प्रीलिम्स फैक्ट्स : 21 जनवरी, 2019 | 21 Jan 2019

सुपर ब्लड वुल्फ मून
Super Blood Wolf Moon


20-21 जनवरी, 2019 को दुनिया के कई हिस्सों में सुपर ब्लड वुल्फ मून (एक पूर्ण चंद्र ग्रहण) दिखाई दिया।

  • यह उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में देखा गया। लेकिन यह पूर्ण चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया।
  • सुपर ब्लड वुल्फ मून एक चंद्र ग्रहण है जिसकी अवधि लगभग 62 मिनट तक थी। ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल दिखाई देता है क्योंकि सूरज की किरणें पृथ्वी से होकर चंद्रमा पर पड़ती हैं। पृथ्वी की छाया में चंद्रमा का रंग बदलकर लाल हो जाता है।
  • इस सुपर ब्लड मून को सुपर ब्लड वुल्फ मून कहा जाता है क्योंकि कई संस्कृतियों में साल की पहली पूर्णिमा को वुल्फ मून के रूप में नामित किया गया है।

चंद्रग्रहण से संबंधित शब्दावलियाँ


चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse):
जब कभी चंद्रमा पृथ्वी की छाया से गुज़रता है, तो उसे चंद्र ग्रहण भी कहा जाता है।

सुपर मून (Super Moon): सुपर मून के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, जिसके परिमाणस्वरुप चंद्रमा आकार में 7% बड़ा और 15% अधिक चमकीला दिखाई देता है।

ब्लड मून (Blood Moon): जब चंद्रमा का रंग गहरा लाल हो जाता है तो उसे ब्लड मून कहते हैं। नासा (NASA) के अनुसार, यह रंग वातावरण में धूल और बादलों की मात्रा पर निर्भर करता है।

ब्लू मून (Blue Moon): जब एक ही कैलेंडर महीने में दो पूर्ण चंद्रमा दिखाई देते हैं, तो दूसरे को "ब्लू मून" कहा जाता है


फ्लेमिंगो महोत्सव (Flamingo Festival)

तीन दिवसीय वार्षिक फ्लेमिंगो महोत्सव पुलिकट झील (Pulicat lake) और सुल्लुरपेटा (Sullurpeta) मंडल के नेलापट्टू पक्षी अभयारण्य (Nelapattu Bird Sanctuary) में आयोजित किया जाता है।

      • इस महोत्सव का उद्देश्य पुलीकट और नेलापट्टू में पर्यटन को बढ़ावा देना है।
      • विभिन्न प्रवासी पक्षी प्रजनन के लिये सर्दियों के मौसम के दौरान इस स्थान पर आते हैं।
      • आमतौर पर पक्षियों की लगभग 80 अलग-अलग प्रजातियाँ प्रजनन के लिये पुलीकट में प्रवास करती हैं।
      • इस वर्ष 90,000 से भी अधिक प्रवासी पक्षी दूर-दूर से पुलीकट झील में आए हैं।

नेलापट्टू पक्षी अभयारण्य

      • नेलापट्टू पक्षी अभयारण्य भारत में सबसे लोकप्रिय पक्षी अभयारण्यों में से एक है।
      • दक्षिण पूर्व एशिया में पेलिकन के लिये सबसे बड़े निवास स्थान के रूप में लोकप्रिय नेलापट्टू पक्षी अभयारण्य कई अन्य मूल तथा प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान है।
      • पुलीकट वन्यजीव विभाग ने वर्ष 1976 में इस पक्षी अभयारण्य की स्थापना की थी।
      • इसका क्षेत्रफल 458.92 हेक्टेयर है।
      • यह आंध्र प्रदेश-तमिलनाडु सीमा पर पुलिकट झील के उत्तर में लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है।

भारत में प्रवासन करने वाले पक्षी


भारत में प्रवासन करने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण पक्षियों के नाम निम्नलिखित हैं:-

ग्रीष्म ऋतु में भारतीय उपमहाद्वीप में आने वाले पक्षी  शीत ऋतु में भारतीय उपमहाद्वीप में आने वाले पक्षी

एशियाई कोयल (Asian Koel)

काले ताज वाला रात्रि बगुला (Black crowned night heron)

यूरेशियन गोल्डन

ओरियलकॉम्ब बत्तख

ब्लू-चिक्ड बी-ईटर (Blue-cheeked Bee-Eater)

ब्लू-टेल्ड् बी-ईटर

सारंग (Cuckoo)

आमुर फाल्कन

साइबेरियन क्रेन

ग्रेटर फ्लेमिंगो

रफ (Ruff)

काले पंखों वाला स्टिल्ट (Black winged stilt)

कॉमन टील (Common Teal)

कॉमन ग्रीनशेंक (Common Green shank)

उत्तरी पिनटेल (Northern Pintail)

पीला वेग्टेल (Yellow wagtail)

सफेद वेग्टेल (White wagtail)

उत्तरी शोवेलर (Northern Shoveler) स्पॉटेड सेंडपाइपर

यूरेशियन वाइगन

चित्तीदार रेडशेंक (Spotted Redshank)

पुलीकट झील

pulikat lake

यह भारत में आंध्र प्रदेश के तट पर स्थित है तथा दक्षिणी आंध्र प्रदेश से उत्तरी तमिलनाडु के बीच लगभग 80 किमी. के क्षेत्रफल में फैली हुई है।

        • पुलिकट झील, जिसे तमिल में पजहवेर्कादु एरी कहते हैं खारे पानी की झील है।
        • ओडिशा में चिल्का झील के बाद यह झील देश की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
        • यह झील तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश, दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित है।
        • बंगाल की खाड़ी से यह झील श्रीहरिकोटा द्वारा अलग होती है जो एक बैरियर द्वीप की तरह कार्य करता है।

रियो डी जेनेरियो (Rio de Janeiro)


संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन- यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization-UNESCO) ने ब्राज़ील के शहर रियो डी जेनेरियो को वर्ष 2020 के लिये वर्ल्ड कैपिटल ऑफ़ आर्किटेक्चर (World Capital of Architecture) घोषित किया है।

          • पेरिस और मेलबर्न को पीछे छोड़ते हुए रियो डी जेनेरियो पिछले साल नवंबर में यूनेस्को और इंटरनेशनल यूनियन ऑफ आर्किटेक्ट्स (Union of Architects-UIA) द्वारा एक साथ शुरू किये गए कार्यक्रम के तहत यह खिताब हासिल करने वाला पहला शहर है।
          • यह शहर जुलाई 2020 में UIA के वैश्विक सम्मेलन (World Congress) की मेज़बानी करेगा। उल्लेखनीय है कि UIA का यह सम्मेलन तीन सालों में एक बार आयोजित होता है।
          • यूनेस्को के अनुसार, वर्ल्ड कैपिटल ऑफ आर्किटेक्चर का उद्देश्य संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, शहरी नियोजन और वास्तुकला के दृष्टिकोण से वैश्विक चुनौतियों का सामना करने से संबंधित वार्ता के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय मंच तैयार करना है।
          • ब्राज़ील के सबसे पुराने शहरों में से एक रियो डी जेनेरियो आधुनिक और औपनिवेशिक वास्तुकला का मिश्रण है जिसमें विश्व प्रसिद्ध स्थलों जैसे-ईशा मसीह की मूर्ति और म्यूज़ियम ऑफ़ टुमारो (Museum of Tomorrow) आदि समकालीन निर्माण शामिल हैं।

United Nations Educational, Scientific, and Cultural Organization (UNESCO)

          • संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) 'संयुक्त राष्ट्र संघ' (United Nation Organisation-UNO) का एक घटक है जिसकी स्थापना वर्ष 1945 में की गई थी।
          • इसका मुख्यालय पेरिस (फ्राँस) में है।
          • संगठन में 195 सदस्य और 11 सहयोगी सदस्य हैं।

Union of Architects (UIA)

      • इंटरनेशनल यूनियन ऑफ आर्किटेक्ट्स (UIA) की स्थापना 28 जून, 1948 को लुसाने (Lausanne), स्विट्ज़रलैंड (Switzerland) में हुई थी।
      • UIA एक गैर-सरकारी संगठन है जिसे UNESCO द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संचालित एकमात्र वास्तुशिल्प संघ के रूप में मान्यता प्राप्त है।


    लद्दाख की दर्द आर्यन जनजाति (Ladakh’s Dard Aryan Tribes)

    लद्दाख के दर्द आर्यन जनजाति ने केंद्र सरकार से अपनी संस्कृति और विरासत की रक्षा के लिये हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।

      • दर्द आर्यन जनजाति जो अपनी उदार परंपराओं के लिये जानी जाती है, को आर्यों का वंशज माना जाता है।
      • कई शोधकर्त्ताओं का मानना है कि 'लद्दाख के आर्य' (Aryans of Ladakh) या 'ब्रोकपास' (Brokpas) सिकंदर (Alexander) की सेना का हिस्सा थे और 2,000 साल पहले इस क्षेत्र में आए थे।
      • इस जनजाति के लोग लद्दाख की प्रशासनिक राजधानी लेह से 163 किमी. दक्षिण पश्चिम में स्थित लेह और करगिल ज़िलों के धा (Dha), हानू (Hanu), दारचिक (Darchik) और गारकोन गाँवों में निवास करते हैं। इन गाँवों को आर्य घाटी कहा जाता है।
      • तेज़ी से हो रहे आधुनिकीकरण, प्रवास और धर्मांतरण के कारण इन जनजातियों की समृद्ध विरासत खतरे में है।
      • भारतीय संविधान का अनुच्‍छेद 46 प्रावधान करता है कि राज्‍य समाज के कमज़ोर वर्गों के शैक्षणिक और आर्थिक हितों विशेषत: अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का विशेष ध्‍यान रखेगा और उन्‍हें सामाजिक अन्‍याय एवं सभी प्रकार के शोषण से संरक्षित रखेगा।