प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 30 अक्तूबर, 2019
- 30 Oct 2019
- 11 min read
कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पुरस्कार
Corporate Social Responsibility Award
राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने 29 अक्तूबर, 2019 को नई दिल्ली में कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility- CSR) के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करने हेतु कुछ कंपनियों को राष्ट्रीय कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पुरस्कार प्रदान किये।
CSR पुरस्कार:
- समावेशी वृद्धि और समावेशी तथा सतत् विकास के क्षेत्र में कॉरपोरेट पहलों के मद्देनज़र कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) ने CSR पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 2017 में की थी।
उद्देश्य:
- CSR गतिविधियों में उत्कृष्टता लाने के लिये विभिन्न वर्गों की कंपनियों में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाना।
- निर्धारित CSR निधि की पूरी रकम को खर्च करने के लिये कंपनियों को प्रोत्साहित करना।
- CSR गतिविधियों के प्रभाव, नवाचार, प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल, लैंगिक एवं परिवेश संबंधी मुद्दे इत्यादि को मान्यता देना।
- कॉरपोरेट की CSR गतिविधियों को दिशा देना ताकि उनकी गतिविधियों का लाभ समाज के वंचित वर्गों तथा देश के दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुँच सके।
CSR पुरस्कार वर्ष 2019:
- इस वर्ष पुरस्कार हेतु प्राप्त 528 प्रविष्टियों में से 131 कंपनियों को निर्णायक मंडल द्वारा अपना वितरण सौपने को कहा गया था अंतिम में पुरस्कारों के तीन वर्गों के लिये 19 कंपनियों को विजेता और 19 कंपनियों को सम्मानजनक उल्लेखों (Honourable Mentions) के लिये चुना गया।
पुरस्कारों की श्रेणियाँ:
तीन श्रेणियों में राष्ट्रीय CSR पुरस्कारों की कुल संख्या 20 है, जिसका विवरण इस प्रकार है।
A. CSR में उत्कृष्टता के लिये कॉरपोरेट पुरस्कारः
- कुल निर्धारित CSR व्यय के आधार पर कंपनी के प्रयासों को मान्यता (चार पुरस्कार)
- जिन कंपनियों के पास 100 करोड़ रुपए से अधिक निर्धारित CSR व्यय मौजूद है।
- जिन कंपनियों के पास 10 करोड़ रुपए से 99.99 करोड़ रुपए के बीच निर्धारित CSR व्यय मौजूद है।
- जिन कंपनियों के पास एक करोड़ रुपए से 9.99 करोड़ रुपए के बीच निर्धारित CSR व्यय मौजूद है।
- जिन कंपनियों के पास 100 करोड़ रुपए से कम निर्धारित CSR व्यय मौजूद है।
- सम्मानजनक उल्लेखः चार प्रमुख पुरस्कारों के अलावा सराहनीय CSR गतिविधियाँ चलाने वाली कंपनियों के लिये चार सम्मानजनक उल्लेखों का भी प्रावधान है।
B. चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में CSR के क्षेत्र में कॉरपोरेट पुरस्कार
- चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों, आकांक्षी ज़िलों, दुर्गम/अशांत क्षेत्रों इत्यादि में CSR प्रयासों के आधार पर कंपनियों के प्रयासों को मान्यता (पाँच पुरस्कार)
- उत्तर
- पूर्वोत्तर
- पूर्व
- पश्चिम
- दक्षिण
- सम्मानजनक उल्लेखः पाँच प्रमुख पुरस्कारों के अलावा सराहनीय CSR गतिविधियाँ चलाने वाली कंपनियों के लिये पाँच सम्मानजनक उल्लेखों का प्रावधान है।
C. राष्ट्रीय प्राथमिकता योजनाओं में योगदान के आधार पर 11 पुरस्कारों का प्रावधान, ताकि इन क्षेत्रों में व्यय करने के लिये कॉरपोरेट को प्रोत्साहित किया जा सके।
- सम्मानजनक उल्लेखः पाँच प्रमुख पुरस्कारों के अलावा सराहनीय CSR गतिविधियाँ चलाने वाली कंपनियों के लिये 11 सम्मानजनक उल्लेखों का प्रावधान है।
भओना
Bhaona
हाल ही में असम के लोकनृत्य भओना (Bhaona) के अंग्रेज़ी संस्करण का आयोजन आबू धाबी में किया गया।
उद्देश्य:
- स्थानीय लोक संस्कृति का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार।
- संत शंकरदेव के विचारों का प्रचार-प्रसार।
भओना के बारे में?
- किसने प्रारंभ किया?
- भओना असम का लोकनृत्य है। यह नव-वैष्णव आंदोलन से संबंधित है।
- संत-सुधारक शंकरदेव द्वारा भओना की शुरुआत लगभग 500 वर्ष पहले की गई थी।
- प्रयुक्त भाषा:
- प्रारंभ में शंकरदेव ने इसमें गाए जाने वाले गीत (बोरगीत) संस्कृत भाषा में लिखे लेकिन कालांतर में उन्होंने बोरगीत के लिये असमिया और ब्रजावली/ब्रजबुली का उपयोग किया।
- वेशभूषा और वाद्य यंत्र:
- वेशभूषा और आभूषणों से सुसज्जित कलाकारों द्वारा संवादों, गीतों और नृत्यों का प्रदर्शन किया जाता है इसमें सामान्यतः भारी ड्रम और झाँझ बजाते हुए 40-50 लोग शामिल होते हैं।
- कथ्य:
- इसका कथ्य पौराणिक कथाओं पर आधारित होता है और इसका प्रयोग सत्रिया शास्त्रीय नृत्य में भी किया जाता है।
- इसके अतिरिक्त रामायण और शंकरदेव कृत अंकियानाट का मंचन किया जाता है।
- मंचन:
- सामान्यतः इसका मंचन नामघर (मंदिर) और जतरा (वैष्णव मठों) में किया जाता है।
- मुख्य केंद्र:
- असम का माजुली क्षेत्र वैष्णव संस्कृति और भओना का केंद्र है।
सत्रिया शास्त्रीय नृत्य:
- इसका प्रारंभ 15वीं सदी में शंकरदेव द्वारा किया गया था वर्तमान में यह भारत का एक शास्त्रीय नृत्य है।
- शंकरदेव ने इसे अंकियानाट के मंचन के लिये शुरू किया था इसमें शंकरदेव द्वारा संगीतबद्ध रचनाओं बोरगीत का प्रयोग किया जाता है।
- इसमें ढोल, ताल और बाँसुरी का प्रयोग होता है हाल के दिनों में इसमें हारमोनियम का भी प्रयोग होने लगा है।
- इस नृत्य को कई विधाओं में बाँटा गया है, जैसे- अप्सरा नृत्य, बहार नृत्य, चाली नृत्य, दशावतार नृत्य, मंचोक नृत्य, रास नृत्य आदि।
श्री मल्लिस्वरन मंदिर
Sri Malliswaran Temple
आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ज़िले के कोटरकोना (Kotrakona) में स्थित श्री मल्लिस्वरन मंदिर (Sri Malliswaran Temple) के नवीनीकरण का कार्य प्रारंभ किया गया है।
इतिहास:
- श्री मल्लिस्वरन मंदिर का ऐतिहासिक संबंध मध्ययुगीन चोलों के शासनकाल (11वीं शताब्दी) से है।
- चोलों द्वारा इस मंदिर का निर्माण उत्तर की ओर आक्रमण करने से पहले बनाया गया था।
- इस मंदिर में उपस्थित खजाने के कारण आक्रमणकारियों द्वारा इस मंदिर को बार-बार लूटा गया।
- निर्माण के बाद काफी दिनों तक यह मंदिर जंगलों से घिरा हुआ था और जनसामान्य की पहुँच से बाहर था।
- वर्ष 1975 के आस-पास स्थानीय समुदाय द्वारा इसकी खोज की गई और ग्रामीणों द्वारा इसके परिसर के आस-पास सफाई कराई गई।
स्थापत्य विशेषताएँ:
- इस मंदिर के परिसर में आंतरिक प्रकरम (Inner Prakaram), विमानगोपुरम (Vimanagopuram), राजगोपुरम (Rajagopuram), चार मंडपम और देवी भुवनेश्वरी का मंदिर है लेकिन इन संरचनाओं को आक्रमणकारियों द्वारा नुकसान पहुँचाया गया था।
INS बाज़
INS Baaz
हाल ही में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने भारतीय सशस्त्र बलों के सबसे दक्षिणी हवाई स्टेशन INS बाज़ का दौरा किया।
INS बाज़ के बारे में:
- भारतीय नौसेना जहाज़ INS बाज़ को नौसेना में जुलाई 2012 में कमीशन किया गया था। यह भारतीय सशस्त्र बलों का सबसे दक्षिणी हवाई स्टेशन है। कैंपबेल खाड़ी जहाँ पर यह स्थित है वह स्थान भारतीय मुख्य भूमि से 1,500 किमी. और पोर्ट ब्लेयर से 500 किमी. दूर है।
- INS बाज़ 3,500 फीट के रनवे से सुसज्जित है इसका प्रयोग विमान और मानवरहित वाहनों (Unmanned Aerial Vehicle) के लिये किया जाता है इसके अतिरिक्त इसके माध्यम से समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness) का प्रसार करना भी शामिल है। वर्तमान में इसको बड़े विमानों के संचालन हेतु सक्षम बनाया गया है।
इसकी अवस्थिति:
- INS बाज़ केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के दक्षिणी भाग निकोबार द्वीपसमूह की कैम्पबेल खाड़ी में स्थित है।
- यह भारत के दक्षिणतम बिंदु इंदिरा पॉइंट के निकट है और इंडोनेशिया का बांदा आचेह (Banda Aceh) यहाँ से 250 किमी. से भी कम दूरी पर स्थित है।
रणनीतिक महत्त्व:
- अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंद महासागर के समुद्री क्षेत्र की निगरानी करने हेतु आवश्यक क्षमता प्रदान करता है।
- INS बाज़ 6 डिग्री चैनल के समीप स्थित है, इस चैनल को ग्रेट चैनल भी कहा जाता है साथ ही यह स्थान सबसे व्यस्तम व्यापारिक मार्गों में से एक है इसलिये इसे पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में खिड़की भी कहा जाता है। यह स्थान मलक्का जलडमरूमध्य के समीप है।