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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 25 मार्च, 2020

  • 25 Mar 2020
  • 12 min read

भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना

Ex-Servicemen Contributory Health Scheme

सोशल डिस्टेंसिंग सहित कोरोनावायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिये शुरू किये गए उपायों के मद्देनज़र नई दिल्ली स्थित भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ECHS) के केंद्रीय संगठन ने भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme- ECHS) के तहत अप्रैल महीने में एक बार में आवश्यक दवाओं की खरीद की अनुमति दी।

मुख्य बिंदु: 

  • वयोवृद्ध सभी दवाओं को पॉली क्लीनिक्स, सेवा अस्पतालों और सूची में सम्मिलित अन्य अस्पतालों से निर्धारित पर्चे के आधार पर खरीद सकते हैं।
  • इसे 30 अप्रैल, 2020 तक तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा।

भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना

(Ex-Servicemen Contributory Health Scheme- ECHS):

  • इस योजना को वर्ष 2003 में लाॅन्च किया गया था।
  • ECHS भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत पूर्व सैनिक कल्याण विभाग (Department of Ex-Servicemen Welfare) की एक प्रमुख योजना है। 
    • पूर्व सैनिक कल्याण विभाग रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय में एडजुटेंट जनरल (Adjutant General) के माध्यम से चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (Chiefs of Staff Committee) के अधीन कार्य करता है।

उद्देश्य:

  • इस योजना का उद्देश्य देश भर में फैले ECHS पॉली क्लीनिक्स, सरकारी अस्पतालों, विशेष  सरकारी आयुष अस्पतालों के नेटवर्क के माध्यम से पूर्व सैनिक पेंशनरों एवं उनके आश्रितों को एलोपैथिक तथा आयुष चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करना है।

अनुदान:

  • इस योजना को पूर्ण रूप से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया है और इस योजना को केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (Central Government Health Scheme- CGHS) की तर्ज पर प्रबंधित किया गया है ताकि रोगियों के लिये जहाँ तक ​​संभव हो कैशलेस लेन-देन सुनिश्चित किया जा सके। 

अन्य बिंदु: 

  • वर्ष 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ECHS के तहत द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल भारतीय सैनिकों, आपातकालीन कमीशन अधिकारियों (Emergency Commissioned Officers- ECOs), शॉर्ट सर्विस कमीशंड ऑफिसर्स (Short Service Commissioned Officers- SSCOs) और समय पूर्व सेवानिवृत्त लोगों को भी चिकित्सा सुविधा देने को मंज़ूरी दी थी।

डॉ. राम मनोहर लोहिया

Dr Ram Manohar Lohia

भारतीय प्रधानमंत्री ने डॉ. राम मनोहर लोहिया (Dr. Ram Manohar Lohia) को उनकी जयंती (23 मार्च) पर श्रद्धांजलि दी।

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मुख्य बिंदु:

  • डॉ. राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च, 1910 को ब्रिटिशकालीन भारत में संयुक्त प्रांत के अकबरपुर (Akbarpur) में हुआ था।    
  • डॉ. लोहिया समाजवादी राजनीति और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति थे।
  • वर्ष 1934 में लोहिया भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (Indian National Congress) के अंदर एक वामपंथी समूह कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (Congress Socialist Party- CSP) में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। उन्होंने CSP कार्यकारी समिति में कार्य किया और इसकी साप्ताहिक पत्रिका का संपादन किया।
  • उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में ग्रेट ब्रिटेन द्वारा भारत को शामिल करने के निर्णय का विरोध किया और वर्ष 1939 तथा वर्ष 1940 में ब्रिटिश विरोधी टिप्पणी के लिये गिरफ्तार किये गए।
  • लोहिया ने अन्य CSP नेताओं के साथ मिलकर वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के लिये समर्थन जुटाया।
  • वर्ष 1948 में लोहिया एवं अन्य CSP सदस्यों ने कांग्रेस छोड़ दी और वर्ष 1952 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (Praja Socialist Party) के सदस्य बने और कुछ समय के लिये इसके महासचिव के रूप में कार्य किया किंतु पार्टी के भीतर मतभेदों के कारण वर्ष 1955 में त्यागपत्र दे दिया।
  • वर्ष 1955 में लोहिया ने एक नई सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की जिसके वे अध्यक्ष बने और साथ-साथ इसकी पत्रिका मैनकाइंड (Mankind) का संपादन भी किया। वर्ष 1963 में लोहिया लोकसभा के लिये चुने गए और वर्ष 1967 में उनका निधन हो गया। 
  • उन्होंने एक पार्टी नेता के तौर पर विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक सुधारों की वकालत की जिसमें जाति व्यवस्था का उन्मूलन, भारत की राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी को मान्यता और नागरिक स्वतंत्रता का मज़बूत संरक्षण शामिल है।
  • उनके कुछ प्रमुख लेखन कार्यों में शामिल हैं: 'मार्क्स (Marx), गांधी और समाजवाद (Gandhi and Socialism), भारत विभाजन के दोषी पुरुष (Guilty Men of India’s Partition) आदि।

निर्माण उपकर निधि

Construction Cess Fund

भारत सरकार के श्रम मंत्रालय (Ministry of Labour) ने सभी राज्यों को COVID -19 के मद्देनज़र निर्माण क्षेत्र से संबंधित श्रमिकों के कल्याण के लिये ‘निर्माण उपकर निधि’ (Construction Cess Fund) का उपयोग करने की एडवाइज़री जारी की।

मुख्य बिंदु:

  • भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक उपकर अधिनियम, 1996 (Building and Other Construction Workers Cess Act, 1996) के तहत श्रम कल्याण बोर्डों (Labour Welfare Boards) द्वारा एकत्र किये गए उपकर को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से राज्यों के निर्माण श्रमिकों के खाते में हस्तांतरित किया जाएगा।
  • राज्यों के पास लगभग 52000 करोड़ रुपए निर्माण उपकर निधि के रूप में उपलब्ध हैं और वर्तमान में लगभग 3.5 करोड़ निर्माण श्रमिक निर्माण कल्याण बोर्डों के तहत पंजीकृत हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation) के अनुसार, COVID -19 वैश्विक महामारी के कारण विश्व भर में 25 मिलियन नौकरियों पर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
  • भारत की कुल श्रम शक्ति का लगभग 90% अनौपचारिक क्षेत्र (Informal Sector) में कार्यरत है।

चैत्र शुक्लादि, उगादि, गुडी पड़वा, चेती चाँद, नवरेह एवं साजिबु चेरोबा

Chaitra Sukladi, Ugadi, Gudi Padava, Cheti Chand, Navreh and Sajibu Cheiraoba

भारत के राष्ट्रपति ने 25 मार्च से शुरू हो रही बसंत ऋतु पर देशवासियों को शुभकामनाएँ दी।  

  • भारत के विभिन्न हिस्सों में बसंत ऋतु को चैत्र शुक्लादि (Chaitra Sukladi), उगादि (Ugadi), गुडी पड़वा (Gudi Padava), चेती चाँद (Cheti Chand), नवरेह (Navreh) एवं साजिबु चेरोबा (Sajibu Cheiraoba) जैसे विभिन्न त्योहारों के रूप में मनाया जाता है। 

मुख्य बिंदु:

  • चैत्र शुक्लादी पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में नए वर्ष की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। यह नया वर्ष पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने (मार्च-अप्रैल) में चंद्रमा के एपिलेशन चरण (Waxing Phase) के पहले दिन मनाया जाता है।
  • शुक्लादि एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा एक चंद्र मास (Lunar Month) निर्धारित किया जाता है। शुक्लादि का तात्पर्य किसी महीने में पूर्णिमा के दिनों से है।
  • दक्षिण भारत के महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में शुक्लादि पद्धति का पालन किया जाता है। वहीं उत्तर भारत में भी विक्रम संवत के आधार पर नए वर्ष मनाने के लिये शुक्लादि पद्धति का उपयोग किया जाता है किंतु यहाँ एक महीने की गणना पूर्णिमा से पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र की स्थिति) तक की जाती है।
    • चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से ही हिंदू नववर्ष का प्रारंभ होता है। अर्थात् विक्रम संवत 2077 या हिन्दू नववर्ष 2077 का प्रारंभ हो गया है। इसे नव संवत्सर 2077 के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत सम्राट विक्रमादित्य ने की थी। 
  • यह चैत्र (बसंत) महीने का पहला दिन होता है। भारत के उत्तरी भागों में इस दिन को चैत्र शुक्लादि (Chaitra Shukladi) के रूप में मनाया जाता है।
  • आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में इसे उगादि (Ugadi): युग + आदि अर्थात् नए युग की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।
  • महाराष्ट्र और गोवा में इसे गुडी पड़वा (Gudi Padava) के रूप में मनाया जाता है। ‘पड़वा’ का अर्थ ‘फसल’ है। यह रबी की फसल के अंत और एक नए वसंत ऋतु की शुरुआत को चिह्नित करता है।
  • सिंधी लोग नए वर्ष को चेती चाँद (Cheti Chand) के रूप में मनाते हैं। चैत्र माह को सिंधी भाषा में 'चेती' (Cheti) कहा जाता है, इस दिन को संत झूलेलाल (Saint Jhulelal) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
  • कश्मीरी लोग इस दिन को नवरेह (Navreh) के रूप में मनाते है यह नाम संस्कृत भाषा के 'नववर्ष' से लिया गया है।
  • भारत के मणिपुर राज्य में इस दिन को साजिबू चिरोबा (Sajibu Cheiraoba) के रूप में मनाया जाता है। ‘साजिबू’ छह ऋतुओं में से पहली ऋतु अर्थात् बसंत को इंगित करता है और ‘चिरोबा’ का अर्थ ‘नए वर्ष की घोषणा’ है।
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