प्रीलिम्स फैक्ट्स: 25 नवंबर, 2019 | 25 Nov 2019
लिविंग रूट ब्रिज़
Living Root Bridge
साइंटिफिक रिपोर्ट पत्रिका के अनुसार, मेघालय में उपस्थित लिविंग रूट ब्रिज़ (Living Root Bridges) को शहरी संदर्भ में भविष्य में वानस्पतिक वास्तुकला के संदर्भ के रूप में माना जा सकता है।
लिविंग रूट ब्रिज़ के विषय में:
- इन ब्रिज़ को ज़िंग कीेंग ज़्रि (Jing Kieng Jri) भी कहा जाता है।
- इनका निर्माण पारंपरिक जनजातीय ज्ञान का प्रयोग करके रबर के वृक्षों की जड़ों को जोड़-तोड़ कर किया जाता है।
- सामान्यतः इन्हें धाराओं या नदियों को पार करने के लिये बनाया जाता है।
- मुख्यतः मेघालय की खासी ओर जयंतिया पहाड़ियों में सदियों से फैले 15 से 250 फुट के ये ब्रिज़ विश्व प्रसिद्ध पर्यटन का आकर्षण भी बन गए हैं।
लोकप्रिय पर्यटन स्थल:
- इनमें सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं-
- रिवाई रूट ब्रिज (Riwai Root Bridge)
- उम्शिआंग डबल डेकर ब्रिज (Umshiang Double Decker Bridge)।
प्रमुख गुण:
- ये लोचदार होते हैं।
- इन्हें आसानी से जोड़ा जा सकता है।
- ये पौधे उबड़-खाबड़ और पथरीली मिट्टी में उगते हैं।
ग्लोबल बायो-इंडिया समिट- 2019
Global Bio-India Summit- 2019
हाल ही में नई दिल्ली में भारत के पहले सबसे बड़े जैव प्रौद्योगिकी सम्मेलन ग्लोबल बायो-इंडिया समिट- 2019 (Global Bio-India Summit- 2019) का आयोजन किया गया।
क्रियान्वयन:
- इसका आयोजन भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत कार्यरत जैव-प्रौद्योगिकी विभाग ने अपने सार्वजनिक उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद के साथ मिलकर किया।
- इसके अलावा इस आयोजन में भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII), एसोसिएशन ऑफ बायोटेक्नोलॉजी लेड एंटरप्राइज़ेज़ (Association of Biotechnology Led Enterprises- ABLE) और इन्वेस्ट इंडिया (Invest India) भी भागीदार थे।
समयावधि
- इस तीन दिवसीय सम्मलेन का आयोजन 21- 23 नवंबर, 2019 तक किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस शिखर सम्मेलन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भारत के जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र की क्षमता प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया।
- जैव-प्रौद्योगिकी तेज़ी से उभरने वाला क्षेत्र है जो वर्ष 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुँचाने में उल्लेखनीय योगदान कर सकता है।
किसान (फार्मर्स) क्लब
Farmers Clubs
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) के अनुसार 31 अक्तूबर, 2019 तक विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लगभग 24,321 सक्रिय किसान क्लब (Farmers Clubs) मौजूद थे।
नाबार्ड का एक अनौपचारिक मंच
- फार्मर्स क्लब, नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD) का एक अनौपचारिक मंच है।
पृष्ठभूमि
- 5 नवंबर, 1982 को नाबार्ड को राष्ट्र को समर्पित करते हुए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने ‘क्रेडिट के माध्यम से विकास’ के पाँच सिद्धांतों’ को प्रचारित करने के लिये ‘विकास स्वयंसेवक वाहिनी’ (Vikas Volunteer Vahini-VVV) कार्यक्रम शुरू किया।
- वर्ष 2005 में VVV कार्यक्रम को किसान क्लब कार्यक्रम (FCP) के रूप में नामांकित किया गया।
क्या है किसान क्लब?
- किसान क्लब गाँव में किसानों का ज़मीनी स्तर का एक अनौपचारिक मंच है।
- बैंकों और किसानों के पारस्परिक लाभ के लिये नाबार्ड के समर्थन एवं वित्तीय सहायता के साथ बैंकों की ग्रामीण शाखाओं द्वारा इस तरह के क्लबों का आयोजन किया जाता है।
उद्देश्य:
- इन्हें बैंकों और किसानों के आपसी लाभ के लिये कार्यान्वित किया जा रहा है।
- इसका उद्देश्य किसानों के लिये तकनीकी के हस्तांतरण, साख (क्रेडिट) के माध्यम से विकास, जागरूकता और क्षमता निर्माण करना है।
फार्मर्स क्लब, बैंकों और राज्यों के संबंधित विभागों द्वारा प्रायोजित/कार्यान्वित कार्यक्रमों/योजनाओं के अभिसरण हेतु भी लाभदायक हैं।