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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 25 जनवरी, 2020

  • 25 Jan 2020
  • 7 min read

राष्ट्रीय मतदाता दिवस

National Voters’ Day

25 जनवरी, 2020 को 10वाँ राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters’ Day-NVD) देश भर में मनाया गया।

थीम: 10वाँ राष्ट्रीय मतदाता दिवस की थीम ‘मज़बूत लोकतंत्र के लिये चुनावी साक्षरता’ (Electoral Literacy for Stronger Democracy) है। 

मुख्य बिंदु:

  • निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय समारोह में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद मुख्य अतिथि थे। 
  • यह वर्ष भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि इस वर्ष भारत के चुनाव आयोग ने अपनी 70 साल की यात्रा पूरी की है।
  • इस अवसर पर भारत निर्वाचन आयोग ने बैलट-2 में विश्वास (Belief in the Ballot-2) नामक पत्रिका लाॅन्च की। इस पत्रिका में भारतीय चुनावों के बारे में देश भर की 101 मानव कथाएँ संकलित हैं। 
    • इसकी पहली प्रति चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति को भेंट की गई।
  • इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा 'द सेंटेनरियन वोटर: सेंटिनल्स ऑफ डेमोक्रेसी' (The Centenarian Voters: Sentinels of Democracy) नामक एक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया जिसमें देश भर के उन दिग्गज मतदाताओं की 51 कहानियाँ हैं जिन्होंने दुर्गम इलाकों, खराब स्वास्थ्य और अन्य चुनौतियों के बावजूद मतदान किया।

शुरुआत

  • भारत निर्वाचन आयोग का गठन 25 जनवरी, 1950 को हुआ था। भारत सरकार ने राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस पर '25 जनवरी' को वर्ष 2011 से 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के रूप में मनाने की शुरुआत की थी।

उद्देश्‍य

  • 'राष्‍ट्रीय मतदाता दि‍वस' मनाए जाने के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्‍य अधि‍क मतदाता, वि‍शेष रूप से नए मतदाता बनाना है।
  • इस दि‍वस पर मतदान प्रक्रि‍या में मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु जागरूकता का प्रसार कि‍या जाता है।

आयकर अपीलीय अधिकरण 

Income Tax Appellate Tribunal 

हाल ही में आयकर अपीलीय अधिकरण (Income Tax Appellate Tribunal-ITAT) ने अपना 79वाँ स्थापना दिवस मनाया।

स्थापना:

  • आयकर अपीलीय अधिकरण एक अर्द्ध-न्यायिक (Quasi-Judicial) संस्था है जिसे वर्ष 1941 में आयकर अधिनियम, 1922 की धारा 5A के तहत स्थापित किया गया था।
  • शुरुआत में इसकी तीन बेंच दिल्ली, कोलकाता (कलकत्ता) और मुंबई (बॉम्बे) में थीं किंतु वर्तमान में इसकी लगभग सभी शहरों को कवर करने वाले 27 विभिन्न स्टेशनों पर 63 बेंच हैं।
  • इसको 'मदर ट्रिब्यूनल' भी कहा जाता है जो देश का सबसे पुराना अधिकरण है।

कार्य:

  • यह प्रत्यक्ष कर अधिनियम जैसे- आयकर अधिनियम, 1961 के तहत की गई अपील से संबंधित सुनवाई करता है।

इसके द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम माना जाता है। (किंतु यदि दिये गए निर्णय को लेकर कोई महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठता है तो अपील उच्च न्यायालय में की जा सकती है।) 


एसटीईएम- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित  

STEM- Science, Technology, Engineering and Mathematics

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (भारत) के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने एसटीईएम- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM- Science, Technology, Engineering and Mathematics) में महिलाओं की भूमिका पर एक अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में किया।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य  विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को कॅरियर बनाने के लिये STEM क्षेत्रों में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देना है।

थीम:

  • इस शिखर सम्मलेन की थीम भविष्य की कल्पना: नई स्काईलाइंस (Visualizing the Future: New Skylines) है। 

मुख्य बिंदु:

  • इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य एसटीईएम के क्षेत्र में विश्व भर की सफल महिलाओं, जिनमें वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर और पुरस्कृत महिलाएँ शामिल हैं, से अवगत करवाना था।

एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित): यह 4 विशिष्ट विषयों (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में छात्रों को शिक्षित करने पर आधारित पाठ्यक्रम है। 

    • एक मज़बूत एसटीईएम के तहत प्रदान की जाने वाली शिक्षा महत्त्वपूर्ण विचारकों, समस्या-समाधानकर्त्ताओं और अगली पीढ़ी के नवप्रवर्तनकर्त्ताओं का निर्माण करती है।
    • भारत उन देशों में से एक है जहाँ वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सबसे अधिक संख्या है।
    • गौरतलब है कि एसटीईएम का विकास पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है।
    • नेशनल साइंस फाउंडेशन के अनुसार, आने वाले कुछ वर्षों में 80% नौकरियों में गणित एवं विज्ञान के कौशल की आवश्यकता होगी।
    • भारत में उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिभा होने के बावजूद परीक्षा-केंद्रित शिक्षा मॉडल के कारण कुछ ही छात्रों में नवाचार, समस्या का समाधान करना और रचनात्मकता का विकास हो पाया है। 
    • भारत के संविधान में अनुच्छेद 51A के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना के साथ विकास करें।
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