प्रिलिम्स फैक्ट्स: 24 अगस्त, 2020 | 24 Aug 2020
नुआखाई जुहार
Nuakhai Juhar
23 अगस्त, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री ने ‘नुआखाई जुहार’ (Nuakhai Juhar) के अवसर पर देश के किसानों को शुभकामनाएँ दी।
प्रमुख बिंदु:
- यह एक कृषि उत्सव है जिसे ‘नुआखाई पर्व’ (Nuakhai Parab) या ‘नुआखाई भेटघाट’ (Nuakhai Bhetghat) भी कहा जाता है।
- नुआखाई दो शब्दों (नुआ+खाई) से मिलकर बना है जो नए चावल खाने के महत्त्व को दर्शाता है। यहाँ 'नुआ' का अर्थ है नया और 'खाई' का अर्थ है खाना।
- यह बदलते मौसम के साथ नई फसल का स्वागत करने के लिये पश्चिमी ओडिशा, दक्षिणी छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाने वाला एक प्राचीन त्योहार है।
- यह उत्सव गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाया जाता है।
- इस दिन किसान अन्न की पूजा करते हैं और विशेष भोजन तैयार करते हैं। ओडिशा के संबलपुर ज़िले की प्रसिद्ध 'मातृ देवी' देवी समलेश्वरी (Goddess Samaleswari) को किसान अपनी भूमि से पहली उपज के रूप में कुछ अन्न अर्पित करते हैं।
- इसके अतिरिक्त स्थानीय लोग इस दिन अपने-अपने ज़िलों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे- लोकगीत एवं नृत्य का आयोजन करते हैं जो राज्य की स्थानीय संस्कृति एवं परंपरा को प्रदर्शित करते हैं।
ओपन एपीआई सर्विस
Open API Service
हाल ही में आरोग्य सेतु एप में लोगों, व्यापार और अर्थव्यवस्था को सामान्य स्थिति में वापस लाने हेतु मदद करने के लिये एक नई ओपन एपीआई सर्विस (Open API Service) की शुरुआत की गई है।
प्रमुख बिंदु:
- आरोग्य सेतु एप की ‘ओपन एपीआई सर्विस’ का लाभ वे संगठन एवं व्यावसायिक संस्थान ले सकते हैं जो 50 से अधिक कर्मचारियों के साथ भारत में पंजीकृत हैं और वे रियल टाइम में आरोग्य सेतु आवेदन के बारे में पता लगाने तथा अपने कर्मचारियों या आरोग्य सेतु के अन्य उपयोगकर्त्ताओं जिन्होंने संगठन के साथ अपनी स्वास्थ्य स्थिति साझा करने के लिये अपनी सहमति प्रदान की है, की स्वास्थ्य स्थिति प्राप्त करने के लिये ‘ओपन एपीआई सर्विस’ का उपयोग कर सकते हैं।
- ओपन एपीआई सर्विस केवल आरोग्य सेतु स्टेटस एवं आरोग्य सेतु उपयोगकर्त्ता का नाम (उपयोगकर्त्ता की सहमति से) प्रदान करेगा।
- ‘ओपन एपीआई सर्विस’ के माध्यम से कोई अन्य व्यक्तिगत डेटा प्रदान नहीं किया जाएगा।
आरोग्य सेतु एप:
- COVID-19 महामारी से निपटने के लिये आरोग्य सेतु एप को 2 अप्रैल, 2020 को लॉन्च किया गया था।
- COVID-19 के मद्देनज़र यह अब तक 15 करोड़ से अधिक उपयोगकर्त्ताओं के साथ दुनिया में सबसे अधिक डाउनलोड किये जाने वाले तथा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वालों का पता लगाने वाले एप के रूप में उभरा है।
बहरूपिया
Behrupiya
बहरूपिया (Behrupiya) एक प्रकार के लोक कलाकार होते हैं जो पौराणिक कथाओं, लोक कथाओं एवं पारंपरिक कहानियों का प्रदर्शन करने के लिये विभिन्न प्रकार की वेशभूषाएँ धारण करते हैं।
प्रमुख बिंदु:
- ‘बहरुपिया’ शब्द संस्कृत के शब्द ‘बाहु’ (कई) और ‘रोप’ (रूप या प्रकटीकरण) से लिया गया है।
- इन्हें ‘नकल’ (Naqal) या ‘मसखरा’ (Maskhara) कहा जाता है। ‘मसखरा’ (Maskhara) अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ ‘मजाकिया’ (Jester) होता है।
- ‘बहरुपिया’ शादी या अन्य उत्सवों में एक नाटकीय प्रवेश करने के लिये पुलिस, पुजारी या अन्य किसी व्यक्ति का रूप धारण करता है और उन उत्सवों में उल्लास पैदा करता है।
- उत्तर भारत में रामलीला की जीवंत परंपरा को इस प्रथा के विस्तार के रूप में भी देखा जा सकता है जो आज भी जारी है।
- भटकाव एवं प्रतिरूपण की उनकी खास विशेषज्ञता के कारण मध्यकालीन भारतीय राजा इनका उपयोग जासूस के रूप में करते थे।
- 16वीं शताब्दी में ये जयपुर रियासत के महाराजा सवाई माधोसिंह के सेवा कार्य से जुड़े थे।
- इन लोगों ने समाज में ज्ञान के विभिन्न रूपों को प्रचारित एवं प्रसारित करने में अहम भूमिका निभाई।
- यह भी माना जाता है कि उन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों की मदद की थी।
- वर्तमान में भारत के राजस्थान राज्य में अधिकतम संख्या में बहरूपिया निवास करते हैं।
इंटेस्टाइनल स्टेम सेल्स का एक नया आणविक संरक्षक
A New Molecular Guardian of Intestinal Stem Cells
‘इंटेस्टाइनल स्टेम सेल्स’ दो संभावित रूपों (शेष स्टेम कोशिकाएँ या आंत्र उपकला कोशिकाओं (Intestinal Epithelial Cells) के रूप में विकसित होने वाली कोशिकाएँ) के बीच एक अच्छा संतुलन रखती है।
- एक नए अध्ययन में ‘टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी (Tokyo Medical and Dental University- TMDU) के शोधकर्त्ताओं ने एक आणविक तंत्र की खोज की जो इस संतुलन को नियंत्रित करता है और ‘इंटेस्टाइनल स्टेम सेल्स’ के स्टेमनेस (Stemness) को संरक्षित करता है।
स्टेमनेस (Stemness):
- स्टेमनेस (Stemness) का तात्पर्य सामान्य आणविक प्रक्रियाओं से है जो आत्म-नवीकरण के मूल स्टेम सेल गुणों और विभेदित संतति की पीढ़ी को अंतर्निहित करता है।
‘आंत्र उपकला’ (Intestinal Epithelial) कोशिकाएँ:
- आंतों की आंतरिक परत ‘आंत्र उपकला’ (Intestinal Epithelial) पोषक तत्वों के पर्याप्त पाचन एवं अवशोषण को सुनिश्चित करती है। यह कई अलग-अलग प्रकारों के सेल से निर्मित होता है ये सभी मिलकर एक विशिष्ट कार्य को पूरा करते हैं।
- आंत्र स्टेम सेल आंतों के समुचित कार्य को सुनिश्चित करते हैं जिसके लिये आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न आंत्र उपकला कोशिकाओं में से एक में विकसित करके युवा कोशिकाओं द्वारा पुरानी एवं क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को लगातार बदलने की आवश्यकता होती है।
- क्योंकि शारीरिक प्रक्रियाओं में नई कोशिकाओं की निरंतर ज़रूरत होती है। गौरतलब है कि ‘इंटेस्टाइनल स्टेम सेल्स’ में आत्म-नवीनीकरण की क्षमता होती है जिससे स्टेम सेल्स की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
- हालांकि उन तंत्रों के बारे में बहुत ज्ञात है जो स्व-नवीकरण एवं विभेद के बीच इस संतुलन (कोशिकाओं के दो संभावित रूपों के मध्य संतुलन) को विनियमित करते हैं।
इंटरफेरॉन (Interferon):
- इंटरफेरॉन ऐसे अणु होते हैं जो विशेष रूप से वायरल एवं जीवाणु संक्रमण के दौरान उत्पन्न होते हैं, किंतु हाल ही में यह भी पाया गया कि ये विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं को विनियमित करने के लिये संक्रमण की अनुपस्थिति में भी मौजूद होते हैं।
- कुछ मामलों में, इंटरफेरॉन कुछ जीनों की अभिव्यक्ति (Expression of Certain Genes) को प्रेरित करते हैं, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रोटीन इंटरफेरॉन नियामक कारक-2 (Interferon Regulatory Factor 2- IRF2) द्वारा विनियमित होती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इंटरफेरॉन के कार्य संतुलित हैं।
इंटरफेरॉन नियामक कारक 2 (Interferon Regulatory Factor 2- IRF2):
- इंटरफेरॉन नियामक कारक 2 (IRF2) एक प्रोटीन है जो मनुष्य में IRF2 जीन द्वारा सांकेतिक तरीके से परिवर्तित किया जाता है।
- वर्तमान अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने पाया कि IRF2 पूरी आंत्र उपकला में निर्मित होता है और IRF2 की कमी वाले चूहों में होमोस्टैसिस (संक्रमण या किसी अन्य विपरीत कारक की अनुपस्थिति) के दौरान सामान्य शारीरिक संरचना थी।
- हालाँकि 5-फ्लूरोरासिल (5-fluorouracil) जिसे आंत्र उपकला को नुकसान पहुँचाने के लिये जाना जाता है, की उपस्थिति में सामान्य चूहे स्वयं को पूरी तरह से पुनर्गठित करने में सक्षम थे।
- किंतु जिन चूहों में इंटरफेरॉन नियामक कारक 2 (IRF2) की कमी थी उनमें एक पुनर्योजी प्रतिक्रिया दिखाई दी जो यह दर्शाता है कि ‘इंटेस्टाइनल स्टेम सेल्स’ IRF2 की अनुपस्थिति में ठीक से कार्य नहीं कर पा रही थीं।
- दिलचस्प बात यह है कि अपरिपक्व पैनेथ कोशिकाएँ (Immature Paneth Cells) जो विशेष स्रावी कोशिकाएँ हैं, IRF2 की कमी वाले चूहों में अत्यधिक प्रचुर मात्रा में मौजूद थीं।