प्रीलिम्स फैक्ट्स: 30 मार्च, 2020 | 30 Mar 2020
भारत VIX सूचकांक
India VIX Index
वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी के कारण भारतीय शेयर बाज़ार के अस्थिरता संकेतक ‘भारत VIX सूचकांक’ (India VIX Index) में गिरावट आई।
प्रमुख बिंदु
- ‘भारत VIX सूचकांक’ निकट भविष्य में बाज़ार में होने वाले उतार चढ़ाव की स्थिति को प्रदर्शित करता है।
- सरल शब्दों में कहें तो, जहाँ एक ओर अस्थिरता (Volatility) स्टॉक अथवा सूचकांक के मूल्य में परिवर्तन की दर को दर्शाती है, वहीं ‘भारत VIX सूचकांक’ में परिवर्तन आगामी 30 दिनों में समग्र बाज़ार में होने उतार-चढ़ाव की उम्मीद को दर्शाता है।
- इस प्रकार ‘भारत VIX सूचकांक’ में बढ़ोतरी का अर्थ होता है कि बाज़ार निकट भविष्य में उच्च अस्थिरता की उम्मीद कर रहा है।
- ‘भारत VIX सूचकांक’ की गणना निफ्टी ऑप्शंस की ऑर्डर बुक के आधार पर राष्ट्रीय शेयर बाज़ार (NSE) द्वारा की जाती है।
पृष्ठभूमि
- ‘VIX सूचकांक’ सर्वप्रथम वर्ष 1993 में शिकागो बोर्ड ऑप्शन्स एक्सचेंज (Chicago Board Options Exchange-CBOE) द्वारा S&P 500 इंडेक्स (S&P 500 Index) की कीमतों के आधार पर विकसित किया गया था।
- तब से ‘VIX सूचकांक’ अमेरिकी इक्विटी बाज़ार में अस्थिरता के माप हेतु वैश्विक मान्यता प्राप्त सूचकांक बन गया है।
- ‘भारत VIX सूचकांक’ को वर्ष 2010 में लॉन्च किया गया था।
मौजूदा परिदृश्य
- वर्तमान में भारत समेत संपूर्ण विश्व कोरोनावायरस (COVID -19) महामारी ने दुनिया भर के सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया और भारतीय बाज़ार भी इस महामारी से बच नहीं सका है, इस महामारी के प्रभाव से ‘भारत VIX सूचकांक’ पाँच गुना बढ़कर 67 के स्तर पर पहुँच गया है।
- इसका स्पष्ट अर्थ है कि बाज़ार निकट भविष्य में उच्च अस्थिरता की उम्मीद कर रहा है।
गोंड जनजाति
Gond tribe
कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी के तीव्र प्रसार के कारण देश में मास्क और ग्लव्स आदि की भारी कमी देखी जा रहा है, किंतु विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले कोया और गोंड जनजाति के आदिवासी लोग कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिये औषधीय पत्तियों के साथ अन्य पारंपरिक तरीकों का प्रयोग कर रहे हैं।
जनजाति
- जनजातियाँ वह मानव समुदाय हैं जो एक अलग निश्चित भू-भाग में निवास करती हैं और जिनकी एक अलग संस्कृति, रीति-रिवाज़ और भाषा होती है।
- सरल अर्थों में कहें तो जनजातियों का अपना एक वंश, पूर्वज तथा देवी-देवता होते हैं। ये आमतौर पर प्रकृति पूजक होते हैं।
- जहाँ एक ओर भारतीय संविधान में इन्हें ‘अनुसूचित जनजाति’ के रूप में परिभाषित किया गया है, वहीं देश भर में इन्हें कई अन्य नामों जैसे- आदिवासी, आदिम-जाति, वनवासी, प्रागैतिहासिक और कबीलाई समूह आदि के नाम से जाना जाता है।
गोंड जनजाति
- गोंड जनजाति विश्व के सबसे बड़े आदिवासी समूहों में से एक है। यह भारत की सबसे बड़ी जनजाति है इसका संबंध प्राक-द्रविड़ प्रजाति से है।
- गोंड जनजाति अधिकांशतः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में पाई जाती है।
- गोंड को चार भागों में उपविभाजित किया गया है:
- राज गोंड
- माड़िया गोंड
- धुर्वे गोंड
- खतुलवार गोंड
- गोंड जनजाति का प्रधान व्यवसाय कृषि है किंतु ये कृषि के साथ-साथ पशु पालन भी करते हैं। इनका मुख्य भोजन बाजरा है जिसे ये लोग दो प्रकार (कोदो और कुटकी) से ग्रहण करते हैं।
- गोंडों का मत है कि पृथ्वी, जल और वायु देवताओं द्वारा शासित है। अधिकांश गोंड हिंदू धर्म को मानते हैं और बारादेव (जिनका अन्य नाम भगवान और श्री शंभू महादेव है) की पूजा करते हैं।
रेड फ्लैग हवाई अभ्यास
Red Flag air exercise
अमेरिकी वायु सेना ने 30 अप्रैल से अलास्का में आयोजित होने वाले अपने प्रमुख बहुपक्षीय हवाई अभ्यास, रेड फ्लैग (Red Flag) के चरण-1 को रद्द कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि अमेरिकी वायु सेना के इस बहुपक्षीय हवाई अभ्यास में भारतीय वायु सेना (IAF) अपने सुखोई Su-30 लड़ाकू जेट विमानों के साथ भाग लेने वाली थी।
- अमेरिकी वायु सेना के अनुसार, इस हवाई अभ्यास को रद्द करने का निर्णय COVID-19 के कारण यात्रा प्रतिबंधों को देखते हुए लिया गया है।
रेड फ्लैग एयर एक्सरसाइज़
- रेड फ्लैग हवाई अभ्यास एक उन्नत हवाई युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास है, जो अमेरिकी वायु सेना द्वारा एक वर्ष में कई बार आयोजित किया जाता है।
- इस अभ्यास में अमेरिकी वायु सेना, नाटो और अन्य संबद्ध देशों के सैन्य पायलटों तथा अन्य उड़ान चालक दल के सदस्यों को वास्तविक हवाई-युद्ध प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
- इस बहुपक्षीय युद्ध अभ्यास की की शुरुआत वर्ष 1975 में हुई थी।
- इस अभ्यास का मूल उद्देश्य वियतनाम युद्ध के दौरान वायु सेना के लड़ाकू पायलटों के असंतोषजनक प्रदर्शन के कारणों को जानना और उसमें सुधार करना था।
- यह अभ्यास अमेरिकी वायु सेना, अमेरिकी नौसेना, अमेरिकी समुद्री सैन्य दल, अमेरिकी सेना और कई नाटो तथा अन्य संबद्ध देशों की वायु सेना को एक मंच पर लाता है।
COVID-19 समाधानों को मापने एवं प्रोत्साहित करने हेतु देशव्यापी प्रयास
Nationwide Exercise to Map & Boost Covid-19 Solutions
COVID-19 वैश्विक महामारी से उत्पन्न जन स्वास्थ्य संकट से लड़ने की देशव्यापी ज़रूरत को देखते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology-DST) द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा इसकी स्वायत्त संस्थाओं व वैज्ञानिक निकायों द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न गतिविधियों को समन्वित किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- DST के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त संस्थान विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) ने उच्च प्राथमिकता क्षेत्र में अनुसंधान की तीव्र आवश्यकता (Intensification of Research in High Priority Area-IRHPA) योजना के तहत प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं।
- इस योजना को COVID-19 और संबंधित श्वसन वायरल संक्रमण के लिये तैयार किया गया है।
- इसका उद्देश्य नए वायरल रोधी टीके और किफायती जाँच व इलाज के लिये R&D प्रयासों को मजबूती प्रदान करना है।
- प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) भारत सरकार की वैधानिक संस्था है जो DST के अंतर्गत कार्य करती है। बोर्ड ने COVID-19 मरीज़ों की सुरक्षा एवं आवास आधारित श्वसन हस्तक्षेपों के लिये प्रस्ताव मांगे हैं।
- TDB में लगभग 190 कंपनियां पंजीकृत हैं और ये कंपनियां कोविड-19 जाँच किट, थर्मल स्कैनर, वेंटिलेटर का निर्माण/कलपुर्जे, मास्क निर्माण आदि के लिये समाधान का प्रस्ताव दे रही हैं।
- श्री चित्रा तिरुनल चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (SCTIMST) त्रिवेन्द्रम, DST के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है जिसने COVID-19 की चुनौतियों के समाधान के लिये 8 अलग-अलग प्रकार के प्रोटोटाइप का निर्माण शुरू कर दिया है।
- DST के राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड के पास पूरे देश में 150 से अधिक इनक्यूवेशन केंद्र हैं।
- ये केंद्र COVID-19 जैसी बीमारियों से लड़ने के लिये नए नवाचारों की मैपिंग कर रहे हैं।
- R&D प्रयोगशालाओं, अकादमिक संस्थाओं, इनक्यूवेशन केंद्रों तथा सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों में तकनीकों की मैपिंग के लिये DST ने “COVID-19 टास्क फोर्स” का गठन किया है।
- उल्लेखनीय है कि DST ने वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थाओं, अनुसंधानकर्त्ताओं, वैज्ञानिकों, इनक्यूबेट और प्रौद्योगिकी कंपनियों से तालमेल स्थापित किया है ताकि COVID-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान किया जा सके।