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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 29 जून, 2019

  • 29 Jun 2019
  • 8 min read

अहमदाबाद और कोबे के बीच समझौता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भारत के अहमदाबाद तथा जापान के कोबे शहर के अधिकारियों ने दोनों शहरों के बीच ‘जुड़वाँ शहर’ (Sister Cities) की अवधारणा के तहत आशय पत्र (Letter of intent- LOI) का आदान-प्रदान किया।

  • इस समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों शहरों के बीच व्यापार, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संदर्भों में अवसरों को बढ़ावा देना है। 
  • यह समझौता दोनों शहरों के साथ-साथ भारत-जापान के आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने में भी सहयोगी होगा।
  • भारत और जापान के प्रधानमंत्री ने नवंबर 2016 में गुजरात और ह्योगो प्रान्त के बीच भागीदारी को बढ़ावा देने हेतु समझौता किया था। 
  • यह समझौता शिक्षाविदों, व्यापार, सांस्कृतिक सहयोग, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में गुजरात और ह्योगो के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था।

बहन शहरों/जुड़वाँ शहरों की अवधारणा 
The concept of Sister Cities/Twin Towns

  • जुड़वाँ शहरों की अवधारणा, कस्बों, शहरों, काउंटियों (Counties), आयतों (Oblasts), प्रांतों, प्रांतीय क्षेत्रों आदि में दो अलग-अलग देशों के बीच सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने हेतु किया गया एक कानूनी और सामाजिक समझौता है।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने तथा व्यापार एवं पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिये इस योजना की कल्पना की गई।
  • इस अवधारणा को दोनों राष्ट्रों के बीच रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने, सांस्कृतिक एवं आर्थिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने के रूप में देखा जाता है।
  • वर्ष 2013 में भारत ने चीन के साथ जुड़वाँ शहर समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे जो निम्नलिखित हैं- दिल्ली-बीजिंग, बेंगलुरु-चेंगदू और कोलकाता-कुनमिंग।

सेक्रेड लंगूर

हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले में लगभग 91 साल बाद विश्व भर में विलुप्त हो चुकी लंगूर की एक प्रजाति पाई गई है।

  • इससे पहले वर्ष 1928 में चंबा ज़िले में यह लंगूर देखा गया था वर्ष 1928- 2012 तक इससे संबंधित कोई जानकारी नही मिली थी।

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  • चंबा वैली क्षेत्र में मिली इस प्रजाति को चंबा सेक्रेड लंगूर (चंबा पवित्र लंगूर) कहा जाता है।
  • यह प्रजाति लंगूर की सात प्रजातियों में सबसे भिन्न है।
  • इन लंगूरों के कश्मीर और पाकिस्तान की घाटी में भी पाए जाने की संभावना है।
  • ये लंगूर फल, बीज, फूल, जड़ें, छाल और कलियां खाते हैं।  
  • यह प्रजाति विश्व में मात्र चंबा में ही पाई जाती है। इसलिए इस प्रजाति के संरक्षण को लेकर प्रभावी कदम उठाए जाने की योजना है।  

महाराजा रणजीत सिंह 

27 जून, 2019 को पंजाब में लगभग चार दशकों (1801-39) तक शासन करने वाले महाराजा रणजीत सिंह की 180वीं पुण्यतिथि मनाई गई।

  • इस अवसर पर लाहौर में इनकी मूर्ति/प्रतिमा का उद्घाटन किया गया।
  • आठ फीट ऊंची इस प्रतिमा में जिसमें रणजीत सिंह को घोड़े पर चढ़ा हुआ दिखाया गया है।
  • यह मूर्ति लाहौर किले में माई जिंदियन हवेली के बाहर एक खुली जगह में स्थित है, जिसमें रणजीत सिंह समाधि और गुरु अर्जुन देव के गुरुद्वारा डेरा साहिब की इमारत है।
  • रणजीत सिंह की सबसे छोटी रानी के नाम पर स्थित हवेली में अब सिख कलाकृतियों की एक स्थायी प्रदर्शनी सिख गैलरी है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 

  • मुगल साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पंजाब क्षेत्र उभर कर आया। 
  • महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवंबर, 1780 को गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में स्थित) में हुआ था। उस समय पंजाब पर शक्तिशाली सरदारों का शासन था जिन्होंने इस क्षेत्र को मिसल्स में विभाजित किया था। 
  • मुगल साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पंजाब क्षेत्र उभर कर आया। 
  • रणजीत सिंह ने युद्धरत मिसल को उखाड़ फेंका और वर्ष 1799 में लाहौर पर विजय प्राप्त करने के बाद एक एकीकृत सिख साम्राज्य (Unified Sikh Empire) की स्थापना की।
  • रणजीत सिंह को पंजाब का शेर (शेर-ए-पंजाब) की उपाधि दी गई थी क्योंकि इन्होंने लाहौर से अफगान आक्रमणकारियों को निकाल दिया था, लाहौर इनके मृत्यु तक राजधानी बनी रही।

ड्रैगनफ्लाई' ड्रोन

जीवन के निर्माणकारी घटकों की खोज़ के लिये नासा (National Aeronautics and Space Administration's- NASA) ने ‘ड्रैगनफ्लाई’ मिशन के तहत शनि के टाइटन पर ड्रोन भेजने की योजना है। 

  • इस मिशन को वर्ष 2026 में लॉन्च किया जाएगा जो वर्ष 2034 में पृथ्वी पर वापस आएगा।
  • ड्रैगनफ्लाई मिशन टाइटन (शनि का उपग्रह) पर अतीत के जीवन की संभावनाओं का भी अध्ययन करेगा।  
  • नासा द्वारा पहली बार किसी अन्य ग्रह पर  एक बहु-रोटर व्हीकल (Multi-Rotor Vehicle) उड़ाया जाएगा।
  • मल्टी-रोटर वाहन में आठ रोटर होंगे जो एक बड़े ड्रोन जैसे होंगे।
  • पाँच मील (8 किलोमीटर) की लंबी उड़ान के दौरान इसे भूमध्यरेखीय "शांगरी-ला" टीले पर उतारा जाएगा।
  • यह टाइटन के वायुमंडलीय और सतह के गुणों की जाँच करेगा साथ ही उप-महासागर सतहों तथा जलाशयों में अतीत के रासायनिक साक्ष्यों की भी जाँच करेगा।

टाइटन

  • टाइटन शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है तथा सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है।
  • इसकी सतह पर नदियाँ, झीलें और समुद्र हैं (हालाँकि इनमें  मीथेन और एथेन जैसे हाइड्रोकार्बन होते हैं, पानी नहीं)।
  • टाइटन का वातावरण पृथ्वी की तरह  नाइट्रोजन से बना है, लेकिन इसका घनत्व पृथ्वी के घनत्व से चार गुना अधिक है।
  • पृथ्वी के विपरीत यहाँ पर बादल भी उपस्थित है एवं मेथेन की बारिश होती है।
  • यह सूर्य से लगभग 886 मिलियन मील (1.4 बिलियन किलोमीटर) दूर है।
  • सूर्य से दूर होने के कारण टाइटन की सतह का तापमान -179 डिग्री सेल्सियस होता है। 
  • इसकी सतह का दबाव भी पृथ्वी से 50% अधिक होता है।
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