प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 23 अक्तूबर, 2019
- 23 Oct 2019
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कृत्रिम पत्ती
Artificial leaf
ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं ने एक 'कृत्रिम पत्ती' विकसित की है जो सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके सिनगैस का उत्पादन कर सकती है।
यह पत्ती किस प्रकार कार्य करती है?
- यह पत्ती कार्बन-न्यूट्रल डिवाइस है जो कार्बन डाइऑक्साइड और जल का उपयोग करते हुए आसान तरीके से सिनगैस बना सकती है।
- यह कृत्रिम पत्ती मेघाच्छादित और वर्षा के मौसम में भी कुशलता से काम करती है। इसलिये इसका उपयोग ठंडे प्रदेशों में भी किया जा सकता है।
- कृत्रिम पत्ती पर दो प्रकाश अवशोषकों को कोबाल्ट से बने उत्प्रेरक के साथ जोड़ा जाता है।
- जब इस डिवाइस को जल में डुबाया जाता है तो यह प्रकाश अवशोषक ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिये उत्प्रेरक का उपयोग करता है।
- जबकि दूसरा प्रकाश अवशोषक रासायनिक अभिक्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड और जल को कार्बन मोनोऑक्साइड एवं हाइड्रोजन में बदल देता है और इस प्रकार सिनगैस का निर्माण होता है।
लाभ:
- वर्तमान में सिनगैस के निर्माण के लिये जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जाता है।
- नेचर मैटेरियल्स नामक जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, यह कृत्रिम पत्ती सिनगैस उत्पादन के दौरान मौजूदा औद्योगिक प्रक्रियाओं के विपरीत कार्बन डाइऑक्साइड का बिल्कुल भी उत्सर्जन नहीं करती है।
- यह डिवाइस प्रकाश संश्लेषण के सिद्धांत पर आधारित है।
सिनगैस क्या होती है?
- संश्लेषण गैस (Synthesis Gas) को संक्षिप्त रूप में सिनगैस कहा जाता है।
- सिनगैस हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का मिश्रण है।
- इसका उपयोग ईंधन, फार्मास्यूटिकल्स, प्लास्टिक और उर्वरक उत्पादन जैसे कई अनुप्रयोगों में किया जाता है।
छिपकली की छह प्रजातियों की खोज
Six Lizard Species Found
पश्चिमी घाट में वैज्ञानिकों एक समूह ने द्रविडोगेको (Dravidogecko) परिवार की छिपकलियों की छह प्रजातियों की खोज की है। यह एक खोज महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अभी तक इस परिवार की केवल एक ही प्रजाति ज्ञात थी।
विशेषताएँ:
- यह अध्ययन केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में विस्तृत एवं ‘जैव विविधता हॉटस्पॉट’ के रूप में प्रसिद्ध पश्चिमी घाट के महत्त्व को दर्शाता है।
- ये सभी अलग-अलग प्रजातियाँ एक ही पारिस्थितिक निकेत (Niche) में रहती हैं इसलिये बहुत ही कम रूपात्मक अंतर प्रदर्शित करती हैं। हालाँकि एक DNA आधारित आण्विक विश्लेषण से इनमें आसानी से विभेद किया जा सकता है।
इन छिपकलियों का उद्भव:
- एक पूर्व अध्ययन के अनुसार, द्रविडोगेको अनामालेनेसिस (Dravidogecko Anamallensis) परिवार का विकास लगभग 5.8 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था, जब भारतीय उप-महाद्वीप अफ्रीकी भूमि से अलग हुआ था।
अधिवास:
- छोटे आकार की छिपकली द्रविडोगेको मध्य से उच्च ऊँचाई वाले आर्द्र वनों में सीमित है। यह मुख्यत: पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग में वायनाड (केरल) से लेकर तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) तक पर्वत श्रृंखलाओं में पाई जाती है।
छह नई प्रजातियों का निम्नलिखित प्रकार से नामकरण किया गया है-
- द्रविडोगेको सेप्टेन्ट्रियोनालिस (Dravidogecko Septentrionalis)
- डी. जानकीआई (केरल के वनस्पतिशास्त्री जानकी अम्मल के नाम पर)
- डी. थोलपल्ली (D. Tholpalli)
- डी. मेघमालईन्सिस (D. Meghamalaiensis)
- डी. डगलसएडम्सी (ब्रिटिश लेखक और व्यंग्यकार डगलस नोएल एडम्स के नाम पर)
- डी.स्मिथि (ब्रिटिश सरीसृप विज्ञानी मैल्कम आर्थर स्मिथ के सम्मान में)
सफेद बेलबर्ड
White Bellbird
करेंट बायोलॉजी (Current Biology) नामक पत्रिका के अध्ययन के अनुसार, सफेद बेलबर्ड (white Bellbird) के प्रणय गीत (Mating Song) का स्वर पक्षियों में सबसे अधिक डेसिबल का है।
वैज्ञानिक नाम:
- सफेद बेलबर्ड पक्षियों के काटिन्ग्डे (Cotingidae) वर्ग से संबंधित एक प्रजाति है।
- इसका वैज्ञानिक नाम प्रोकनिअस अल्बस (Procnias albus) है।
शारीरिक विशेषताएँ:
- इस पक्षी में सामान्य से मोटी और विकसित पेट की मांसपेशियाँ एवं पसलियों जैसी कुछ विशिष्ट शारीरिक संरचना होती है, शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि यह विशिष्ट संरचना इनके ऊँचे स्वर से संबंधित हो सकती है।
IUCN में स्थिति:
- IUCN की रेडलिस्ट के अनुसार सफेद बेलबर्ड लीस्ट कंशर्न (Least Concern) श्रेणी में सूचीबद्ध है।
मूल स्थान (Native):
- ब्राज़ील, फ्रेंच गयाना, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, वेनेज़ुएला, बोलीविया।
रामगढ़ बांध
Ramgarh dam
रामगढ़ बांध (Ramgarh dam) राजस्थान की राजधानी जयपुर के समीप स्थित है।
इतिहास:
- इसका निर्माण कार्य वर्ष 1904 में तत्कालीन जयपुर शासक सवाई माधोसिंह द्वितीय के शासनकाल में पूरा हुआ था।
- रामगढ़ बांध स्थित झील में वर्ष 1982 के एशियाई खेलों के दौरान रोइंग इवेंट (Rowing Event) का आयोजन किया गया था।
महत्त्व:
- यह कृषि और पेयजल आपूर्ति की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
- इसके अतिरिक्त यह स्थानीय लोगों के लिये एक प्रकार का पिकनिक स्थल है।
संबंधित समस्याएँ:
- इस बांध को यहाँ के किसानों और स्थानीय लोगों द्वारा पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है।
- हाल ही में इस बांध में पानी के प्रवाह को प्रभावित करने वाले अतिक्रमणों को हटाने की मांग की जा रही है।
आगे की राह:
- प्रस्तावित पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के माध्यम से बांध में चंबल नदी के पानी की आपूर्ति की जानी चाहिये।
- इसके जलग्रहण क्षेत्र में कृषि भूमि पर निर्माण की अनुमति देनी चाहिये लेकिन इसको ध्यान में रखा जाए कि इससे बांध में पानी का प्रवाह बाधित न हो।