telangana Industrial Health Clinic

सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों (Micro and Small Manufacturing Enterprises- MSMEs) को उनकी बिगड़ती आर्थिक स्थिति से बचाने के लिये तेलंगाना सरकार ने तेलंगाना औद्योगिक स्वास्थ्य क्लिनिक लिमिटेड (Telangana Industrial Health Clinic Ltd.-TIHCL) नामक एक पहल शुरू की थी।

प्रमुख बिंदु:

  • इसे एक फिनटेक (Fintech-Financial Technology) के रूप में वर्ष 2018 में स्थापित किया गया था जो गैर बैंकिंग वित्त कंपनी (Non-Banking Finance Company-NBFC) के अंतर्गत आती है।
  • इसे तेलंगाना सरकार और तेलंगाना औद्योगिक विकास निगम (Telangana Industrial Development Corporation-TSIDC) द्वारा मिलकर स्थापित किया गया है।

उद्देश्य:

  • उत्तरदायी परामर्श जैसी सेवाओं के माध्यम से सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों की स्थिति में सुधार लाना।
  • बेहतर अनुपालन मानकों द्वारा सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करना।
  • एक स्थायी कामकाजी वातावरण का समर्थन और संवर्द्धन करना।
  • सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों के क्रेताओं द्वारा शीघ्र भुगतान सुनिश्चित कराने में भूमिका निभाना।
  • इक्विटी प्लेटफार्मों जैसे-नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में क्षमताशील सूक्ष्म और लघु विनिर्माण उद्यमों को बढ़ावा देना।

बांधवगढ़ रिज़र्व फॉरेस्ट

Bandhavgarh Reserve forest

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में पहली बार हाथियों की एक बस्ती मिली है।

Bandhavgarh-Reserve-forest

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (Bandhavgarh Tiger Reserve):

  • इसे वर्ष 1968 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया था तथा प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत वर्ष 1993 में इसे एक बाघ आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया।
  • भौगोलिक रुप से यह मध्य प्रदेश की सुदूर उत्तर-पूर्वी सीमा और सतपुड़ा पर्वत शृंखला के उत्तरी किनारे पर स्थित है।
  • वर्ष 2019 की बाघ जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में 526 बाघ (सबसे अधिक) दर्ज किये गए थे।

नोट:

  • हाथी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,1972 की अनुसूची-1 के तहत सूचीबद्ध एक प्रजाति है।
  • भारत में एशियाई हाथियों की 50% आबादी पाई जाती है और वर्ष 2017 की हाथी जनगणना के अनुसार, देश में कुल 27,312 हाथी हैं जो वर्ष 2012 की जनगणना से लगभग 3,000 कम हैं।