प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट: 28 मई, 2021
- 28 May 2021
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22 डिग्री सर्कुलर हेलो
(22 Degree Circular Halo)
हाल ही में बंगलूरू में कुछ क्षणों के लिये सूर्य के चारों ओर एक चमकदार इंद्रधनुषी वलय देखा गया, जो कि एक दुर्लभ ऑप्टिकल और वायुमंडलीय घटना थी, जिसे ‘22 डिग्री सर्कुलर हेलो’ कहा जाता है।
प्रमुख बिंदु
- यह घटना लोकप्रिय रूप से ‘22 डिग्री सर्कुलर हेलो’ (जिसे मून रिंग या विंटर हेलो भी कहा जाता है) के रूप में जानी जाती है और यह मुख्यतः तब देखी जाती है जब सूर्य या चंद्रमा की किरणें पक्षाभ मेघों में मौजूद हेक्सागोनल बर्फ के क्रिस्टल के माध्यम से विक्षेपित/अपवर्तित होती हैं।
- इसे ‘कलाइडोस्कोप प्रभाव’ (Kaleidoscopic Effect) के रूप में जाना जाता है।
- इन्हें ‘22 डिग्री हेलो’ कहा जाता है, क्योंकि हेलो या वलय में सूर्य/चंद्रमा के चारों ओर 22 डिग्री की स्पष्ट त्रिज्या होती है।
- सर्कुलर हेलो विशेष रूप से पक्षाभ मेघों द्वारा निर्मित होते हैं। इन बादलों का निर्माण 20,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर वातावरण में बहुत ऊपर होता है।
- हेलो भी एक इंद्रधनुष की तरह समकोण से देखने पर दिखाई देता है, कभी-कभी यह सिर्फ सफेद दिखाई देता है, लेकिन अक्सर इसमें स्पेक्ट्रम के रंग भी स्पष्ट तौर पर दिखाई देते हैं।
- वृत्ताकार डिस्क के भीतरी किनारे पर हेलो सबसे चमकीला होता है और डिस्क के अंदर कोई प्रकाश नहीं होता है, क्योंकि छोटे कोणों पर कोई प्रकाश अपवर्तित नहीं होता है।
- लाल प्रकाश, प्रकाश के अन्य रंगों की तुलना में कम अपवर्तित होता है, इसलिये हेलो का भीतरी किनारा लाल रंग का होता है। अन्य रंग आमतौर पर आपस में मिक्स होते रहते हैं।