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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 27 मार्च, 2020

  • 27 Mar 2020
  • 13 min read

मामल्लपुरम

Mamallapuram

भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित विश्व धरोहर स्थल मामल्लपुरम (Mamallapuram) परिसर के 11 एकड़ में फैली चोझिपोइगई (Chozhipoigai) को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। 

  • इस चोझिपोइगई को मामल्लपुरम झील (Mamallapuram lake) भी कहा जाता है। 

Mamallapuram

मुख्य बिंदु:

  • मामल्लपुरम जिसे महाबलीपुरम भी कहा जाता है, एक शहर है जो चेन्नई (तमिलनाडु) से 60 किलोमीटर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित है।
  • यह पूर्ववर्ती पल्लवकालीन एक महत्वपूर्ण शहर है, पल्लव वंश ने दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में 275 ईस्वी से 897 ईस्वी तक शासन किया था।
  • इसकी स्थापना 7वीं शताब्दी में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन प्रथम ने की थी।
  • मामल्लपुरम शब्द की उत्पत्ति ‘मामल्लन’ (Mamallan) से हुई है जिसका अर्थ ‘महान योद्धा’ होता है। मामल्लन शब्द का प्रयोग पल्लव राजा नरसिंहवर्मन प्रथम के लिये किया जाता था।
  • ब्रिटिश काल के दौरान मामल्लपुरम नाम विकृत होकर महाबलीपुरम हो गया।

पल्लवकालीन मंदिर स्थापत्यकला:

  • पल्लवकालीन स्थापत्यकला शैलियों को क्रमश: महेंद्र शैली (610-640 ई.), मामल्ल शैली (640-674 ई.) और राजसिंह शैली (674-800 ई.) में विभाजित किया जाता है।

महेंद्र शैली (610-640 ई.):

  • पल्लव राजा महेन्द्र वर्मन के समय वास्तुकला में ‘मंडप’ निर्माण प्रारंभ हुआ। जिनमें पल्लवकालीन आदि-वराह, महिषमर्दिनी, पंचपांडव, रामानुज आदि मंडप विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

मामल्ल शैली (640-674 ई.):

  • राजा नरसिंह वर्मन के समय महाबलीपुरम में ‘रथ’ निर्माण का शुभारंभ हुआ। ‘रथमंदिर’ मूर्तिकला का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जिनमें द्रौपदी रथ, नकुल- सहदेव रथ, अर्जुन रथ, भीम रथ, गणेश रथ, पिंडारी रथ तथा वलैयंकुट्टै प्रमुख हैं।
    • इन आठ रथों में द्रौपदी रथ एकमंज़िला एवं छोटा है शेष सातों रथों को सप्त पैगोडा कहा गया है।
  • मामल्लपुरम में 7-8वीं शताब्दी के कई जीवंत मंदिर एवं स्मारक हैं जो मुख्य रूप से चट्टानों को तराश कर निर्मित किये गए है जिनमें गुफा मंदिरों की श्रंखला में ‘अर्जुन की तपस्या’ (Arjuna’s Penance) या ‘गंगा का अवतरण’ (Descent of the Ganges) और शोर मंदिर (Shore Temple) अधिक लोकप्रिय हैं। 

राजसिंह शैली (674-800 ई.):

  • पल्लव काल की अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण ‘राजसिंह शैली’ में रॉक कट आर्किटेक्चर के स्थान पर पत्थर, ईंट आदि से मंदिरों का निर्माण शुरू हुआ।
  • इस शैली के उदाहरण महाबलीपुरम के तटीय मंदिर, अर्काट का पनमलाई मंदिर, कांची का कैलाशनाथ और बैकुंठ पेरूमल का मंदिर आदि हैं।

गौरतलब है कि मामल्लपुरम के स्मारक और मंदिर, जिनमें शोर मंदिर परिसर शामिल हैं, को सामूहिक रूप से वर्ष 1984 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल के रूप में नामित किया गया था।

महत्त्व:

  • मामल्लपुरम से प्राप्त प्राचीन चीनी, फारसी और रोमन सिक्कों से पता चलता है कि यह एक बंदरगाह था।
  • वैश्विक दृष्टिकोण से प्राचीन समय में मामल्लपुरम और पल्लव वंश की भूमिका अधिक प्रासंगिक हैं। 8वीं शताब्दी की शुरुआत में चीन और पल्लव राजा राजसिम्हन या नरसिंह वर्मन द्वितीय के मध्य एक सुरक्षा समझौता हुआ जिसमें चीन ने तिब्बत का मुकाबला करने के लिये पल्लव राजा से मदद मांगी थी।
  • अक्तूबर, 2019 में यहाँ पर भारत और चीन के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था।    

फीवर क्लीनिक

Fever Clinic

कर्नाटक सरकार ने 27 मार्च, 2020 को बंगलूरु में 31 फीवर क्लीनिक (Fever Clinic) शुरू करने की घोषणा की है जिसमें उन लोगों की जाँच की जाएगी जिनको COVID-19 लक्षण होने की आशंका है।

मुख्य बिंदु: 

  • फीवर क्लीनिक लोगों का आकलन, परीक्षण, उपचार एवं उनको आश्वस्त करने के लिये समर्पित सुविधाएँ प्रदान करता हैं और जहाँ आवश्यक हो स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के माध्यम से उन्हें चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करता है।
  • कर्नाटक सरकार अगले 14 दिनों तक राज्य में COVID-19 महामारी की स्थिति का विश्लेषण करने के लिये 25,000 लोगों की जाँच करेगी। 
  • COVID-19 महामारी से निपटने के लिये कर्नाटक सरकार ट्रेस (Trace), टेस्ट (Test) और ट्रीट (Treat) के दृष्टिकोण को अपना रही है। इस तरह के एहतियाती कदम उठाने वाला कर्नाटक भारत का पहला राज्य है।
  • फीवर क्लीनिक की अवधारणा उन शंकाग्रस्त लोगों को संक्रमित होने से बचाने के लिये लाई गई है जो आपातकालीन विभागों एवं सामान्य स्वास्थ्य केंद्रों जहाँ पहले से ही संक्रमित लोगों का इलाज चल रहा है, में जाँच कराने के लिये जाते हैं।  
  • यह न केवल पारंपरिक चिकित्सीय सेवाओं की मांग को कम करता है बल्कि संभावित रूप से बीमार लोगों एवं बुजुर्गों के बीच बीमारी के प्रसार को सीमित करता है।

डॉ. इग्नाज़ सेम्मेल्वेईस

Dr Ignaz Semmelweis

COVID-19 जैसी अन्य वैश्विक महामारी के प्रसार को रोकने के लिये डॉ. इग्नाज़ सेम्मेल्वेईस (Dr Ignaz Semmelweis) द्वारा किये गए शोध कार्यों का सम्मान करते हुए गूगल कंपनी ने एक एनिमेटेड डूडल (Doodle) प्रस्तुत किया

Dr-Ignaz

मुख्य बिंदु:

  • डॉ. इग्नाज़ सेम्मेल्वेईस (Ignaz Semmelweis) को COVID-19 सहित कई बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिये सबसे प्रभावी तरीकों में से एक ‘साबुन एवं पानी से हाथ धोने’ की सिफारिश करने वाला पहला डॉक्टर माना जाता है।
  • इग्नाज़ फिलिप सेम्मेल्वेईस (1818-1865) एक हंगेरियन चिकित्सक एवं वैज्ञानिक थे जिन्हें अब एंटीसेप्टिक प्रक्रियाओं के शुरुआत करने वाले अग्रदूत के रूप में जाना जाता है।
  • ‘माताओं का उद्धारकर्त्ता’ (Saviour of Mothers) के रूप में प्रसिद्ध सेम्मेल्वेईस ने पाया कि प्रसवजन्य बुखार [जिसे ‘प्रसूति बुखार’ (Childbed fever) भी कहा जाता है] की बीमारी को हाथ कीटाणुशोधन द्वारा काफी हद तक कम किया जा सकता है। 
  • वर्ष 1847 में सेम्मेल्वेईस ने क्लोरीनयुक्त चूना विलयन से हाथ धोने की प्रथा शुरु की थी।
  • सेम्मेल्वेईस ने अपने निष्कर्षों पर आधारित एटिओलॉजी (Etiology) की एक पुस्तक ‘कॉन्सेप्ट एंड प्रोफाइलैक्सिस ऑफ चाइल्डबेड फीवर’ (Concept and Prophylaxis of Childbed Fever) प्रकाशित की।
  • जब लुई पाश्चर (Louis Pasteur) ने रोगों के जीवाणु सिद्धांत (Germ Theory of Disease) की पुष्टि की तब सेम्मेल्वेईस की हाथ धोने की प्रथा ने उनकी मृत्यु के पश्चात व्यापक स्वीकृति अर्जित की।

रेपो दर और रिवर्स रेपो दर

Repo Rate and Reverse Repo Rate

COVID-19 महामारी के कारण भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee-MPC) ने रेपो दर (Repo Rate) में 75 आधार अंकों की कटौती कर 4.4% कर दी है जबकि रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate) में 90 आधार अंकों की कटौती करके 4% कर दी है।  

मुख्य बिंदु:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने 28 मार्च से 1 वर्ष के लिये सभी बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio- CRR) को 100 आधार अंक घटाकर 3% कर दिया।. 
  • जबकि सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility-MSF) 4.65% है। वहीं सांविधिक चलनिधि अनुपात (Statutory Liquidity Ratio-SLR) 18.25% है।

रेपो दर (Repo Rate):

  • रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण लेते हैं। रेपो दर में कटौती कर RBI बैंकों को यह संदेश देता है कि उन्हें आम लोगों और कंपनियों के लिये ऋण की दरों को आसान करना चाहिये।

रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate):

  • यह रेपो रेट के ठीक विपरीत होता है अर्थात् जब बैंक अपनी कुछ धनराशि को रिज़र्व बैंक में जमा कर देते हैं जिस पर रिज़र्व बैंक उन्हें ब्याज देता है। रिज़र्व बैंक जिस दर पर ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

नकद आरक्षित अनुपात

(Cash Reserve Ratio- CRR):

  • प्रत्येक बैंक को अपने कुल कैश रिज़र्व का एक निश्चित हिस्सा रिज़र्व बैंक के पास रखना होता है, जिसे नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है। ऐसा इसलिये किया जाता है जिससे किसी भी समय किसी भी बैंक में बहुत बड़ी तादाद में जमाकर्त्ताओं को यदि रकम निकालने की ज़रूरत महसूस हो तो बैंक को पैसा चुकाने में दिक्कत न आए। 

सीमांत स्थायी सुविधा

(Marginal Standing Facility-MSF):

  • यह वह दर है जिससे रिज़र्व बैंक से एक रात के लिये कर्ज़ लिया जा सकता है। यह 2011-2012 में आरबीआई की मौद्रिक नीति के बाद अस्तित्व में आया।

सांविधिक चलनिधि अनुपात

(Statutory Liquidity Ratio-SLR):

  • वाणिज्यिक बैंकों के लिये अपने प्रतिदिन के कारोबार के बाद नकद, सोना और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के रूप में एक निश्चित धनराशि रिज़र्व बैंक के पास रखना ज़रूरी होता है। इसका इस्तेमाल किसी भी आपात देनदारी को पूरा करने में किया जा सकता है। वह दर जिस पर बैंक यह धनराशि सरकार के पास रखते हैं उसे सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR) कहते हैं। इसके तहत अपनी कुल देनदारी के अनुपात में सोना सरकारी अनुमोदित बॉन्ड के रूप में रिज़र्व बैंक के पास रखना होता है।
  • RBI द्वारा लिये गए इन निर्णयों से भारतीय अर्थव्यवस्था में 3.74 लाख करोड़ रुपए की नकदी बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।

गौरतलब है कि RBI के ये निर्णय केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा 26 मार्च, 2020 को 21 दिन के कोरोनवायरस लॉकडाउन के प्रभाव को सीमित करने के लिये 1.7 ट्रिलियन रुपए के राहत पैकेज की घोषणा के बाद किये गए हैं।

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