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प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 21 अगस्त, 2020

  • 21 Aug 2020
  • 12 min read

मिलेनियम एलायंस

Millennium Alliance

हाल ही में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (The Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry- FICCI) द्वारा एक वेबिनार ‘मिलेनियम एलायंस राउंड 6 & COVID-19 इनोवेशन चैलेंज अवार्ड्स’ (Millennium Alliance Round 6 & COVID-19 Innovation Challenge Awards) का आयोजन किया गया।

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प्रमुख बिंदु:

  • मिलेनियम एलायंस (Millennium Alliance) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ (FICCI), यूनाइटेड किंगडम सरकार के
  • अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (UK Government''s Department for International Development- DFID), फेसबुक और मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन (Marico Innovation Foundation) जैसे सार्वजनिक-निजी भागीदारों का एक संघ है।
  • यह कार्यक्रम पिछले 6 वर्षों से चल रहा है और इसने भारतीय उद्यमों के लिये वित्त पोषण, क्षमता निर्माण एवं व्यवसाय विकास सहायता प्रदान करने में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है।
  • मिलेनियम एलायंस इनिशिएटिव ने 49 आकांक्षी भारतीय सामाजिक उद्यमियों को भारतीय एवं वैश्विक विकास चुनौतियों से निपटने हेतु उनके अभिनव समाधान के लिये 26.25 करोड़ रुपए देने की घोषणा की।
    • इनमें से 33 नवीनतम समाधान स्वास्थ्य, कृषि, स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा, जल एवं स्वच्छता और विकलांगता पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
    • शेष 16 समाधान यूनाइटेड किंगडम सरकार की सहायता (1.3 मिलियन अमरीकी डालर तक) से भारत एवं अफ्रीका/दक्षिण एशिया में वर्तमान COVID-19 संकट से उत्पन्न चुनौतियों से निपटेंगे।


फ्लेवोनॉइड अणु

Flavonoids Molecule

हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science &Technology- DST) के अधीन पुणे स्थित स्वायत्त संस्थान ‘अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (Agharkar Research Institute -ARI) के वैज्ञानिकों ने तपेदिक एवं चिकनगुनिया के उपचार से संबंधित फ्लेवोनॉइड अणुओं (Flavonoids Molecule) के निर्माण के लिये पहला सिंथेटिक मार्ग खोजा है।

flavonoids-color-foods

प्रमुख बिंदु:

  • रूगोसाफ्लेवोनॉइड (Rugosaflavonoids), पोडोकारफ्लेवोन (Podocarflavone) एवं आइसोफ्लेवोन (Isoflavone) जैसे फ्लेवोनॉइड अणु जिन्हें तपेदिक एवं चिकनगुनिया रोधी पाया गया है। अभी तक इन फ्लेवोनॉइड अणुओं को पौधों से पृथक किया जाता था।
    • किंतु पहली बार वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में इन अणुओं को संश्लेषित करने के लिये मार्ग खोजा है, जिससे जिन औषधीय पौधों में इन्हें पाया जाता है, उनका अतिदोहन किये बगैर सभी मौसमों में इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये मार्ग प्रशस्त हुआ है।

rosa rugosa

  • 'रूगोसाफ्लेवोनॉइड ए' (Rugosaflavonoid A) एक चीनी औषधीय पौधे रोज़ा रूगोसा (Rosa Rugosa) से प्राप्त किया जाता है। 'पोडोकारफ्लेवोन ए’ (Podocarflavone A) को पोडोकार्पस मैक्रोफाइलस (Podocarpus Macrophyllus) पौधे से पृथक किया जाता है।

Podocarpus-macrophyllus

  • अधिकतर आयुर्वेदिक उत्पाद फ्लेवोनॉइड्स से भरपूर होते हैं। फ्लेवोनॉइड ज्यादातर टमाटर, प्याज, सलाद पत्ता, अंगूर, सेब, स्ट्रॉबेरी, आड़ू एवं अन्य सब्जियों में मौजूद होते हैं।
    • फ्लेवोनॉइड्स से भरपूर आहार हार्ट, लीवर, किडनी, मस्तिष्क से संबंधित एवं अन्य संक्रामक रोगों से बचाता है।
    • वर्तमान में दुनिया COVID-19 के कारण एक चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर रही है। चूँकि फ्लेवोनॉइड्स रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं इसलिये फ्लेवोनॉइड समृद्ध आहार का सुझाव दिया जाता है।
    • फ्लेवोनॉइड्स की रासायनिक संरचना महिला हार्मोन 17-बीटा-एस्ट्राडियोल (17-Beta-Estradiol) या एस्ट्रोजेन (Estrogen) के समान ही है। इसलिये फ्लेवोनॉइड्स उन महिलाओं के लिये उपयोगी हो सकते हैं जो प्रीमेनोपॉज़ल (Premenopausal) चरण यानी रजोनिवृत्ति से पहले के चरण में समस्याओं का सामना करती हैं।
  • फ्लेवोनॉइड्स को आमतौर पर पौधों से पृथक किया जाता है। हालाँकि प्राकृतिक उत्पादों में विसंगति विभिन्न मौसमों, स्थानों एवं प्रजातियों में हो सकती है। इन बाधाओं के साथ औषधीय पौधों का अत्यधिक दोहन पर्यावरण पर एक अतिरिक्त बोझ डालता है।
    • इन समस्याओं को दूर करने के लिये इस तरह के उत्पादों को सरल एवं लागत प्रभावी तरीकों से प्रयोगशाला में सिंथेटिक प्रोटोकॉल द्वारा विकसित किया जा सकता है। सिंथेटिक प्राकृतिक उत्पादों में प्राकृतिक उत्पाद के समान ही संरचना एवं औषधीय गुण होते हैं।


टैटू सेंसर

Tattoo Sensor

भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलुरु (Indian Institute of Science, Bangalore) के केंद्र नैनो विज्ञान एवं इंजीनियरिंग (Centre for Nanoscience and Engineering- CeNSE) से जुड़े और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित इंसपायर फैकल्टी फेलोशिप (INSPIRE Faculty Fellowship) प्राप्त करने वाले डॉ. सौरभ कुमार वीयरेबल सेंसर (Wearable Sensors) या टैटू सेंसर (Tattoo Sensor) पर कार्य कर रहे हैं।

tattoo sensor

प्रमुख बिंदु:

  • इस सेंसर से त्वचा के ज़रिये शरीर से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी हासिल की जा सकती है।
  • शोधकर्त्ताओं की टीम ने लगभग 20 माइक्राॅॅन मोटी त्वचा के अनुरूप टैटू सेंसर का निर्माण किया है।
    • इस सेंसर के माध्यम से व्यक्ति के महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य पैरामीटर की निरंतर निगरानी की जा सकती है जैसे- पल्स दर, श्वसन दर एवं सरफेस इलेक्ट्रोमोग्राफी आदि।
    • ये सेंसर संवेदक श्वसन दर और पल्स दर के लिये एक एकल पाइपलाइन के रूप में कार्य करते हैं।
  • डॉ. सौरभ कुमार का यह हालिया शोधकार्य रिसर्च जर्नल ‘एससीएस सेंसर्स’ (ACS Sensors) में प्रकाशित हुआ है।

उपयोग:

  • त्वचा के अनुरूप इस सेंसर में गैर-आक्रामक एवं महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की निरंतर निगरानी करने की क्षमता है।
  • इसमें स्वास्थ्य निगरानी के लिये भारी उपकरणों की जगह लेने की क्षमता है।
  • ये सेंसर उपयोगकर्त्ता की दैनिक गतिविधियों में कोई अवरोध उत्पन्न नहीं करते हैं।
  • यह सेंसर पल्स दर, श्वसन दर, यूवी रे एक्सपोज़र, स्किन हाइड्रेशन लेवल, ग्लूकोज़ की निगरानी आदि महत्त्वपूर्ण संकेतों की निरंतर निगरानी में सक्षम है।

इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च (INSPIRE):

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology-DST) द्वारा शुरू किये गए INSPIRE कार्यक्रम के तहत विज्ञान में प्रतिभावान छात्रों को अवसर प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।
  • इस कार्यक्रम की शुरुआत 13 दिसंबर, 2008 को की गई थी।
  • INSPIRE कार्यक्रम के तीन घटक हैं:
    • विज्ञान में प्रतिभा के शुरूआती आकर्षण हेतु योजना
    • उच्‍च शिक्षा के लिये छात्रवृत्‍ति
    • शोध कार्य हेतु अवसर

नमथ बसई कार्यक्रम

Namath Basai Programme

जनजातीय बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने के लिये केरल सरकार ने नमथ बसई कार्यक्रम (Namath Basai Programme) चलाया है।

प्रमुख बिंदु:

  • ‘नमथ बसई कार्यक्रम’ को समग्र शिक्षा केरल (Samagra Shiksha Kerala- SSK) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • इस कार्यक्रम ने आदिवासी बच्चों के लिये घर पर ही शिक्षा की ज़रूरत को महसूस करके सैकड़ों आदिवासी बच्चों को उनकी ऑनलाइन कक्षाओं से जोड़े रखने में सफलता पाई है।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत SSK ने विशेष रूप से 50 लैपटॉप वितरित किये हैं।
  • प्री-रिकॉर्डेड कक्षाएँ एक YouTube चैनल के माध्यम से संचालित की जाती हैं।
  • केरल के अट्टापडी में 192 बस्तियों के अधिकांश आदिवासी बच्चों को इन कक्षाओं से जोड़ा गया है।
  • अट्टापडी में तीन जनजातीय भाषाओं में कक्षाएँ दी जा रही हैं। इनमें इरुला भाषी बच्चों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद मुडुका (Muduka) एवं कुरुम्बा (Kurumba) भाषा का स्थान है।
  • ‘नमथ बसई’ को केरल के वायनाड एवं इडुक्की ज़िले के आदिवासी इलाकों में भी लागू किया जा रहा है। इडुक्की में ओराली (Oorali), मुतुवन (Mutuvan) एवं पनिया (Paniya) भाषाओं में कक्षाएँ दी जाती हैं।

गौरतलब है कि ‘नमथ बसई’ एक इरुला भाषी नाम है जिसका अर्थ होता है-’हमारी भाषा’

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