प्रिलिम्स फैक्ट्स: 30 जून, 2021 | 30 Jun 2021
NATRAX-हाई स्पीड ट्रैक
NATRAX-High Speed Track
हाल ही में भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्री ने पीथमपुर, इंदौर (मध्य प्रदेश) में NATRAX- हाई स्पीड ट्रैक (NATRAX-High Speed Track) का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु:
परिचय:
- यह नेशनल ऑटोमोटिव टेस्टिंग एंड रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (NATRIP) के तहत अत्याधुनिक ऑटोमोटिव टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन सेंटर में से एक है।
- NATRIP ऑटोमोटिव क्षेत्र में सबसे बड़ी और सबसे महत्त्वपूर्ण पहल है जिसमें भारत सरकार, कई राज्य सरकारों तथा भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- यह भारी उद्योग मंत्रालय की एक फ्लैगशिप परियोजना है।
- इसका उद्देश्य देश में अत्याधुनिक परीक्षण, सत्यापन और अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना का निर्माण करना है।
- NATRIP ऑटोमोटिव क्षेत्र में सबसे बड़ी और सबसे महत्त्वपूर्ण पहल है जिसमें भारत सरकार, कई राज्य सरकारों तथा भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- यह एक विश्व स्तरीय 11.3 किमी का हाई स्पीड ट्रैक है जो एशिया का सबसे लंबा और विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा ट्रैक है।
- इसे 1000 एकड़ भूमि में विकसित किया गया है।
- यह कई परीक्षण क्षमताएँ जैसे- अधिकतम गति का मापन, त्वरण, निरंतर गति ईंधन की खपत, वास्तविक सड़क ड्राइविंग सिमुलेशन के माध्यम से उत्सर्जन परीक्षण, लेन परिवर्तन के दौरान उच्च गति और स्थिरता मूल्यांकन, उच्च गति स्थायित्व परीक्षण आदि के साथ वाहन गतिशीलता के लिये उत्कृष्टता केंद्र है।
अवस्थिति:
- यह मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से केवल 50 किमी दूर स्थित है।
- केंद्र में स्थित होने के कारण यह अधिकांश प्रमुख मूल उपकरण निर्माताओं (Original Equipment Manufacturers- OEMs) के लिये सुलभ है।
महत्त्व:
- भारत के लिये प्रोटोटाइप कारों का विकास:
- हाई स्पीड ट्रैक का उपयोग हाई-एंड (High- End) कारों जैसे- बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज़ आदि की अधिकतम गति क्षमता को मापने के लिये किया जाता है जिन्हें किसी भी भारतीय परीक्षण ट्रैक पर नहीं मापा जा सकता है।
- विदेशी OEM भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल प्रोटोटाइप कारों के विकास के लिये नैट्रैक्स हाई स्पीड ट्रैक पर ध्यान देंगे।
- वर्तमान में विदेशी OEM उच्च गति परीक्षण आवश्यकताओं के लिये विदेश में अपने संबंधित उच्च गति ट्रैक का उपयोग करते हैं।
- वन स्टॉप सॉल्यूशन:
- यह सभी प्रकार के उच्च गति प्रदर्शन परीक्षणों के लिये वन स्टॉप सॉल्यूशन है, जो विश्व में सबसे बड़ा है।
- यह वाहनों की व्यापक श्रेणी को पूरा कर सकता है; दो पहिया वाहनों से लेकर सबसे भारी ट्रैक्टर ट्रेलरों तक।
भरितलासुचस तपनी: एक मांसाहारी सरीसृप
Bharitalasuchus Tapani: A Carnivorous Reptile
हाल ही में जीवाश्म विज्ञानियों की अंतर्राष्ट्रीय टीम ने एक मांसाहारी सरीसृप पर प्रकाश डाला है जो 240 मिलियन वर्ष पहले (भरितलासुचस तपनी) पाया जाता था।
- टीम ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता में संग्रहीत कुछ जीवाश्म नमूनों का अध्ययन किया।
- 20वीं शताब्दी के मध्य में संस्थान के शोधकर्त्ताओं ने येर्रापल्ली संरचना (वर्तमान में तेलंगाना) की चट्टानों पर व्यापक अध्ययन किया, इसमें कई जीवाश्मों को उजागर किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
परिचय:
- यह सरीसृप एक जीनस और प्रजाति से संबंधित है इसके संबंध में पूर्व में विज्ञान में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी। पेलियोन्टोलॉजिस्ट तपन रॉय चौधरी के नाम पर शोधकर्त्ताओं ने इसका नाम भरितलासुचस तपनी (BT) रखा है।
- भारतीय कशेरुकी जीवाश्म विज्ञान में तपन रॉय चौधरी के योगदान और विशेष रूप से येर्रापल्ली संरचना में पाए जाने वाले टेट्रापॉड जीवों पर उनके व्यापक कार्य के सम्मान में यह नाम रखा गया है।
- BT बड़े सिर और बड़े दाँतों वाले मज़बूत जानवर थे और ये शायद अन्य छोटे सरीसृपों से पूर्व के थे।
- ये लगभग एक वयस्क नर शेर के आकार के थे और अपने पारिस्थितिक तंत्र में सबसे बड़े शिकारी थे।
- तेलुगु भाषा में भारी का अर्थ है विशाल, ताला का अर्थ है सिर और सुचुस मिस्र के मगरमच्छ के सिर वाले देवता का नाम है।
- आगे के अध्ययनों से पता चला कि सरीसृप एरिथ्रोसुचिडे (Erythrosuchidae) नामक विलुप्त सरीसृपों के परिवार से संबंधित था।
- एरिथ्रोसुचिड्स दक्षिण अफ्रीका, रूस और चीन के निचले-मध्य त्रिविधकालीन (Triassic Period) चट्टानों में जाता था और दक्षिण-मध्य भारत के मध्य त्रिविधकालीन येर्रापल्ली संरचना से प्रारंभिक रिपोर्टें मिली हैं।
येर्रापल्ली संरचना (Yerrapalli Formation):
- यह त्रिविधकालीन चट्टानी संरचना है जिसमें मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्वी भारत में प्राणहिता-गोदावरी बेसिन में बहने वाले मडस्टोन शामिल हैं।
- 250-201 मिलियन वर्ष पूर्व की अवधि को त्रिविधकाल (Triassic Period) के रूप में जाना जाता है।
- येर्रापल्ली संरचना के जीवाश्म संयोजन में इस एरिथ्रोसुचिड सरीसृप के अलावा सेराटोडॉन्टिड लंगफिश, राइनोकोसौर और एलोकोटोसॉरियन जैसे कई अन्य विलुप्त जीव शामिल हैं।
- हालाँकि वनों की कटाई, खनन, कृषि विस्तार, शहरीकरण आदि भारत के जीवाश्म क्षेत्रों को धीरे-धीरे नष्ट कर रहे हैं।