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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 21 सितंबर, 2019

  • 21 Sep 2019
  • 9 min read

पूसा यशस्वी (HD-3226)

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute- IARI) ने आगामी रबी फसल के मौसम में रोपण हेतु अच्छी पैदावार वाली एक किस्म पूसा यशस्वी या HD-3226 जारी की है।

  • इससे पहले IARI ने HD-2967 और HD-3086 किस्म तैयार की थी। जो देश के कुल गेहूँ उत्पादन क्षेत्र के लगभग 40% हिस्से पर उगाई जा रही है।
  • नई किस्म पूसा यशस्वी पर पिछले तीन वर्षों में 56 स्थानों पर किये गए समन्वित परीक्षणों में 57.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज दर्ज की गई है।
  • इस किस्म में प्रोटीन और ग्लूटीन की उच्च मात्रा दर्ज की गई है जिससे रोटी और बिस्किट की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • इसमें सभी प्रमुख जंग कवकों, करनाल बंट (Karnal bunt) और अन्य कवकीय रोगजनकों जैसे फ्लैग स्मट (Flag Smut), पाउडर फफूंँद (Powdery Mildew) तथा फूट रॉट (Foot Rot) के खिलाफ उच्च प्रतिरोधक क्षमता है। 
  • इस किस्म की सामान्य बुवाई का समय 1 नवंबर से है, जबकि किसान इसकी बुवाई  धान की कटाई के तुरंत बाद सामान्य बुवाई से 7-10 दिन पहले भी कर सकते हैं।
  • इस किस्म की परिपक्वता की अवधि 150 दिनों की है जो अन्य गेहूँ की किस्मों से 10-15 दिन कम है और यह किस्म मार्च के अंत/अप्रैल की शुरुआत तक कटाई के लिये तैयार हो जाएगी।

इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम

Emergency Response Support System (ERSS)

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा चंडीगढ़ में तीन नागरिक केंद्रित सेवाओं का शुभारंभ किया गया। इन सेवाओं में इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम- डाॅयल 112 (Emergency Response Support System- Dial 112) , ई-बीट बुक (E-Beat Book) सिस्टम और ई-साथी एप (E-Saathi App) शामिल हैं। 

  • ERSS निर्भया फंड के तहत क्रियान्वित केंद्रीय गृह मंत्रालय की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है। इससे विशेषकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी। 
  • ERSS एक एकल आपातकालीन नंबर 112 प्रदान करता है, जो कंप्यूटरीकृत प्रणाली के प्रयोग के माध्यम से तुरंत आवश्यक मदद करता है। 
  • नागरिक कॉल, SMS, ईमेल और 112 इंडिया (112 India) मोबाइल एप के माध्यम से आपातकालीन सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
  • वर्तमान में आपातकालीन स्थितियों में नागरिकों की मदद हेतु 20 से अधिक आपातकालीन सहायता नंबर हैं इसकी वजह से सहायता की आवश्यकता वाले नागरिकों में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। 
  • इसलिये अब ERSS की मदद से सभी आपातकालीन सेवाओं को एकीकृत कर दिया जाएगा जिससे नागरिकों को सेवा प्राप्त करने में आसानी होगी। 
  • भविष्य में सड़क दुर्घटना हेतु आपातकालीन नंबर (1073), महिला हेल्पलाइन (1091, 181) और चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) सहित अन्य हेल्पलाइन सेवाओं को 112 एकीकृत आपातकालीन सेवा के तहत जोड़ दिया जाएगा। 
  • ई-बीट बुक (E-Beat Book) एक मोबाइल आधारित एप है जो वास्तविक समय में अपराध तथा अपराधियों से संबंधित जानकारी के संग्रह, अपडेशन एवं विश्लेषण को आसान बनाएगा।  
  • ई-बीट बुक को अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क तथा सिस्टम (Crime and Criminal Tracking Network & Systems- CCTNS) के साथ जोड़ा जाएगा, जो अपराध/आपराधिक डेटा के वास्तविक समय अपडेशन में मदद करेगा
  • ई-साथी एप वरिष्ठ नागरिकों सहित आम जनता को पुलिस के संपर्क में रहने में मदद करेगा और सहभागी सामुदायिक पुलिसिंग (योर पुलिस एट योर डोर स्टेप- Your Police at Your Door Step) की सुविधा के लिये सुझाव भी देगा। 
  • बीट अधिकारी इस एप के माध्यम से लोगों के पुलिस स्टेशन में उपस्थिति हुए बिना ही पासपोर्ट सत्यापन, किरायेदार सत्यापन, नौकर सत्यापन और चरित्र प्रमाणन जैसी सेवाएंँ प्रदान करने में सक्षम होंगे।

स्वयं-सहायता समूह 

(Self-Help Groups) 

स्वयं-सहायता समूह (Self Help Groups- SHG) विभिन्न क्षेत्रों में माइक्रोफाइनेंस की सुविधा हेतु बनाए गए हैं। भारत में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के वित्तीय दबावों के बावजूद स्वयं-सहायता समूह महिलाओं के लिये लोकप्रिय मंच के रूप में उभरे हैं। 

  • केरल में कुदुम्बश्री (Kudumbashree) और गुजरात में सेल्फ एम्प्लॉइड वुमन एसोसिएशन ( Self Employed Women’s Association- SEWA) जैसे स्वयं-सहायता समूह माइक्रोफाइनेंस के लिये बनाए गए थे। 
  • इसी प्रकार 15 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश में गठित एक महिला विकास परिषद नामक स्वयं-सहायता समूह के 49 ज़िलों में लगभग 1.5 मिलियन सदस्य हैं।
  • स्वयं-सहायता समूहों का मुख्य उद्देश्य माइक्रोफाइनेंस, उद्यम प्रशिक्षण, मातृ स्वास्थ्य पर सूचना,  पोषण शिक्षा और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देना है। 
  • स्वयं-सहायता समूह, शारीरिक तथा मानसिक  स्वास्थ्य, सामाजिक संपर्क, मनोरंजन, सुरक्षा, समुदाय और राजनीतिक सशक्तीकरण जैसे कल्याण के विभिन्न आयामों को बढ़ावा देते हैं।

भारत बिल भुगतान प्रणाली

Bharat Bill Payment System 

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने भारत बिल भुगतान प्रणाली (Bharat Bill Payment System- BBPS) के दायरे का विस्तार किया है। इसमें स्वैच्छिक आधार पर योग्य प्रतिभागियों के रूप में सभी श्रेणी के आवर्ती भुगतानों (प्रीपेड रिचार्ज को छोड़कर) को शामिल किया गया है। 

  • भारत बिल भुगतान प्रणाली एकीकृत बिल भुगतान प्रणाली के संचालन हेतु एक स्तरीयकृत संरचना है। 
  • भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India- NPCI) द्वारा अधिकृत भारत बिल भुगतान, केंद्रीय इकाई के रूप में कार्य करता है, जो सभी प्रतिभागियों के लिये तकनीकी एवं व्यावसायिक आवश्यकताओं, व्यावसायिक मानकों, नियमों तथा प्रक्रियाओं की स्थापना हेतु ​ज़िम्मेदार है।
  • BBPS के तहत भारत बिल भुगतान परिचालन इकाइयाँ रोजमर्रा की उपयोगी सेवाओं जैसे- बिजली, पानी, गैस, टेलीफोन तथा डायरेक्ट-टू-होम (DTH) के लिये बार-बार किये जाने वाले भुगतानों की सुविधा प्रदान करने वाली संस्थाओं के रूप में कार्य करती हैं।
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